यहां तो गजब है! एक ही छत के नीचे माता दरबार, मस्जिद और जैन मंदिर; आपसी भाईचारे की अनोखी तस्वीर

जोधपुर:- राजस्थान के दूसरे बड़े जिले जोधपुर की बात करें, तो यहां पर हर त्योहार आपसी भाईचारे और सौहार्द के साथ मनाया जाता है. साथ ही यहां हर समाज के लोग आपसी भाईचारे के साथ मिलकर रहते हैं. आपसी भाईचारे की एक तस्वीर जोधपुर के मंडोर क्षेत्र में देखने को मिलती है, जहां मंडोर उद्यान के पास ही एक ही दीवार से मंदिर और मस्जिद सटे हुए हैं, जो आपसी भाईचारे का संदेश देते नजर आते हैं. यहां बने मंदिर-मस्जिद हिन्दू-मुस्लिम एकता की जो लकीर खींच रहे हैं, शायद ही पूरे हिंदुस्तान में ऐसा कहीं और देखने को मिले. सौहार्द की मिसाल सिर्फ यहां तक कायम नहीं है.
हर त्यौहार पर सजता है मंदिर-मस्जिदमंडोर के पास ही एक ही छत तले बने प्रेम भाईचारे का प्रतीक मस्जिद, जैन मंदिर और माता का मंदिर करीब 400 साल से भी अधिक पुराना बताया जा रहा है. बताया जाता है कि हर साल मंदिर-मस्जिद दोनों को दीपावली के पर्व पर एलईडी लाइटों से सजाया जाता है. जब भी कोई त्यौहार होता है, तो दोनों समुदाय के लोग उसको आपसी भाईचारे के साथ मनाते हैं.
अभी जब रमजान का महीना चल रहा है तो आपसी भाईचारा और सौहार्द यहां देखने को मिल रहा है। वही अब ईद आने वाली है ऐसे में इस दिन हिंदू परिवार के लोग जब मुस्लिम भाई नमाज अदा कर बाहर निकलते है तो गले मिलकर उनको ईद की बधाई देते भी नजर आते है. ऐसी सुखद तस्वीर शायद ही कही ओर देखने को मिले.
आज भी लोग रहते हैं भाईचारे के साथहिंदू पूजा-अर्चना अपने मंदिर में करते हैं तो मस्जिद में नमाज व दुआ पढ़ी जाती है, वही जैन तीर्थ स्थल में प्रार्थना का दौर चलता है. सुबह और शाम का समय ऐसा रहता है, जब मंदिर से घंटी और आरती की आवाज सुनाई देती है. दूसरी ओर से अजान की आवाज सुनाई देती है. बताया जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले इस जगह पर एक साथ तीनों ही धर्मों की स्थापना की गई थी. दौर बदलता गया, लेकिन यहां के लोग नहीं बदले. इसी कारण आज भी यहां सभी भाईचारे के साथ रहते हैं.
आपसी भाईचारे की अनूठी तस्वीर है मंडोर क्षेत्रमस्जिद से जुडे इस्लामुद्दीन ने कहा कि जोधपुर हमेशा से ही एकता और मोहब्बत की मिसाल रहा है. हम यहां मिलकर एक दूसरे का त्यौहार मनाते हैं. यहां मंदिर और मस्जिद एक साथ है और बड़े ही प्रेम और भाव से यहां पर रहा जाता है. अभी रमजान चल रहा है, तो हमेशा से हम एक-दूसरे के त्यौहार में शिरकत करते हैं. यहां सबसे बड़ा और अच्छा सुखद नजारा उस वक्त देखने को मिलता है, जब हमारे मुस्लिम भाई मंदिर के बाहर बैठते हैं और हमारे हिंदु भाई मस्जिद के बाहर बैठे होते हैं, तो वह नजारा देखने लायक होता है. प्यार की सबसे बड़ी निशानी यह तस्वीर है.
400 साल पुरानी आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करती है यह जगहमंदिर पुजारी मनीष चौधरी ने कहा कि यह करी 400 साल से भी ज्यादा पुराना है. हम सभी के बीच आपसी सद्भाव और प्रेम हमेशा से बना हुआ है. यह मंदिर-मस्जिद जोधपुर में आपसी भाईचारे का सबसे बड़ा प्रतीक है. यह काफी प्राचीन और पुराना है. यह मंदिर-मस्जिद जोधपुर के मेहरानगढ़ किले के पहले से बना हुआ है. जब राजा महाराजा मंडोर में राज किया करते थे, तब से मंडोर के समय से यह है. अपने-अपने धर्म के हिसाब से लोग यहां पूजा अर्चना करते हैं. लोगों की काफी आस्था भी इनके प्रति है.
हर त्यौहार में होते शामिल स्थानीय निवासी नीलम चौधरी ने कहा कि ईद का समय होता है, तो हम उनके त्यौहार में शामिल हो जाते हैं और दीपावली होती हैं, तो उनके घर जाते हैं, मिठाई इत्यादि ले जाते हैं. ईद के दिन वह हमारे यहां ईद की मिठाई पहुंचाते हैं. हम आपसी भाईचारे के साथ यहां रहते हैं. एक-दूसरे की मदद के लिए हम हमेशा तैयार रहते हैं. हमें मदद की जरूरत होती है, तो मौलवी जी को फोन करते हैं, वह हमारी मदद करते हैं. उनको कुछ काम हो, तो हमें वह फोन करते हैं. जब मुस्लिम भाई नमाज पढ़ते हैं और मंदिर में पूजा होती है, तो वह एक साथ का जो पल होता है, वह काफी सौहार्दपूर्ण होता है.