बीकानेर का अनोखा राम भक्त! जिसने राम मंदिर आंदोलन की हर याद को बनाया अमूल्य धरोहर, जानें प्रेरणा की कहानी

बीकानेर. राम मंदिर केवल पत्थरों से बना एक भव्य मंदिर नहीं है, बल्कि यह सदियों के संघर्ष, आस्था, बलिदान और विश्वास की जीवंत कहानी है. एक ऐसा आंदोलन जिसने पूरे देश को आंदोलित किया, सड़कों से लेकर अदालतों तक बहस छेड़ी और करोड़ों लोगों की भावनाओं को एक सूत्र में बांध दिया. इस ऐतिहासिक संघर्ष से जुड़ी हर घटना को सहेज कर रखना हर किसी के बस की बात नहीं है. बीकानेर के सुभाषपुरा निवासी किशन सोनी एक ऐसे राम भक्त हैं, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन की पूरी यात्रा को वर्षों तक संजोकर रखा. किशन सोनी बताते हैं कि बचपन में जब उन्होंने राम मंदिर मुद्दे को लेकर देशभर में चल रहे विवादों के बारे में सुना, तभी उनके मन में इसे समझने और सहेजने की इच्छा जगी.
अखबारों की खबरों ने इतना प्रभावित किया कि उन्होंने राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी कटिंग्स संभाल कर रखनी शुरू कर दी. यही शौक धीरे-धीरे एक जुनून और फिर आस्था का संग्रहालय बन गया. आज किशन सोनी के पास राम मंदिर आंदोलन से जुड़े सैकड़ों अखबार, ऐतिहासिक कोर्ट फैसलों की प्रतियां, आंदोलन के दौरान की तस्वीरें, राजनीतिक घटनाक्रम, विवादों की खबरें और हाल ही में हुए ध्वजारोहण तक के समाचार सुरक्षित हैं. अखबारों की हर कतरन उस दौर की गवाही देती है, जब राम मंदिर मुद्दा देश की आत्मा से जुड़ा हुआ था.
डाक टिकट के साथ दुर्लभ सिक्के और दस्तावेज भी हैं मौजूद
इस संग्रह में केवल अखबार ही नहीं, बल्कि भगवान श्रीराम से जुड़े देश-विदेश के डाक टिकट, राम दरबार के पुराने सिक्के, सैकड़ों साल पुराने दुर्लभ सिक्के, कुछ ऐतिहासिक बैंक चेक और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी शामिल हैं. यह संग्रह राम मंदिर आंदोलन की भावनाओं और जनसमर्थन का जीवंत दस्तावेज है. किशन सोनी की रामभक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके इस संग्रह के लिए 15 गुणा 20 फीट की दुकान भी कम पड़ गई. उनके लिए हर अखबार सिर्फ कागज नहीं, बल्कि इतिहास का एक पन्ना है, जिसे सहेजना उनका कर्तव्य है.
किशन सोनी का संग्रहालय बन चुका है भावनाओं का धरोहर
किशन सोनी कहते हैं कि भगवान श्रीराम केवल देश के आराध्य नहीं, बल्कि सदियों के संघर्ष और करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक हैं. राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी घटना इतिहास का हिस्सा है, जिसे सहेज कर रखना जरूरी है. उनका उद्देश्य साफ है कि आने वाली पीढ़ियां राम मंदिर निर्माण से जुड़ी इस ऐतिहासिक यात्रा को देख सकें, समझ सकें और उस दौर की भावनाओं को महसूस कर सकें. यह संग्रह केवल व्यक्तिगत आस्था नहीं, बल्कि जन-जन की भावनाओं की धरोहर है. आज बीकानेर में किशन सोनी का यह संग्रह आस्था, इतिहास और स्मृतियों का संगम बन चुका है. जहां हर कतरन, हर सिक्का और हर दस्तावेज राम मंदिर आंदोलन की कहानी खुद बयां करता है.



