Rajasthan

यहां केसरिया तिलकधारी बेटियां हिजाब वाली बहनों के साथ कर रही हैं सेवा, पानी का कोई मजहब नहीं होता…

बाड़मेर. धर्म,वर्ग और जाति पर हो हल्ला कर लोगों में विभाजन लकीर खींचने की कोशिश करने वाले लोगों को भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर की बेटियों ने बड़ी सीख दी है. बाड़मेर जिला मुख्यालय पर इन दिनों चल रही जबरदस्त गर्मी और हीट वेव में बाड़मेर के समर कैम्प में भाग लेने वाली इन बेटियों ने शीतल जल की एक अस्थाई प्याऊ खोली है.

इस प्याऊ की ख़ासियत यह है कि यहां केसरिया तिलक धारी बेटियां अपनी हिज़ाब पहनने वाली बहनों के साथ सेवादार बनी नजर आ रही हैं. लोग भी बड़ी खुशी और कौतूहल से इनकी सेवा को सजदा कर रहे हैं. टीम बाड़मेर के सुरेश जाटोल बताते हैं हीट वेव में जब आम जनमानस तड़प रहा है तो हमने लोगों के लिए अस्थाई प्याऊ लगाई है. इस प्याऊ में समर कैम्प में आई बेटियों ने खुद को सेवादार के तौर पर आगे किया है. इस जगह हिन्दू मुस्लिम धर्म की बच्चियां एक साथ लोगो को शीतल जल, नींबू शिकंजी,गन्ने का जूस और गूलुकोज पिला रही हैं.

3 शिफ्ट में साथ साथये प्याऊ बाड़मेर के मुख्य बाजार में श्री मुल्तानमल भीखचन्द छाजेड़ सीनियर सेकेंड्री स्कूल के सामने खोली गयी है. बेटियां 3 शिफ्ट में अपनी सेवाएं दे रही हैं. सैकड़ों की तादाद में बच्चियां यहां पूरे दिन अस्थाई प्याऊ में बिना किसी जातीय मतभेद या मनभेद के सेवाएं दे रही हैं. वो आपस में हंसती खिलखिलाती हैं. बात करती हैं और पानी के साथ सौहार्द्र बांटती हैं.

पानी का कोई मज़हब नहींफरहीन बताते हैं टीम बाड़मेर की ओर से राहगीरों को पानी, निम्बू शिकंजी,ग्लूकोज पिलाया जा रहा है. वो कहते हैं पानी का कोई मजहब नहीं होता है. पानी से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है. सीमा पातलिया कहती हैं हिन्दू-मुस्लिम बहनें सब एक साथ मिलकर लोगों की सेवा कर रही हैं. जाति-भेदभाव से उठकर पानी का कोई मजहब नहीं होता है. पानी से बड़ा कोई पुण्य नही होता है. करीब 50 बेटियां सुबह 9 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक लोगों की सेवा में लगी रहती हैं.

Tags: Barmer news, Local18

FIRST PUBLISHED : May 31, 2024, 13:18 IST

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