इतिहास, बद्दी मेला और सांस्कृतिक विरासत

Last Updated:November 09, 2025, 17:53 IST
धौलपुर का शरद महोत्सव, जिसे रियासत काल में बद्दी का मेला भी कहा जाता था, 1892 में महाराजा निहाल सिंह के समय शुरू हुआ था. यह मेला शरद पूर्णिमा से छोटी दीपावली तक आयोजित होता था. मेला दो भागों में होता है—पहले पशु मेला, जिसमें देश-विदेश से उत्तम नस्ल के पशु लाए जाते थे, और उसके बाद मनोरंजन तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों वाला भाग.
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धौलपुर. वैसे तो राजस्थान को गढ़ और किलों का राज्य कहा जाता है, और इसी राजस्थान में रियासत काल के समय मेलों का आयोजन किया जाता था. एक ऐसा ही मेला है धौलपुर का में भी भरता है जिसका नाम है शरद महोत्सव, जिसे रियासत काल के समय बद्दी का मेला भी कहा जाता था. यानी कि बैलों की जोड़ी वाला मेला. शरद महोत्सव का मेला 1892 में धौलपुर रियासत के समय महाराजा निहाल सिंह के शासनकाल में शुरू हुआ था. रियासत काल में यह मेला शरद पूर्णिमा से शुरू होकर छोटी दीपावली तक चलता था. वर्तमान समय में मेले के शुरू होने का कोई निर्धारित समय नहीं है.
राजा राजवाड़ो के समय शरद महोत्सव के उपलक्ष्य में फ्लैग होस्टिंग भी की जाती थी. फ्लैग होस्टिंग के बाद ही शरद महोत्सव का मेला शुरू होता था. शरद महोत्सव के मेले में सबसे पहले पशु मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से उत्तम नस्ल के पशु आते हैं और उनका क्रय-विक्रय किया जाता है. यह पशु मेला लगभग 10 दिन चलता है, और इसके बाद मनोरंजन वाला शरद महोत्सव शुरू होता है.
यूपी और एमपी से आते थे व्यापारी
इस रियासत कालीन शरद महोत्सव में धौलपुर से ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक के व्यापारी व्यापार करने आते थे. इतिहासकार अरविंद कुमार शर्मा बताते हैं कि रियासत काल में शरद महोत्सव के दौरान जब मेले में लगने वाली दुकानों का सामान बिक नहीं पाता था, तो धौलपुर रियासत के राजा बचे हुए सामान को खुद दुगने दामों में खरीद लेते थे, ताकि व्यापारियों को मेले के दौरान आर्थिक तंगी और नुकसान का सामना न करना पड़े.
शरद महोत्सव के मेले के दौरान सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जाता रहा है. धौलपुर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन इसी शरद महोत्सव की देन है. गोपाल दास, संतोष आनंद, कुमार विश्वास जैसे बड़े कवि और गीतकार भी शरद महोत्सव में आकर इसकी शोभा बढ़ा चुके हैं. रियासत काल के समय इस मेला का आयोजन नरसिंह बाग रोड पर किया जाता था. वर्तमान समय में यह मेला मेला ग्राउंड, नगर परिषद के पास शिफ्ट कर दिया गया है. अरविंद कुमार शर्मा कहते हैं कि रियासत काल से, राजा राजवाड़ो के समय से चला आ रहा यह शरद महोत्सव उचित प्रोत्साहन के अभाव और प्रशासन की अनदेखी के कारण अब अपनी अंतिम सांस ले रहा है.
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
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Location :
Dhaulpur,Rajasthan
First Published :
November 09, 2025, 17:53 IST
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धौलपुर का शरद महोत्सव… इतिहास, बद्दी मेला और सांस्कृतिक विरासत



