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यहां आदमी पैर में घुंघरू बांधकर करते हैं नृत्य, पातावा गांव की 200 साल पुरानी होली परंपरा, जानें रहस्य!

Last Updated:March 12, 2025, 21:17 IST

जणवा चौधरी समाज के लोग एक जैसी वेशभूषा में नजर आते हैं. होली से एक दिन पहले गांव के मुख्य चौराहे पर गैर नृत्य का आयोजन कर इस तरह नृत्य करते दिखाई देते हैं. यह आयोजन इतना लोकप्रिय है कि इसे देखने आसपास के क्षेत्…और पढ़ेंX
होली
होली पर निभाई जाय है यह अनूठी परंपरा

हाइलाइट्स

पाली जिले में जणवा चौधरी समाज होली पर गैर नृत्य करता है.लोग एक जैसी वेशभूषा में हाथों में लकड़ी और पैरों में घुंघरू बांधते हैं.यह परंपरा 200 साल पुरानी है और गांव की सांस्कृतिक विरासत है.

पाली:- हाथों में लकड़ी और पैरों में घुंघरू बांधकर गैर नृत्य करते यह लोग पाली जिले में आने वाले एक गांव के जणवा चौधरी समाज से जुडे हैं, जो होली पर्व पर एक अनूठी परपंरा के तहत इस तरह नृत्य कर इस परपंरा को आज भी निभा रहे हैं. होली पर अलग-अलग परंपराएं, जिनको आज भी समाज के लोग जिंदा रखे हुए हैं. उसमें से एक अनूठी परंपरा यह भी है. यह परंपरा आज से 200 सालों से निभाई जा रही है.

इस परपंरा के तहत जणवा चौधरी समाज के लोग एक जैसी वेशभूषा में नजर आते हैं. होली से एक दिन पहले गांव के मुख्य चौराहे पर गैर नृत्य का आयोजन कर इस तरह नृत्य करते दिखाई देते हैं. यह आयोजन इतना लोकप्रिय है कि इसे देखने आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचते हैं. यह कार्यक्रम गांव की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है.

वर्षों से निभाई जा रही यह अनूठी परपंरापातावा गांव में होली पर्व पर एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है. गांव के जणवा चौधरी समाज के सभी लोग एक जैसी वेशभूषा में नजर आते हैं. होली से एक दिन पहले गांव के मुख्य चौराहे पर गैर नृत्य का आयोजन किया जाता है. इस परंपरा को कई वर्षों से निभाया जा रहा है. समाज के सभी लोग विशेष वेशभूषा में पहुंचते हैं. वे हाथों में लकड़ी और पैरों में घुंघरू बांधकर गैर नृत्य करते हैं.

पांव में चार किलो के घुंघरू और लगातार एक घंटे तक नृत्यएक-एक पांव में दो से चार किलो तक के घुंघरू पहनकर लगातार एक से डेढ़ घंटे तक ढोल की थाप पर पूरे जोश के साथ नाचना सरल नहीं है. क्षमता और दक्षता के आधार पर आधा घुमना नृत्य का एक सरल तरीका है. यह जटिल नृत्य कदम की एक श्रृंखला के साथ नृत्य किया जाता है. गेर नृत्य को गेर घालना, गेर घुमाना, गेर खेलना, गेर नाचना के नाम से भी जाना जाता है. ये मारवाड़ खासकर पाली क्षेत्र में ज्यादा प्रचलित है.


First Published :

March 12, 2025, 21:17 IST

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200 साल पुरानी परंपरा; पाली के गांव में घुंघरू बांधकर नृत्य करते ये लोग

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