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Holi 2024 : होली के खूबसूरत रंग देखिए सात समंदर पार इस देश के संग | Holi 2024 : See the beautiful colors of Holi with this country

होली बहुत लोकप्रिय
उन्होंने बताया,होली के त्योहार ( Holi Festival) पर यहां तापमान 1 से 10 डिग्री होने पर भी, जर्मनी के दुनिया के मशहूर त्योहार कार्निवाल से कुछ हद तक समरूपता रखता यह त्योहार अपने रंगों, नृत्य, संगीत और उल्लास के कारण पिछले कुछ वर्षों से महज भारतीय ही नहीं, वरन जर्मन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में बहुत लोकप्रिय होता जा रहा है।
रंगों की मस्ती भरी फुहार
डॉ.शिप्रा शिल्पी सक्सेना ने बताया,जर्मनी में होली मनाने की परंपरा बहुत पुरानी नहीं है। जर्मनी की दावतों के कैलेंडर में होली को स्थान दिलाने के लिए उद्यमी यासपर हेलमान ने सन 2012 में होली कॉन्सैप्ट Gmbh की स्थापना की। तभी से पूरी जर्मनी में समर होली ईवंट का आयोजन किया जाने लगा है, लेकिन यह आयोजन भारतीय परंपरागत होली की तरह नहीं है। यह जर्मन टेक्नो संगीत के साथ रंगों की मस्ती भरी फुहार है।
यहां गीले रंगों से होली नहीं खेलते
उन्होंने बताया,मैं कोलोन शहर में रहती हूँ। यहां होली दो रूपों में होली मनाई जाती है। एक दक्षिण एशियाई भारतीय समुदाय की ओर से होली की तारीख पर, जो हरि ओम मंदिर कोलोन में मनाई जाती है, जहां सुबह पूजा व आरती के बाद प्रसाद बांटा जाता है। बहुत ज्यादा ठंड होने के कारण ही भारत की तरह यहां होली गीले रंगों से नहीं खेली जाती है। मंदिर के अंदर ही अबीर और गुलाल का टीका लगाया जाता है।
परंपरागत पकवान घर पर बनाते हैं
डॉ.शिप्रा शिल्पी सक्सेना ने बताया,मेरे परिवार में सभी वर्किंग है, यहां ज्यादातर परिवार वर्किंग ही है। इसलिए हम होली अपने मित्रों के साथ अपने घर में सप्ताह के अंत में मनाते हैं। सामान्य रूप से होली के रंग व परंपरागत पकवान गुझिया, खुरमा, पापड़ चिप्स और कांजी यहां उपलब्ध नहीं होते। ये चीजें मैं अपने घर पर बनाती हूँ।
हल्दी कुमकुम से भी होली खेलते
उन्होंने बताया, होली पर हम पूजा के बाद अपने बच्चों को होली के महत्व के बारे में बताते हैं। होलिका दहन व प्रह्लाद हिरण्य कश्यप की कहानी भी सुनाते हैं। भारत से लाए गए ऑर्गेनिक अबीर, गुलाल और रंग न होने पर हम हल्दी कुमकुम से भी होली खेलते हैं। क्योंकि यहां गीले रंग प्रतिबंधित हैं। सब मिल कर खानपान का आनंद उठाते हुए भारतीय गीतों पर नृत्य करते हैं और प्रेम से होली मनाते हैं।
जून व जुलाई में मनाते हैं होली
डॉ.शिप्रा शिल्पी सक्सेना ने बताया,मार्च में ज्यादा ठंड होने के कारण यहां जून और जुलाई में होली मनाई जाती है, जिसे ‘ओपन एयर होली ईवंट’ ( Open Air Holi Event) या ‘समर हॉई ईवंट’ (Summer High event) कहा जाता है। यह आयोजन मुख्य रूप से DIG (Deutsch – Indische Gesellschaft e. V.) और लोकल सांस्कृतिक भारतीय संस्थाओं के साथ मिल कर आयोजित किया जाता है। मेरी संस्था सृजनी ग्लोबल व वैश्विक हिंदीशाला, यूरोप इन आयोजनों में DIG संस्था के साथ सहयोग करती आ रही है।
जर्मन सरकार से स्वीकृति आवश्यक
उन्होंने बताया, यहां होली के आयोजन के लिए जर्मन सरकार से स्वीकृति लेनी होती है और रंगों का विशेष ध्यान रखा जाता है। क्योंकि इन आयोजनों में जर्मन, भारतीय और कई अन्य देशों के लोग शामिल होते है। ये आयोजन खुले मैदान में होते हैं। इन आयोजनों में जाने के लिए टिकट लेना जरूरी होता है। इन आयोजनों में गीत—संगीत भी भारतीय व पाश्चात्य होता है। होली के रंगों और खानपान का प्रबंध आयोजक की ओर से ही किया जाता है। ये आयोजन पूरी तरह व्यावसायिक होते हैं। इस वर्ष कोलोन में इस ईवंट में तकरीबन 500 लोगों की शिरकत अहम है ।
दूतावास की ओर भी मनाते हैं होली
डॉ.शिप्रा शिल्पी सक्सेना ने बताया, भारतीय दूतावास बर्लिन, हैम्बर्ग व फ़्रैंकफर्ट आदि की ओर से भी होली का पर्व मनाया जाता है। होली की बढ़ती लोकप्रियता के मददेनजर Bonn, हाइडिल बर्ग, कोलोन विश्वविद्यालय के एशियाई भाषा विभाग के छात्रों की ओर से भी ओपन एयर होली उत्सव का आयोजन किया जाता है।
भारतीय संस्कृति के साथ जोड़ रही होली
उन्होंने बताया, सच तो यह है कि होली मात्र एक पर्व नहीं, प्रेम व सौहार्द की भावना है, जो जर्मनी में भी विभिन्न देशवासियों को भारतीय संस्कृति के साथ जोड़ रही है। साधन सीमित हो या अधिक, विशेष बात यह है कि हम प्रवासी भारतीश् होते हुए भी दिल से अपने त्योहार मना रहे हैं। क्योंकि मेरा मानना है जो जड़ों से जुड़ा रहता है , वो ही पनपता है।
डॉ.शिप्रा शिल्पी सक्सेना :एक नजर
वैश्विक हिंदी शाला यूरोप व सृजनी ग्लोबल चैनल से जुड़ी जर्मनी के कोलोन की निवासी डॉ.शिप्रा शिल्पी सक्सेना एक कवयित्री , लेखिका, संपादक, मॉडरेटर, मीडिया प्रोफेशनल, शिक्षाविद,पत्रकार, हिन्दी अध्यापिका और निदेशक हैं।
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