हिटलर की कब्र: बर्लिन में साधारण पार्किंग स्थल पर स्थित है.

Last Updated:March 19, 2025, 11:17 IST
Hitler’s Final Resting Place: जर्मनी के क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर की कब्र बर्लिन में एक साधारण पार्किंग स्थल में है. साल 2006 में जर्मन सरकार ने इसका खुलासा किया था. सरकार ने इस जगह को तीर्थस्थल बनने से रोकने …और पढ़ें
जर्मनी के क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर की कब्र बर्लिन में एक साधारण पार्किंग स्थल में है.
हाइलाइट्स
जर्मनी के क्रूर तानाशाह हिटलर की कब्र बर्लिन में एक साधारण पार्किंग स्थल में हैजर्मन सरकार ने 2006 में हिटलर के अंतिम विश्राम स्थल का खुलासा कियातीर्थस्थल बनने से रोकने के लिए जगह को साधारण बनाए रखा सरकार ने
Hitler’s Final Resting Place: जब कोई व्यक्ति अच्छे कामों के लिए जाना जाता है तो आप कल्पना कर सकते हैं कि उसकी कब्र कैसी दिखती होगी. वो एक मकबरे जैसी दिखती होगी, अगर नहीं तो उस व्यक्ति को समर्पित एक भरा-पूरा पार्क तो होगा ही. लोग उस व्यक्ति की उपलब्धियों का जश्न मनाने और उसकी याद में मोमबत्ती जलाने के लिए आते होंगे. कुछ लोगों की उपलब्धियां इतनी बड़ी होती हैं कि सरकारें उनके सम्मान में सार्वजनिक अवकाश रखती हैं. लेकिन एडोल्फ हिटलर जैसे व्यक्ति के बारे में क्या कहा जाए. जो लाखों यहूदियों की मौत के लिए जिम्मेदार है. बहरहाल जर्मन सरकार ने 2006 तक हिटलर के अंतिम विश्राम स्थल के बारे में चुप रहना ही बेहतर समझा. फिर उन्होंने खुलासा किया कि हिटलर को बर्लिन में ऐसी जगह दफनाया गया था, जहां एक साधारण पार्किंग स्थल है.
कैसे हुई हिटलर की मौतसाल 1945 की शुरुआत में, जब ऐसा लगा कि जर्मन द्वितीय विश्व युद्ध हार रहे हैं, हिटलर और उनके भरोसेमंद नाजी नेताओं और उनके परिवारों का एक समूह बर्लिन में हवाई हमले से बचने के लिए बनाए गए एक बंकर में भूमिगत हो गए. इस बंकर को फ्यूहररबंकर के नाम से जाना जाता है, जो उनके मुख्यालय में स्थित था. यहीं पर वह द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम सप्ताह तक रहा, जहां उसने 29 अप्रैल को ईवा ब्राउन से शादी की और फिर दो दिन से भी कम समय बाद दोनों ने मिलकर आत्महत्या कर ली. बाद में हिटलर और उसकी पत्नी को बंकर से बाहर निकाला गया और उनके शवों को पास के बगीचे में जला दिया गया. हिटलर की मौत के बाद, सोवियत ने आस-पास की इमारतों को जला दिया, जो उस समय नाजी अभियानों का हिस्सा थीं, लेकिन वे बंकर को नष्ट नहीं कर सके. बर्लिन की दीवार गिरने तक यह क्षेत्र वीरान पड़ा रहा और सरकार को कई ऐसे सबूत मिले, इससे उन्हें पता चला कि ये जगह हिटलर का अंतिम घर था.
2006 में जर्मन सरकार द्वारा साइट पर लगाया गया सूचना बोर्ड,
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डर था तीर्थस्थल न बन जाएउन्होंने बंकर के कुछ हिस्सों को नष्ट करने का प्रयास किया. बंकर की खोज का मतलब था कि उन्होंने हिटलर के अंतिम विश्राम स्थल की खोज कर ली थी. जर्मन सरकार को डर था कि इस जानकारी की घोषणा करने से दुनिया भर के नव-नाजी हिटलर को श्रद्धांजलि देने के लिए आकर्षित होंगे. सबसे बुरी बात यह थी कि वे उस क्षेत्र को एक तीर्थस्थल में बदल देंगे. नव-नाजी हिटलर को इस तरह याद करेंगे जैसे कि वह नायक था. इसके बजाय, जर्मन सरकार ने इस स्थान के बारे में चुप रहने का फैसला किया. क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इस क्षेत्र में कोई इमारत नहीं बनाई गई थी, इसलिए सरकार ने इस क्षेत्र के चारों ओर साधारण से दिखने वाले कार्यालय, अपार्टमेंट और एक पार्किंग स्थल बनाया ताकि इसे यथासंभव साधारण और सामान्य बनाया जा सके. ऐसा करने से किसी को भी यह संदेह नहीं हुआ कि, उसके नीचे लाखों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्ति का अंतिम विश्राम स्थल था.
