Rajasthan

ब्रिटिश दौर का ऐतिहासिक टाइमकीपर जो आज भी गूंजता है इतिहास की तरह

Last Updated:November 06, 2025, 12:45 IST

Kota Bailey Tower History: कोटा का घंटाघर या “बेली टॉवर” 1889 में ब्रिटिश अधिकारी कर्नल बेली द्वारा शुरू करवाया गया था और 1940 में पूरा हुआ. जब आम जनता के पास घड़ियाँ नहीं थीं, तब यह टॉवर पूरे शहर को समय बताने का साधन बना. आज भी यह कोटा की ऐतिहासिक धरोहर और स्थापत्य गौरव का प्रतीक है, जिसके चारों ओर शहर का मुख्य बाजार बसा हुआ है.

देवेन्द्र सैन.

Kota Bailey Tower History: राजस्थान के कोटा शहर के हृदय में स्थित घंटाघर, जिसे “बेली टॉवर” (Bailey Tower) के नाम से भी जाना जाता है, शहर की ऐतिहासिक और स्थापत्य पहचान का प्रतीक है. बदामी रंग के पत्थरों से निर्मित यह विशाल इमारत अपनी ऊँचाई, चार दिशाओं में लगी घड़ियों और दूर तक गूंजने वाली घंटियों के लिए प्रसिद्ध है.

इतिहासकार फिरोज़ अहमद के अनुसार, घंटाघर का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कर्नल बेली नामक अंग्रेज अधिकारी ने प्रारंभ करवाया था, जो उस समय कोटा के पॉलिटिकल एजेंट थे. इसका निर्माण कार्य सन् 1889 में शुरू हुआ और महाराव उम्मेद सिंह जी के शासनकाल में सन् 1940 में पूरा हुआ. कर्नल बेली के सम्मान में इसे “बेली टॉवर” नाम दिया गया. इस टॉवर में लगी घड़ियाँ इंग्लैंड से मंगवाई गई मशीनों से तैयार की गई थीं.

जब घड़ी खरीदना विलासिता थीउस दौर में जब आम लोगों के घरों में घड़ी होना दुर्लभ बात थी, तब यह टॉवर पूरे शहर को समय बताने का प्रमुख साधन था. कहा जाता है कि पहली बार इसका घंटा 1893 में बजा था, और तब से लेकर आज तक इसकी ध्वनि कोटा की पहचान बन चुकी है. यह टॉवर सिर्फ समय ही नहीं बताता था, बल्कि सामाजिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा था.

महाराव उम्मेद सिंह की दूरदृष्टिमहाराव उम्मेद सिंह जी, जिन्हें “कोटा का आधुनिक निर्माता” कहा जाता है, ने इस स्मारक को शहर के केंद्र में बनवाकर समय की सटीकता और स्थापत्य सौंदर्य का अनोखा मेल प्रस्तुत किया. निर्माण पूर्ण होने के बाद इसकी चाबी नगर पालिका उपाध्यक्ष रघुनाथ दास चौबे को सौंपी गई थी.

आज भी कोटा की धड़कनघंटाघर का बाजार, जो इस टॉवर के चारों ओर फैला है, आज कोटा का सबसे व्यस्त बाजार है. यहाँ विवाह से लेकर जन्म तक हर अवसर का सामान उपलब्ध है — पारंपरिक लिबास, आभूषण, मिठाइयाँ, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ और सब्ज़ी मंडी तक. जब भी घंटाघर की घड़ी बजती है, ऐसा लगता है मानो इतिहास फिर से जीवंत हो उठा हो. बदामी पत्थर से बनी यह इमारत आज भी उतनी ही मज़बूती से खड़ी है, जितनी अपने निर्माण के समय थी — कोटा की पहचान और समय का प्रतीक.

Location :

Kota,Kota,Rajasthan

First Published :

November 06, 2025, 12:45 IST

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घड़ी नहीं थी तो बना दिया घंटाघर, जानिए कोटा के बेली टॉवर की कहानी

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