पूरे राजस्थान में झमाझम बारिश, लेकिन पानी को तरस रहा ये बांध, जयपुर के राजा ने करवाया था निर्माण
लगभग सवा सौ साल पहले जिस बांध का निर्माण हुआ था वह अब पानी की कमी से जूझ रहा है. पहले जहां इसके पानी से सैकड़ों गांवों का प्यास बुझ रहा था अब इसको पानी का एक बूंद तक नसीब नहीं हो रहा है. हम बात कर रहे हैं सागर बांध की.
दौसा जिले का सबसे बड़ा माधो सागर बांध का निर्माण जयपुर के राजा माधव सिंह ने 1887 में करवाया था. यह बांध इन दिनों पानी की कमी का सामना कर रहा है. इस बांध का उद्देश्य सैकड़ों गांवों को पानी उपलब्ध कराना था लेकिन अब इसमें पानी की आवक कम हो गई है. जबकि राजस्थान के अन्य अधिकांश बांध पानी से भर चुके हैं.
माधो सागर बांध का इतिहास और स्थिति
शिवजी मीणा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि माधो सागर बांध दौसा जिले के घूमना गांव की पहाड़ियों के बीच स्थित है. इन दिनों पानी के लिए सूखा पड़ा है. यह बांध दौसा जिले के मुख्यालय से 48 किलोमीटर और सिकराय तहसील से 9 किलोमीटर दूर स्थित है.
इस बांध का निर्माण 1887 में किया गया था और इसका जल ग्रहण क्षेत्र 26 वर्ग मील है. पानी की कमी के कारण 2586 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई प्रभावित हो रही है. सिंचाई विभाग के अनुसार, बांध की कुल क्षमता 35 फीट 798 मिलियन घन फीट पानी की है. 1902 में राणोली नदी पर मोरोली बांध का निर्माण कर इसका पानी माधो सागर में लाने की व्यवस्था की गई थी.
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नहरों से पानी की आपूर्ति
रामकिशोर मीणा ने लोकल 18 को बताया कि माधो सागर बांध से दो मुख्य नहरें निकलती हैं. पूर्वी नहर 8.54 किलोमीटर लंबी है, जिससे घूमना, गड़ी, नामनेर, बनेपुरा, मोरेड, जगरामपुरा, सिकराय, रामेडा और कुंडेरा जैसे गांवों में सिंचाई होती थी.
दूसरी नहर 19.05 किलोमीटर लंबी है, जो बूजोट, पाटन, गीजगढ़, धूलकोट, कालवान और मानपुर सहित अन्य गांवों में पानी की आपूर्ति करती थी. इस पानी से फसलें अच्छी होती थीं क्योंकि माधो सागर बांध का पानी खारा नहीं है, जिससे फसलों को कोई नुकसान नहीं होता था.
अब भी पानी की कमी से जूझ रहा बांध
घूमना गांव के कालूराम मीणा और देशराज ने लोकल 18 को बताया कि पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश हुई है और जिले के अन्य छोटे बांध भर चुके हैं मगर माधो सागर बांध अब भी पानी की कमी से जूझ रहा है. करीब एक महीने पहले 14 फीट पानी आया था, जो अब सूख चुका है. हाल ही में इसमें फिर से 10 फीट पानी आया है, लेकिन बांध अब भी अपनी पूरी क्षमता से काफी पीछे है.
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FIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 12:38 IST