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2006 में दी मृत्यु स्थल को मान्यतासरकार ने साल 2006 तक हिटलर के अंतिम विश्राम स्थल के बारे में चुप्पी साधे रखी थी. हालांकि, जब जर्मन सरकार ने इस बात घोषणा का तो उसमें किसी तरह की औपचारिकता नहीं थी. जर्मनी में 2006 के फीफा विश्व कप से एक दिन पहले बर्लिन की राज्य सरकार ने हिटलर के मृत्यु स्थल को मान्यता देने का फैसला किया. उन्होंने चुपचाप हिटलर की मृत्यु के स्थान की पहचान बताने वाली पट्टिका को ‘इन डेन मिनिस्टरगार्टन’ और ‘गर्ट्रूड-कोलमार-स्ट्रैस’ के चौराहे पर पार्किंग स्थल पर लगाने का विकल्प चुना. पट्टिका में इस जगह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, किसी भी अफवाह को दूर करने के लिए पर्याप्त जानकारी और बंकर का एक डायग्राम शामिल था.
पहले ऐसा दिखता था हिटलर की कब्र वाला इलाका.
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एक साधारण सड़क पर मौजूदयुद्ध के बाद, जर्मनी को खुद को फिर से खड़ा करने की जरूरत थी. लाखों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार होने और युद्ध के दौरान जिन देशों को उन्होंने नुकसान पहुंचाया था, उनसे घिरे होने के कारण, उन्हें हिटलर की किसी भी याद को मिटाने की जरूरत थी. यह जानते हुए कि हिटलर के समर्थक बने हुए हैं, उन्हें डर था कि उसका अतीत स्मारकों और तीर्थस्थलों के रूप में उन्हें परेशान करने के लिए वापस आ जाएगा. जर्मनी में हिटलर का तीर्थस्थल होना नाजी शासन के तहत मारे गए लोगों और उनके जीवित परिवार के सदस्यों के लिए बेहद कष्टदायक है. सरकार स्पष्ट रूप से हिटलर द्वारा किए गए कार्यों का जश्न नहीं मनाती है. साथ ही इस क्षेत्र को साधारण बनाए रखकर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वे हिटलर को एक नायक या लोकप्रिय व्यक्ति में बदलना नहीं चाहते हैं जिसे उसके समर्थक श्रद्धांजलि दे सकें.
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हटाई गई थी माता-पिता की कब्रवहीं, दूसरी ओर साल 2012 में ऑस्ट्रिया में एडोल्फ हिटलर के माता-पिता अलोइस और क्लारा की कब्र पर लगे पत्थरों को हटा दिया गया, ताकि दक्षिणपंथियों द्वारा इसका उपयोग तीर्थस्थल के रूप में बंद किया जा सके. यह कब्र लिंज़ शहर से 10 किमी दूर लियोनडिंग में है. लियोनडिंग के मेयर वाल्टर ब्रूनर ने बताया कि परिवार के एक वंशज ने यह निर्णय लिया था. एडोल्फ हिटलर का जन्म 100 किमी दूर ब्राउनाऊ के पास हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश बचपन लियोनडिंग में बिताया. पादरी कर्ट पिटरशैचर ने कहा, “जैसे-जैसे समय बीतता गया, कब्र का रखरखाव कठिन होता गया. कब्र का दुरुपयोग समर्थकों की सभाओं के लिए होता रहा.” यह पता नहीं चल पाया है कि कब्र में रखे अवशेषों का क्या हुआ. अब उस जगह पर एक सफेद बजरी का चौक और एक पेड़ है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 19, 2025, 08:28 IST
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कहां है जर्मनी के क्रूर तानाशाह हिटलर की कब्र, क्या वहां जाते हैं लोग?