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दिल का दर्द…जानलेवा है यह बीमारी, बचपन में न आई नजर तो जिंदगी कर देगी खराब, जवानी में ही करा लें जांच, वरना…

Hole in Heart Symptoms: शरीर में कई बीमारियां ऐसी भी होती हैं जो जन्मजात होती हैं. दिल में छेद यानी वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट उनमें से एक है. मेडिकल भाषा में इसे कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट कहा जाता है. ये बीमारी होती तो बचपन से है, लेकिन शुरुआत में लक्षण बिलकुल नजर नहीं आते हैं. यही नहीं, कुछ लोगों में तो इसके लक्षण 60 साल के बाद नजर आते हैं. हालांकि, ऐसे लोग बीमारी से पहले का जीवन सामान्य लोगों की तरह ही बिताते हैं.

मायोक्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, हृदय में छेद होना एक गंभीर बीमारी है. ये बीमारी जन्मजात होती है. वैसे यह बीमारी ज्यादातर बच्चों में होती है, लेकिन 3-4 वर्ष तक पहुंचने पर खुद से भर जाती है. वहीं, कई लोगों में ये छेद नहीं भर पाता जो परेशानी का कारण बन जाता है. ऐसे में समय रहते इसके लक्षणों की पहचान कर जांच कराना जरूरी है. ताकि, आगे होने वाली परेशानी से बचा जा सके.

इस उम्र के बाद बढ़ने लगता है जोखिम

यदि यह बीमारी मिड एज तक उभर जाए तो इस छेद को आसानी से बंद किया जा सकता है. लेकिन 50 वर्ष की उम्र पार करते-करते इसको बंद करना काफी जोखिम भरा हो जाता है. आगे चलकर ये इतनी भयावह हो जाती है कि यदि समय पर इलाज न मिला तो जान भी जा सकती है.

फेफड़े डैमेज होने का बढ़ता है खतरा

प्रत्येक हजार में से 4 से 5 लोगों में वीएसडी होता है. हार्ट में छेद होने का मतलब है दिल के बीच वाले वॉल में छेद होना. इस परेशानी में हार्ट में ब्लड एक चैम्बर से दूसरे चैम्बर में खुद से लीक होने लगता है. इससे फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है. वहीं, जिन बच्चों में ये होल बड़ा होता है, उनमें कम उम्र में ही फेफड़े डैमेज का जोखिम बढ़ता है.

दिल में छेद होने के खास लक्षण

बच्चों में तमाम ऐसे लक्षण नजर आते हैं, जो इस बीमारी की ओर इशारा करते हैं. लेकिन, हम उनको मामूली समझकर अनदेखा कर देते हैं. जोकि सेहत के लिए घातक हो सकता है. इसलिए ध्यान रहे कि यदि किसी बच्चे में सांस फूलना, बोलने में परेशानी होना, शरीर का तापमान हमेशा बढ़ा रहना. फेफड़ों में बार-बार इन्फेक्शन होना, पसीना ज़्यादा आना, बार-बार सर्दी, कफ़, निमोनिया जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं. वहीं, दिल में छेद वाले बच्चों का वजन जल्दी नहीं बढ़ता है और बच्चा हर वक्त रोना शुरू कर देता है.

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दिल में छेद का इस तरह होता है इलाज

दिल में छेद की बीमारी का इलाज क्लोज़्ड टेक्निक और ओपन हार्ट सर्जरी दो तरह से होता है. किस बच्चे को कौन सी सर्जरी देनी ये जांच के बाद छेद के साइज पर डिपेंड करता है. डॉक्टर बताते हैं कि छेद को तीन भागों में विभाजित किया जाता है, छोटे, मध्यम और बड़ा. इसके छेद का बढ़ा होना ज्यादा खतरनाक हो सकता है. वहीं, कुछ लोगों का छेद बड़ा होता है. ऐसे ओपन हार्ट सर्जरी यानी दिल की धड़कन रोककर चेस्ट ओपन कर छेद को बंद किया जाता है. वहीं क्लोज्ड टेक्निक में बच्चे के हाथ या पैरों की नसों में एक यंत्र को डालकर हार्ट तक पहुंचाकर छेद बंद किया जाता है.

Tags: Health News, Health tips, Heart Disease, Lifestyle

FIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 15:26 IST

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