बीकानेर राती घाटी युद्ध का इतिहास और विजय दिवस की कहानी.

Last Updated:October 31, 2025, 16:18 IST
Bikaner News Hindi : बीकानेर में 500 साल पहले लड़ा गया राती घाटी युद्ध इतिहास का वो अध्याय है, जिसने भारत की सीमाओं को सुरक्षित किया. राव जेतसी ने बैलों और ऊंटों पर मशालें बांधकर मुगल सेना को भ्रमित किया और रात के अंधेरे में जंग जीत ली. इसी ऐतिहासिक विजय को अब 1 नवंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
बीकानेर : आपने बाहुबली फिल्म तो देखी होगी. इस फिल्म में एक सीन में बेलों के सींग पर आग लगाकर भगाया गया. जिससे दुश्मन बंट जाते हैं. यह सीन बीकानेर में करीब 500 साल पहले हुए राती घाटी युद्ध में दिखाए गए हैं. इस युद्ध में बैलों और ऊंटों पर आग जलाकर दुश्मनों को भ्रमित कर यह जंग को जीता गया था. ऐसे में अब बीकानेर में एक नवंबर को राती घाटी युद्ध का विजय दिवस मनाया जाएगा.
भारत के इतिहास में कई युद्ध हुए हैं लेकिन उनमें से कुछ युद्ध ऐसे रहे जो देश की सीमाओं और भविष्य को हमेशा के लिए बदल गए. बीकानेर का राती घाटी युद्ध भी ऐसा ही एक युद्ध था जो 26 अक्टूबर 1534 को लड़ा गया. यह युद्ध बीकानेर नरेश राव जेतसी और लाहौर के शासक कामरान के बीच लड़ा गया. इस युद्ध को बीकानेर के इतिहास का सबसे बड़ा और भीषण युद्ध माना जाता है जिसमें हजारों सैनिकों ने जान गंवाई है.
खानवा के बाद कामरान ने बीकानेर पर बोला हमलाइस युद्ध में राव जेतसी की सेना के साथ-साथ राजपूताना, गुजरात, सिंध और मध्यप्रदेश की कई रियासतों की सेनाओं ने भाग लिया. युद्ध का कारण राणा सांगा की सहायता करना था. राव जेतसी ने खानवा युद्ध में राणा सांगा की मदद की थी जिससे नाराज होकर अकबर के पुत्र कामरान ने बीकानेर पर आक्रमण कर दिया. युद्ध सौभागदीप क्षेत्र में लड़ा गया जहां लाल मिट्टी की खदाने होने के कारण इसे राती घाटी कहा जाता है.
रात के अंधेरे में राव जेतसी की चाल से हारे मुगलइतिहासकार जानकीनारायण श्रीमाली बताते हैं कि इस युद्ध में राव जेतसी और उनकी प्रजा ने एक अनूठी रणनीति अपनाई. उन्होंने बैलों और ऊंटों के ऊपर मशालों को बांध दिया और नगाड़े बजवाए जिससे मुगल सेना भ्रमित हो गई. रेगिस्तान में धूल का गुबार और रात का अंधेरा कामरान की सेना को दिशाहीन कर गया. इस मौके का फायदा उठाकर राव जेतसी ने रात 12 बजे हमला कर दिया और सुबह तक युद्ध खत्म हो गया.
राव जेतसी की जीत से सुरक्षित हुई राजस्थानी सीमाएंइस युद्ध में कामरान के पास 24 हजार सैनिक थे जबकि जेतसी की सेना 15 हजार की थी. लेकिन रणनीति और स्थानीय भौगोलिक जानकारी के चलते राव जेतसी ने विजय हासिल की. अगर यह युद्ध हार जाते तो नागौर से लेकर अजमेर तक का क्षेत्र मुस्लिम अधिपत्य में चला जाता. इतिहासकार मानते हैं कि इस युद्ध ने न केवल बीकानेर बल्कि भारत की सीमाओं को भी सुरक्षित किया.
Rupesh Kumar Jaiswal
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें
Location :
Bikaner,Rajasthan
First Published :
October 31, 2025, 16:18 IST
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बीकानेर का राती घाटी युद्ध, जब आग से राव जेतसी ने मुगलों को हराया



