उदयपुर दरबार का ऐतिहासिक बुलावा, 300 साल बाद राजपुरोहितों का सिटी पैलेस में सम्मान

Last Updated:March 27, 2025, 15:08 IST
वणदार गाँव के 55 वर्षीय राजपुरोहित दारा सिंह ने बताया कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के साथ लड़ते हुए नारायण दास राजपुरोहित वीरगति को प्राप्त हुए थे. उसके बाद मेवाड़ के महाराणा मौकल ने वीरता और बलिदान…और पढ़ेंX
उदयपुर
300 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद उदयपुर के सिटी पैलेस से भेजे गए ऐतिहासिक बुलावे के तहत बुधवार को मेवाड़ के गेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गाँवों के 130 से अधिक बुजुर्ग राजपुरोहित सिटी पैलेस पहुंचे. डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने उनका ससम्मान स्वागत किया और शंभू निवास ले जाकर परंपरागत सत्कार किया.
वणदार गाँव के 55 वर्षीय राजपुरोहित दारा सिंह ने बताया कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के साथ लड़ते हुए नारायण दास राजपुरोहित वीरगति को प्राप्त हुए थे. उसके बाद मेवाड़ के महाराणा मौकल ने वीरता और बलिदान के सम्मान में वंशजों को गेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गाँव जागीर में प्रदान किए थे. ये गाँव सदियों से मेवाड़ का अभिन्न हिस्सा रहे हैं. सिटी पैलेस से इनके गहरे संबंध रहे हैं.
राखी-चूंदड़ की परंपरा और 300 वर्षों का इंतजारपूर्व में, इन गाँवों की बहन-बेटियाँ हर वर्ष सिटी पैलेस में राखी भेजती थीं, जिसके बदले में राजमहल से उनके लिए चूंदड़ (परंपरागत चुनरी) भेजी जाती थी. यह परंपरा लंबे समय तक चलती रही, लेकिन तीन शताब्दियों पूर्व यह अचानक समाप्त हो गई. इसके बावजूद, इन गाँवों की महिलाओं ने अगली तीन दशकों तक राखी भेजना जारी रखा.इस उम्मीद में कि दरबार की ओर से फिर से जवाब मिलेगा.जब पैलेस की ओर से कोई उत्तर नहीं आया, तो गाँवों के बुजुर्गों ने यह निर्णय लिया कि जब तक स्वयं सिटी पैलेस से बुलावा नहीं आएगा, तब तक कोई भी राजपुरोहित महल में प्रवेश नहीं करेगा.
डॉ. लक्ष्यराज ने फिर जोड़ा इतिहास से रिश्ताअरविंद सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके पुत्र डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने इस परंपरा को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया.उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इन गाँवों को आमंत्रित किया, जिससे 300 वर्षों से ठहरी हुई परंपरा पुनः जीवंत हो उठी.
गाँवों में उत्साह भव्य स्वागत समारोहपांचों गाँवों से पाँच बसों में सवार होकर 130 से अधिक बुजुर्ग सिटी पैलेस पहुंचे.शंभू निवास में उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया. इस आयोजन ने मेवाड़ के गौरवशाली अतीत को फिर से जीवंत कर दिया और रिश्तों की डोर को मजबूती से बांधने का कार्य किया. यह ऐतिहासिक पहल न केवल बीते 300 वर्षों से ठहरे संबंधों को पुनर्जीवित करने का प्रयास है. बल्कि मेवाड़ की सांस्कृतिक विरासत और गौरव को सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है.
Location :
Udaipur,Rajasthan
First Published :
March 27, 2025, 15:08 IST
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