यहां है लोहे को सोना बनाने वाला पारस पत्थर! एक श्राप से खंडहर हो गया कीमती मूर्तियां उगलने वाला तिमनगढ़ किला

बचपन में लगभग सभी ने ‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती’ गाना जरूर गाया या सुना होगा. इसी तरह राजस्थान में एक किला है जो कीमती मूर्तियां उगलता था. आज भी खजाने और मूर्तियों की तलाश में लोग इस किले को खोदते हुए दिख जाते हैं. इस किले से जुड़ी एक कहानी है कि राजा ने सर्कस दिखाने वाले नट के सामने एक शर्त रखी थी और वह शर्त जीतने वाला था कि उससे पहले रानी और उसके बेटों ने नट के साथ छल कर दिया. इस छल में नट मर गया. इससे दुखी नट की पत्नी ने राजा को श्राप दे दिया कि उसका किला और राज्य सब बर्बाद हो जाए. उसके बाद से यह किला बर्बाद होता चला गया. कहते हैं इस किले में एक पारस पत्थर भी है जिससे राजा लोहे को सोना बनाता था. इन कहानियों को जानने से पहले थोड़ा सा किले का इतिहास जान लेते हैं.
तिमनगढ़ किला राजस्थान के करौली जिले में हिण्डौनसिटी के पास मासलपुर तहसील में है. इस किले को भरतपुर के राजपरिवार के तिमनपाल ने सन 1100 में बनवाया था. उन्हीं के नाम पर इसका नाम तिमनगढ़ रखा गया. तिमनपाल को मूर्तियों का शौक था और उन्होंने पूरे किले में नटराज से लेकर तमाम देवी-देवताओं की कई मूर्तियां बनवाई. इनमें अष्टधातु और पत्थरों की बनी मूर्तियां हैं. बाद में नटनी के श्राप से यह किला खंडहर हो गया और मूर्तियां जमीन में दब गईं. इन मूर्तियों की विदेशी बाजारों में करोड़ों में कीमत है. तो अब आपको बताते हैं नट और नटनी वाली कहानी.
क्या है नटनी के श्राप की कहानीएक नट था जो रस्सी पर चलने का करतब दिखाता था. एक बार राजा ने नट से एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर रस्सी के सहारे जाने के लिए कहा. राजा ने कहा कि यदि तुमने ऐसा कर दिया तो मैं तुम्हें अपने राज्य का आधा हिस्सा दे दूंगा. इसके बाद नट ने राजा की शर्त मान ली और रस्सी पर चलना शुरू कर दिया. जब वह दूसरी पहाड़ी पर पहुंचने ही वाला था तभी रानी ने सोचा कि यदि यह जीत गया तो आधा राज्य इसका हो जाएगा और फिर हमारे बेटे क्या करेंगे. रानी ने तुरंत बेटों से कहकर रस्सी को कटवा दिया. रस्सी कटते ही नट नीचे गिरकर मर गया. इससे नट की पत्नी नटनी बहुत क्रोधित हुई और राजा को श्राप दे दिया कि उसका राज्य और किला सब बर्बाद हो जाएगा. उसके बाद से ही इस किले का बुरा दौर शुरू हो गया था.
अब बात करते हैं इस किले में गड़े कीमती खजाने की. कहा जाता है कि कभी यहां मूर्ति तस्कर हेलिकॉप्टर से आते थे और मूर्तियां चोरी कर हवा के रास्ते निकल जाते थे. तिमनगढ़ किले से तस्करों द्वारा चुराई गई नटराज की एक मूर्ति, सूर्य भगवान की मूर्ति सहित कई मूर्तियां अलग-अलग जगहों पर पकड़ी भी गई हैं. कहते हैं कि जब मुस्लिम और मुगल शासकों ने जैन मंदिरों को तोड़ना शुरू किया था तब उनकी मूर्तियों को भी बचाने के लिए तिमनगढ़ किले में ही जमीन के नीचे दबा दिया गया था. लोग इन्हीं सब मूर्तियों की तस्करी करते हैं.
लोगों के लालच ने किले को कर दिया खंडहरआपको बता दें कि क्रिस्टीज और सुदबी जैसे अंतरराष्ट्रीय नीलाम घरों में भी तिमनगढ़ की मूर्तियां देखी जा सकती हैं. इन्हें वापस लाने के प्रयास भी चल रहे हैं. आज भी किले में अष्टधातु की मूर्तियों सहित कई मूर्तियां नीचे होने का दावा किया जाता है. उन मूर्तियों को पाने के लिए लोग आज भी किले में इधर-उधर खुदाई करते हुए मिल जाएंगे. लोगों के लालच ने किले को और खंडहर बना दिया.
किले में पारस पत्थर होने का दावायह भी कहते हैं कि इस किले का राजा पारस पत्थर से लोहे को सोने में बदलता था. इस वजह से राजा अपनी प्रजा से कर के रूप में नगद पैसा ना लेकर लोहा लिया करता था और उसे सोने में बदल लेता. लोहे से बनाए गए सोने को रखने के लिए किले कई तलघर बने हैं. इस किले की तलहटी में सागर झील है. लोगों का मानना है कि उस झील में आज भी पारस पत्थर है.
जब आसपास के राजाओं को पारस पत्थर के बारे में पता चला तो उन्होंने उसे पाने के लिए कई बार तिमनगढ़ पर आक्रमण किया था परंतु वह सफल नहीं हो सके. कहते हैं जब तिमनगढ़ के राजा को यह पता चला कि वह इस युद्ध में मरने वाला है तो उसने मरने से पहले उस पारस पत्थर को सागर झील में फेंक दिया था. राजा की मृत्यु के कुछ समय बाद ही महल वीरान हो गया.
कहते हैं कि पत्थर की तलाश में महल में खुदाई करते हैं. इसके लिए तंत्र-मंत्र का भी सहारा लेते हैं. लोगों का कहना है कि कई बार यहां लोग पारस पत्थर की तलाश में आए और अपना मानसिक संतुलन खो बैठे क्योंकि पारस पत्थर की सुरक्षा एक जिन्न करता है.
इस किले में 80 से अधिक दीवार हैं. इसके मुख्य द्वार को ‘जगनपोल’ के नाम से जाना जाता है. इस किले की सबसे खास बात यह है कि इसमें 5 प्रवेश द्वार हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 15:46 IST