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historic Rath Yatra Rajasthan lakhs of devotees participate know details

Last Updated:April 15, 2025, 13:26 IST

महावीर जी अतिशय क्षेत्र में निकलने वाली यह शाही रथयात्रा हर साल वैशाख कृष्ण द्वितीया के दिन आयोजित की जाती है. यह आयोजन महावीर जी के सालाना लक्खी मेले के अंतिम दिन होता है और इसी के साथ मेले का समापन होता है.X
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भगवान महावीर की शाही रथयात्रा 

हाइलाइट्स

करौली में महावीर जी की शाही रथयात्रा का आयोजन होता है.भगवान महावीर का स्वर्ण रथ प्रशासनिक अधिकारी चलाते हैं.रथयात्रा में जैन, मीणा और गुर्जर समुदाय के लोग शामिल होते हैं.

करौली:- राजस्थान के करौली जिले में स्थित धार्मिक स्थल महावीर जी, जो देशभर में अहिंसा नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां हर साल एक बेहद खास और भव्य रथयात्रा का आयोजन होता है. भगवान महावीर की यह शाही रथ यात्रा हर साल देशभर के श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र रहती है.

महावीर जी अतिशय क्षेत्र में निकलने वाली यह शाही रथयात्रा हर साल वैशाख कृष्ण द्वितीया के दिन आयोजित की जाती है. यह आयोजन महावीर जी के सालाना लक्खी मेले के अंतिम दिन होता है और इसी के साथ मेले का समापन होता है. इस दिन भगवान महावीर स्वर्ण रथ (सोने के रथ) में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस खास मौके पर लाखों श्रद्धालु करौली पहुंचते हैं और भगवान महावीर के दर्शन कर पुण्य अर्जित करते हैं.

प्रशासनिक अधिकारी बनते हैं सारथी इस रथयात्रा की सबसे अनोखी बात यह है कि भगवान के रथ के सारथी खुद प्रशासनिक अधिकारी बनते हैं. मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल के अनुसार, यह परंपरा भगवान महावीर की शाही रथयात्रा वर्षों से चली आ रही है और श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है. मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुधांशु कसरीवाल ने लोकल 18 को बताया कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है.

सौहार्द की मिसाल है यह यात्रायह रथयात्रा न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और सौहार्द की मिसाल भी है. इसमें जैन समाज के अलावा मीणा और गुर्जर समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं. रथयात्रा की शुरुआत में मीणा समाज के लोग हाथों में लाठी-डंडे लेकर पारंपरिक गीत गाते हुए चलते हैं.

वहीं वापसी में गुर्जर समाज के लोग विशेष गीतों के माध्यम से भगवान को रिझाते हैं. इस शाही रथयात्रा के आगे-आगे नाचती हुई घोड़ियां चलती हैं, जो इस यात्रा का मुख्य आकर्षण होती हैं. रथयात्रा के अंत में भगवान महावीर का स्वर्ण रथ चलता है, जिसकी एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु बेसब्री से इंतजार करते हैं.

पंचामृत से होता है जलाभिषेकइस दौरान भगवान महावीर को गंभीर नदी के किनारे ले जाकर पंचामृत से जलाभिषेक किया जाता है. यह पूजन केवल साल में एक बार इसी दिन होता है. मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुधांशु कसरीवाल का कहना है कि यह रथयात्रा श्रद्धा, भक्ति और भाईचारे का अद्भुत संगम है, जिसे देखने देश ही नहीं, विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं.

Location :

Karauli,Rajasthan

First Published :

April 15, 2025, 13:26 IST

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साल में सिर्फ एक बार निकलती है ये ऐतिहासिक रथयात्रा, लाखों श्रद्धालु लेते भाग

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