सिरोही: ब्रह्माकुमारी संस्थान में तैयार हो रहा हर्बल एनर्जी ड्रिंक, रोजाना 300-400 लीटर की मांग
सिरोही: जिले के ब्रह्माकुमारी संस्थान के शांतिवन मुख्यालय में रोजाना 300-400 लीटर हर्बल एनर्जी ड्रिंक तैयार किया जा रहा है. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और रसोई के मसालों से तैयार यह पेय स्वास्थ्य को सुधारने और इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है. संस्थान के हर्बल डिपार्टमेंट की शुरुआत करने वाले बीके पानमल भाई ने बताया कि शुरुआत में केवल 10-15 ग्लास जूस तैयार किया जाता था, लेकिन लोगों की बढ़ती मांग को देखते हुए अब इसकी मात्रा 300-400 लीटर तक पहुंच गई है.
स्वास्थ्यवर्धक हर्बल जूस का अनोखा संयोजनआयुर्वेदाचार्य बीके रामशंकर ने बताया कि यह हर्बल एनर्जी ड्रिंक 10 से 15 प्रकार की पत्तियों और फूलों से तैयार किया जाता है. इसे धीमी आंच पर रातभर पकाया जाता है. इसमें जीरा, हल्दी, अदरक, दालचीनी, सौंफ, काली मिर्च, धनिया, गिलोय और पुदीना जैसे तत्व शामिल होते हैं. यह जूस प्रतिदिन सुबह और शाम 100-150 मिलीलीटर तक पीने के लिए उपयुक्त है, जिससे शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है.
घर पर हर्बल जूस बनाने की विधियदि आप यह जूस घर पर बनाना चाहते हैं, तो तुलसी, अमरूद, जामुन, नीम, बेल पत्र, अनार, नींबू, कड़ी पत्ता, मीठी नीम, आम, पीपल जैसे पौधों की पांच-पांच पत्तियां लें. इनमें सौंफ, दालचीनी, काली मिर्च, अदरक और हल्दी मिलाकर पीस लें. बड़ी पत्तियों के लिए दो पत्तियां पर्याप्त होती हैं. इस मिश्रण में चुटकी भर सेंधा नमक मिलाकर 200 मिलीलीटर जूस तैयार करें. इसे सुबह खाली पेट 21 दिनों तक पीने से अनेक बीमारियों में राहत मिलती है. सेवन के एक घंटे बाद भोजन किया जा सकता है.
शिव संजीवनी हर्बल काढ़ा डिपार्टमेंट का उद्घाटनस्वास्थ्य के इस अनूठे प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्थान की प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी की उपस्थिति में शिव संजीवनी हर्बल काढ़ा डिपार्टमेंट का उद्घाटन किया गया. इस डिपार्टमेंट के मार्गदर्शक सूरज भाई ने कहा, आजकल बीमारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हमें प्रकृति की ओर लौटने की आवश्यकता है. हर्बल चाय, काढ़ा और जूस से कई गंभीर बीमारियों को ठीक किया जा सकता है.
पांच लाख से अधिक लोगों को मिला लाभसंस्थान का यह हर्बल जूस अब तक पांच लाख से अधिक लोगों को लाभ पहुंचा चुका है. शांतिवन आने वाले लोग इसे नियमित रूप से पीते हैं और इसके फायदों को महसूस करते हैं. संस्थान के इस प्रयास से न केवल स्थानीय बल्कि दूर-दराज से आने वाले लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं और यह स्वास्थ्यवर्धक पहल प्रकृति के करीब आने का एक शानदार उदाहरण है.
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FIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 19:03 IST