इस गोबर की झोपडी के आगे गर्मी और सर्दी बे-असर…इसके अंदर होती है लाखों रुपए के मशरूम की खेती-Heat and cold have no effect in front of this cow dung hut. Mushrooms worth lakhs are cultivated inside the hut.

चूरू : 8वीं पास किसान देसी जुगाड़ से मशरूम लगाकर आज घर बैठे लाखों रुपए कमा रहा है. साथ ही इसके लिए दूसरे किसानों को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे रहा है. किसान रणवीर सिंह दहिया ने बताया कि खेती में नवाचार करने का युवावस्था से ही शौक रहा है. कुछ साल पहले उसकी बेटी ने उसे फोन कर मशरूम की सब्जी खाने की इच्छा जाहिर की, इस पर वो चूरू आया, लेकिन उसे कही भी मशरूम नहीं मिली. इस पर उसने स्वयं के स्तर पर मशरूम लगाने की सोची.
उन्होंने बताया कि मशरूम को लगाने के लिए कम तापमान की आवश्यकता रहती है, साथ ही इसकी खेती में बहुत अधिक सावधानी रखनी पड़ती है. चूरू जिले में जहां गर्मियों में तापमान 50 डिग्री पार कर जाता है, सर्दियों में माइनस में पहुंच जाता है. ये परििस्थतियां इसकी खेती में एक बहुत चुनौती थी.
उन्होंने बताया कि इसके लिए देसी जुगाड़ तैयार कर खेत में बड़ा झौपड़ा तैयार किया, तापमान नियंत्रण के लिए झोपड़ी के चारों तरफ गोबर का लेप किया. साथ ही पानी के लिए फोगर लगाकर तापमान को मशरूम की खेती के लिए अनुकूल किया गया. उन्होंने बताया कि बटन व ओस्टर सहित आठ प्रकार की मशरूम लगाई गई. बटन मशरूम के लिए 15 से 18 डिग्री व ओस्टर के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान अनुकूल माना जाता है.
खेती से कमा रहे 10 लाख सालानाकिसान दहिया ने बताया कि चूरू शहर में कुछ लोग ही मशरूम को खाना पसंद करते थे, ऐसे में पहले साल उत्पादन ठीक होने के बाद भी बिक्री नहीं हुई. बाद में सोशल मीडिया के जरिए प्रचार-प्रसार करने पर खरीद के ऑर्डर आने शुरू हो गए, अब खेती से सालाना करीब दस लाख रुपए तक कमा लेते हैं. उन्होंने बताया कि ओस्टर मशरूम कैंसर रोगियों के लिए काफी फायदेमंद रहती है, वैसे सभी प्रकार की मशरूम खाने से शरीर को फायदा होता है.
उन्होंने बताया कि मशरूम के लिए खाद भी स्वयं ही तैयार करते हैं. दहिया ने बताया कि मशरूम की खेती के दौरान बहुत सावधानी रखनी पड़ती है, नहीं तो फसल नष्ट होने का खतरा रहता है खेती के दौरान उनके अलावा एक श्रमिक ही दवाई देने मशरूम तोड़ने के लिए जाता है.
आचार व बिस्किटदहिया ने बताया कि मशरूम पौष्ठिकता से भरपूर होता है, ऐसे में वे स्थानीय बेकरी के माध्यम से बिस्किट भी तैयार कराते हैं, इसके अलावा आचार की भी बाजार में बहुत मांग रहती है. उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती मुनाफे का सौदा है, लेकिन सही तरीके से बुवाई नहीं करने के कारण किसान को नुकसान होता है. दहिया ने बताया कि बड़ी-बड़ी संस्थानों में इसके प्रशिक्षण के लिए शुल्क लिया जाता है, लेकिन वो खेती के इच्छुक किसानों को इसका निशुल्क प्रशिक्षण देते है.
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FIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 14:51 IST