History Class: शत्रु का तंबू उखाड़ लाते थे राणा सांगा, उनके नाम पर क्यों मचा है बवाल?

Last Updated:March 26, 2025, 17:51 IST
History Class, General Knowledge: इन दिनों राणा सांगा का नाम सुर्खियों में है. सपा सांसद रामजी लाल सुमन के राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान के बाद राजनीतिक बवाल मच गया है.
General Knowledge, Rana Sanga: राणा सांगा की कहानी.
हाइलाइट्स
राणा सांगा ने 100 युद्ध लड़े, एक को छोड़कर सभी जीते.सपा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान पर विवाद.बाबर ने भी किया है बहादुरी का जिक्र.
History Class, General Knowledge: राजनीतिक बयानबाजी जारी थी कि इसी बीच आगरा में रामजी लाल सुमन के घर के बाहर करणी सेना ने प्रदर्शन कर तोड़फोड़ भी की. इससे पहले कई राजनीतिक दलों ने उनके बयान पर आपत्ति जताई थी. ऐसे में आइए जानते हैं कि राणा सांगा कौन थे और उन्होंने कितनी लड़ाइयां लड़ी थीं?
राणा सांगा राजस्थान के मेवाड़ के रहने वाले थे. उनका असली नाम महाराजा संग्राम सिंह था. वह सिसोदिया वंश के महाराणा रायमल के छोटे बेटे थे. रायमल के पिता का नाम महाराणा कुंभा था. राणा सांगा मेवाड़ के पहले ऐसे शासक थे, जिन्होंने अपने आसपास की रियासतों पर विजय प्राप्त की और मेवाड़ का परचम बुलंद किया. उनकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह वीर योद्धा महाराणा प्रताप के दादा थे. राणा सांगा ने अपने जीवन में 100 युद्ध लड़े, और एक को छोड़कर उन्होंने सभी लड़ाइयां जीतीं. इतिहासकारों के अनुसार, 30 जनवरी 1528 को चित्तौड़गढ़ में उन्हें जहर देकर मार दिया गया. उनकी मृत्यु के समय उनकी उम्र 45 से 46 वर्ष के आसपास थी.
शत्रु का तंबू ही उखाड़ लाते थे राणा सांगाइतिहासकारों के अनुसार, जब भी राणा सांगा किसी युद्ध में जीत हासिल करते थे, तो वह सबूत के तौर पर शत्रु के तंबू उखाड़कर अपने साथ लाते थे. 1527 में कमल खान लोधी से बयाना की लड़ाई में, जब उन्होंने सैन्य शिविर पर आक्रमण किया, तो लोधी के तंबू को अपने साथ ले गए. इतिहासकार डॉ. गौरी शंकर ओझा की पुस्तक ‘वीर शिरोमणि महाराणा सांगा’ में राणा सांगा के एक अन्य युद्ध का उल्लेख किया गया है, जिसमें बताया गया कि जब राणा सांगा और महमूद खिलजी के बीच युद्ध हुआ, तो उन्होंने खिलजी को पराजित करने के बाद मालवा का आधा राज्य देकर विदा किया. इसी तरह, राणा सांगा ने मांडू के सुल्तान को तीन महीने तक कैद में रखा और बाद में उसे छोड़ दिया.
बाबर ने किया था उनकी बहादुरी का जिक्रमुगल शासक बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ में राणा सांगा की बहादुरी का जिक्र किया है. 1527 ईस्वी में भरतपुर के खानवा में बाबर और राणा सांगा के बीच भयंकर युद्ध हुआ. राणा सांगा ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने एक हाथ, एक पैर और एक आंख गंवाने के बाद भी युद्ध जारी रखा. उनके शरीर पर 80 गहरे घाव थे, फिर भी वह लगातार लड़ते रहे. उनकी मृत्यु के बाद भी मुगलों और राजपूतों के बीच संघर्ष जारी रहा, जिसे आगे चलकर उनके पोते महाराणा प्रताप ने आगे बढ़ाया.
क्यों मचा है विवाद?दरअसल, सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने कहा कि इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा बाबर को लेकर आए थे. उन्होंने कहा, ‘मुसलमान तो बाबर की औलाद हैं, तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो.’ उन्होंने यह भी कहा कि हम बाबर की आलोचना तो करते हैं, लेकिन राणा सांगा की नहीं करते. उनके इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.
First Published :
March 26, 2025, 16:06 IST
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शत्रु का तंबू उखाड़ लाते थे राणा सांगा, उनके नाम पर क्यों मचा है बवाल?