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Holi colours showered on second day at Jagdish Dham in Karauli uniqueplayed between brother-in-law and sister-in-law

Last Updated:March 17, 2025, 15:52 IST

करौली में डोलची मार और कोड़े मार होली खेलने की परंपरा है, जिसमें देवर-भाभी की होली सबसे अनोखी मानी जाती है. होली के दूसरे दिन, जब पूरा गांव मंदिर के बाहर एकत्रित होता है, तब देवर अपने भाभियों के ऊपर पानी से भरी…और पढ़ेंX
होली
होली 2025

हाइलाइट्स

करौली के जगदीश धाम में होली का अनूठा उत्सव मनाया जाता है.देवर-भाभी की डोलची और कोड़े मार होली प्रसिद्ध है.मुंडिया गांव में पत्थर मार होली की परंपरा है.

करौली:- पूर्वी राजस्थान के दो गांव ऐसे है, जहां होली का रंग दूसरे दिन बरसता है. इनमें एक है करौली के सबसे बड़े आस्था धामों में शुमार जगदीश धाम कैमरी और दूसरा है टोड़ाभीम क्षेत्र का मुंडिया गांव. करौली के इन दोनों गांवों में होली खेलने का रिवाज बिल्कुल अनूठा है. यहां होली धुलेंडी वाले दिन नहीं, बल्कि होली के दूसरे दिन भाई दूज के अवसर पर होली खेली जाती है.

कैमरी गांव की डोलची और कोड़े मार होली करौली के सबसे प्रमुख आस्था केंद्रों में से एक जगदीश धाम कैमरी में होली का उत्सव विशेष तरीके से मनाया जाता है. यहां डोलची मार और कोड़े मार होली खेलने की परंपरा है, जिसमें देवर-भाभी की होली सबसे अनोखी मानी जाती है. होली के दूसरे दिन, जब पूरा गांव मंदिर के बाहर एकत्रित होता है, तब देवर अपने भाभियों के ऊपर पानी से भरी बाल्टी (जिसे डोलची कहा जाता है) उड़ेलते हैं. इसके जवाब में भाभियां भी चुप नहीं बैठतीं, बल्कि वे कोड़े बरसाकर देवरों को मज़ेदार चुनौती देती हैं.

इस पूरी प्रक्रिया में हंसी-मजाक और पारंपरिक गीतों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. इस अनूठी होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग कैमरी गांव पहुंचते हैं. जानकारों के अनुसार, यह परंपरा सदियों पुरानी है और खासतौर पर गुर्जर जाति के खटाना गोत्र के 12 गांवों के लोग इसमें शामिल होते हैं. बैंड-बाजे की धुन पर खेली जाने वाली यह होली रंग, उमंग और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत उदाहरण पेश करती है.

मुंडिया गांव की पत्थर मार होलीकरौली जिले की टोडाभीम तहसील में स्थित मुंडिया गांव में भी होली का जश्न अनूठे अंदाज में मनाया जाता है. यहां भाई दूज के दिन होली खेलने की परंपरा है, लेकिन खास बात यह है कि यहां रंगों के साथ-साथ पत्थरों की भी होली खेली जाती है. गांव के लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए एक-दूसरे पर हल्के पत्थर फेंकते हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से होली के उल्लास को दर्शाते हैं. हालांकि इस दौरान पूरी सतर्कता बरती जाती है, ताकि किसी को गंभीर चोट न लगे. यह अनूठी होली गांव के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है.


Location :

Karauli,Rajasthan

First Published :

March 17, 2025, 15:52 IST

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होली के दूसरे दिन यहां बरसता है खुशियों का रंग, देवर भाभी पर बरसाते डोलची

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