1,000 गुना सस्ती हो सकती है एचआईवी AIDS की दवा, अमेरिकी कंपनी ने बनाई असरदार वैक्सीन
अगर सब कुछ ठीक रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जानलेवा और लाइलाज बीमारी एड्स का भी सस्ता और असरदार इलाज आम लोगों तक उपलब्ध होगा. अमेरिकी फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी गिलियड (Gilead) ने एचआईवी की बेहद असरदार एंटीरेट्रोवायरल लेनाकापाविर (Lenacapavir) तैयार की है. इस दवा को एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर के रूप में देखा गया है. इसे साल में दो बार टीके के रूप में दिया जाता है. लेकिन अभी यह दवा बहुत महंगी है. आम आदमी की पहुंच से बाहर है. इसकी दो खुराक की कीमत 40,000 डॉलर (लगभग साढ़े 33 लाख रुपये) बैठती है. निश्चित ही इतनी महंगी दवा को हर आदमी इस्तेमाल नहीं कर सकता है. वर्तमान में अमेरिका, फ्रांस, नॉर्वे और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में एचआईवी के उपचार पर मरीजों को हर साल 40,000 डॉलर से अधिक का खर्च करने पड़ते हैं.
इस बीच एक अच्छी खबर आ रही है कि वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि एचआईवी की दवा की लागत को कहीं हद तक कम किया जा सकता है. इस समय इसकी कीमत जो प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 40,000 डॉलर से अधिक है, उसे कम से कम 40 डॉलर (लगभग 3,300 रुपये) में बनाया जा सकता है. अमेरिकी फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी गिलियड (Gilead) द्वारा विकसित एंटीरेट्रोवायरल दवा लेनाकापाविर (Lenacapavir) को एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर के रूप में देखा गया है.
शुरूआती ट्रायल में पाया गया है कि एचआईवी संक्रमण को रोकने में यह वैक्सीन 100 प्रतिशत असरदार है. इसे एक साल में केवल दो बार इंजेक्ट करने की आवश्यकता होती है.
साल में 2 बार लगवा लें ये इंजेक्शन, नहीं होगा AIDS, HIV से 100 फीसदी सुरक्षा
ब्रिटेन के लिवरपूल विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता एंड्रयू हिल ने बताया कि यह वैक्सीन एक टीका लगाने जैसी है. इस नई रिचर्स को एंड्रयू हिल ने म्यूनिख में आयोजित अंतरराष्ट्रीय एड्स सम्मेलन में प्रस्तुत किया. रिसर्च में देखा गया कि अगर दवा निर्माता गिलियड (Gilead) ने सस्ते जेनेरिक (Generic) इंजेक्शन के निर्माण की अनुमति दी तो दवा बनाने की लागत कितनी कम हो सकती है. शोध के अनुसार, एक साल की दवा को कम से कम 40 डॉलर में बनाया जा सकता है, जो कि मौजूदा कीमत से 1,000 गुना कम है.
एंड्रयू हिल ने कहा कि यदि यह दवा एचआईवी से संक्रमित होने के अधिक जोखिम वाले लोगों – जैसे समलैंगिक या बायसेक्सुअल, यौनकर्मियों, कैदियों या विशेष रूप से अफ्रीका में युवा महिलाओं को दी जाती है तो यह मूल रूप से एचआईवी संक्रमण को बंद कर सकती है. इस दवा की मदद से हम वास्तव में महामारी को कंट्रोल कर सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पिछले वर्ष 13 लाख नए एचआईवी संक्रमण हुए, जबकि लगभग 4 करोड़ लोग इस वायरस के साथ जी रहे हैं.
एंड्रयू हिल ने कहा कि कहा कि शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम पहले भी इसी तरह के अनुमानों को सही साबित कर चुकी है. एक दशक पहले, टीम ने कहा था कि गिलियड की हेपेटाइटिस-सी दवा बनाने की लागत तब प्रति मरीज 84,000 डॉलर थी, अगर जेनेरिक दवाओं की अनुमति दी गई तो यह 100 डॉलर तक कम हो सकती है. हिल ने कहा कि अब हेपेटाइटिस-सी का इलाज करने में केवल 40 डॉलर से कम का खर्च आता है.
नए शोध की घोषणा संयुक्त राष्ट्र एड्स प्रमुख विनी बयानीमा द्वारा गिलियड से संयुक्त राष्ट्र समर्थित मेडिसिन पेटेंट पूल में लेनाकापाविर को खोलकर इतिहास बनाने के आह्वान के एक दिन बाद की गई, जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लाइसेंस के तहत जेनेरिक दवाओं को बेचने की अनुमति देगा.
Tags: Health News, Hiv aids
FIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 17:34 IST