गौशाला में हाईटेक सिस्टम, गर्मियों में लगे थे पंखे, अब सर्दियों में उड़ाए जाएंगे कंबल, पानी पर खर्च हुए 1 लाख रुपए

जयपुर. राजधानी जयपुर से 30 किलोमीटर दूर चौमू में प्राचीन गढ़ परिसर में एक हाईटेक गौशाला संचालित हो रही है. चौमू शहर में स्थित यह श्री पशुपतिनाथ गोशाला शहर की प्रमुख गौशाला है. इस गौशाला मे अब तक जन सहयोग से गायों की सुविधा के लिए नई तकनीक का उपयोग किया गया है. इस गौशाला में मुख्य रूप से नल से जल हाईटेक विधि अपना कर 110 गायों के लिए 24 घंटे ताजा पानी उपलब्धता की व्यवस्था की गई है. यह गौशाला करीब 10 साल से संचालित हो रही है. इसके अलावा गौशाला में जन सहयोग से चारा सहित अन्य प्रकार की व्यवस्था की जा रही है.
व्यवस्थापक ने बताया कि गौशाला में गायों को 24 घंटे पीने का पानी उपलब्ध कराने की विधि में एक लाख रुपए की लागत से यह व्यवस्था शुरू की गई है. इस हाइटेक विधि में टंकी लगाकर सभी को भूमिगत पाइप लाइन से जोड़ा गया है. उन्होंने बताया कि 2 टंकियों और 10 इंच चौड़े 53 सीमेंट के पाइपों को दो गायों के मध्य दो से तीन फीट ऊंचे टैंक में खड़े कर उन्हें भूमिगत पाइपों से जोड़ा गया है. गायों के लिए सभी टैंक में समानांतर पानी भरा रहेगा. इसमें जब भी गाय को प्यास लगने पर आसानी से पानी पी सकेंगी.
देसी गायों का मिलता है दूधश्री पशुपतिनाथ गोशाला में वर्तमान में छोटी-बड़ी 110 गाय हैं. इनमें से 20 गायों से 10 किलो दूध प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है. इस दूध को 60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. गौशाला में महीने दूध-घी आदि की बिक्री से प्रतिमाह करीब 36 हजार रुपए की आय भी हो रही है. इसी आय से गौशाला में गायों की देखरेख की जाती है.
3100 रुपए में होती है गायों के लिए सवामणीश्री पशुपतिनाथ गोशाला के व्यवस्थापक ने बताया कि गौशाला में 3 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं. सूखे व हरे चारे की व्यवस्था जन सहयोग से की जाती है. यहां 3100 रुपए में धर्मार्थियों द्वारा गायों के लिए सवामणी की जाती है. सवामणी में एक बड़े कड़ाव में लापसी बनाई जाती है. बड़े कड़ाव जैसे बर्तन में ही गायों में एक साथ खिलाया जाता है. धर्मार्थियों द्वारा रुपए जमा करवाने पर गौशाला कर्मी स्वयं ही सारी व्यवस्था करते हैं.
सर्दियों में कंबल ओढ़ाते हैं, गर्मी में चलाते हैं पंखेगौशाला में सहयोग करने वाले कृष्णमुरारी पारीक ने बताया कि सर्दी के मौसम में सर्दी से बचाव के लिए गायों को कंबल ओढ़ाए जाते हैं. वहीं गर्मी के दिनों में 50 पंखे चला कर गर्मी से बचाव किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 1, 2024, 11:24 IST