Rajasthan

यहां कौड़ियों के दाम बिक रही हैं सब्जियां, दो रुपए किलो टमाटर तो मुफ्त में भी मिर्च नहीं ले रहा कोई!

भारत का बाजार कब-कैसा रुख ले ले, कुछ कहा नहीं जा सकता है. कभी टमाटर इतना महंगा हो जाता है कि ढाई सौ ग्राम खरीदने ओर भी आफत आ जाती है तो कभी ये दो रुपए किलो बिकने लगता है. शादियों का सीजन खत्म हुआ नहीं कि भारत के कई सब्जी बाजारों में कौड़ियों के भाव इनकी बिक्री शुरू हो गई है. राजस्थान के दौसा में किसानों को अपनी सब्जी औने-पौने दाम में बेचनी पड़ रही है.

अभी कुछ समय पहले दौसा की सब्जी मंडियों में किसानों के चेहरे पर चमक देखने को मिल रही थी. अपनी सब्जियों के लिए उन्हें अच्छे दाम मिल रहे थे. खेतों से सब्जियां तोड़कर मंडी में लाते ही ये बिक जा रही थी. चूंकि लगन का सीजन चल रहा था, ऐसे में पार्टियों को लेकर, घर के फंक्शन को लेकर सब्जियों की डिमांड काफी थी. बाहर की मंडियों में भी सब्जियां भेजी जा रही थी. लेकिन अब एकाएक इनकी डिमांड ऐसी गिरी कि किसानों के चेहरे से ख़ुशी गायब हो गई. सुबह सब्जी लेकर मंडी आए किसान शाम तक मुफ्त में भी सब्जियां देने को तैयार नजर आ रहे हैं.

दो रुपए किलो टमाटर
एक समय था जब टमाटर डेढ़ से दो सौ रुपए किलो बिक रह था. अब वही टमाटर मंडी में दो रुपए किलो बिक रहा है. इसके बाद भी इसे खरीदने वाला कोई नहीं है. टमाटर के कई कैरट सड़ जा रहे हैं, जिसकी वजह से इन्हें जानवरों को खिलाना पड़ रहा है. बाजार में कई सब्जियों के साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है. इसकी वजह है सब्जियों का उत्पादन एक साथ बढ़ना. गर्मी आते ही सब्जियों के उत्पादन में बढ़त हुई है, जिसकी वजह से डिमांड से ज्यादा सप्लाई हो गई है. इस कारण ही इनकी कीमतें इतनी गिर गई हैं.

किसानों को हो रहा नुकसान
सुबह फ्रेश सब्जियां अगर शाम तक नहीं बिक रही हैं तो किसान इसे मंडी में ही छोड़ कर जाते नजर आ रहे हैं. बाहर की मंडियों में आवक बढ़ गई है. इस कारण लोकल किसानों को बाहर के ऑर्डर नहीं मिल रहे. सबसे खराब हालत टमाटर और मिर्च की है. हर दिन करीब सौ थैली मिर्च बिकने आती है लेकिन इसे खरीदने के लिए खरीदार नहीं मिल रहे. किसानों का कहना है कि हालत ऐसी है कि खेत से मंडी तक लाने में जितने पैसे खर्च हो रहे हैं, सब्जी बेचकर वो उसे भी वसूल नहीं पा रहे हैं.

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