flipkar behind the scenes technology story that delivers your order to you at record speed – पर्दे के पीछे तकनीक की वो कहानी जो आपके ऑर्डर को रिकॉर्ड स्पीड से आप तक पहुंचाती है

नई दिल्ली. Big Billion Days (BBD) की रौनक पूरे देश में छाई हुई है. लोगों में अधिक से अधिक छूट प्राप्त कर मनपसंद प्रोडक्ट को अपना बनाने की होड़ लगी हुई है. बस आपको मोबाइल स्क्रीन पर अपने मनचाहे प्रोडक्ट पर क्लिक करना है और प्रोडक्ट कार्ट से निकलकर सीधे आपके घर तक पहुंच जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके ऑर्डर करने और डिलीवरी होने के बीच तकनीक की कितनी बड़ी दुनिया काम करती है? या कभी आपके मन में यह विचार आया है कि किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरकर प्रोडक्ट आपके घर तक पहुंचता है? चलिए हम आपको बताते हैं कि कैसे Flipkart तकनीक और इनोवेशन की मदद से आपके मनपसंद प्रोडक्ट को समय पर पहुंचाता है.
AI की लेते हैं मदद
आंकडों की बात करें तो हर दिन अमूमन एक करोड़ से ज्यादा ऑर्डर Flipkart के सिस्टम में दर्ज होते हैं. वहीं, बीते साल फेस्टिवल सीजन के दौरान Flipkart पर रिकॉर्ड 7.2 अरब (720 करोड़) विजिट्स दर्ज हुए थे. इतनी बडी संख्या में प्रतिदिन का ऑर्डर संभालना आसान नहीं है. इसमें भी चुनौती ये है कि किसी भी ग्राहक तक कोई भी गलत ऑर्डर नहीं पहुंचे. यहां पर तकनीक अपना कमाल दिखाती है. Flipkart का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तुरंत यह तय करता है कि आपका ऑर्डर किस वेयरहाउस से चुना जाएगा और किस रास्ते से सबसे तेज आपके घर पहुंचेगा. यही वजह है कि हाल ही में कंपनी ने सिर्फ 2.3 घंटे में सबसे तेज डिलीवरी कर दिखाया और औसत टॉप 10 फास्टेस्ट डिलीवरी 2.5 घंटे में पूरी हुई.
Fulfilment Centre के अंदर का नजारा किसी हाई-टेक साइंस-फिक्शन फिल्म से कम नहीं होता. यहां हजारों स्कैनर, ऑटोमैटेड कन्वेयर बेल्ट और सॉफ्टवेयर एल्गोरिद्म एक साथ चलते हैं. जैसे ही ऑर्डर आता है, स्क्रीन पर पिकिंग लिस्ट बन जाती है और कर्मचारी या रोबोट कुछ ही सेकंड में सही शेल्फ से प्रोडक्ट उठा लेते हैं. बारकोड स्कैनिंग से उसकी पहचान और सॉर्टिंग होती है. यह सब इतना तेज होता है कि आपको लगता है मानो जादू हो रहा हो.
चलिए एक-एक कर पूरी प्रकिया को समझते हैं :
इनबाउंड (डॉक पर आगमन)सेलर्स/सप्लायर्स की कंसाइन्मेंट फूलफिलमेंट सेंटर के डॉक पर उतरती है. इनबाउंड वाहनों और कंसाइन्मेंट डिटेल्स का अलर्ट पहले से डॉक मैनेजमेंट सिस्टम को चला जाता है.
क्वालिटी चेक (QC)हर आइटम का निरीक्षण, वजन/माप और डैमेज चेक, सही प्रोडक्ट व “इनवार्डिंग” एलिजिबिलिटी सिस्टम से वेरिफ़ाई कर ली जाती है.
रिसीविंग (WID जेनरेशन)QC के बाद हर प्रोडक्ट को WID(वेयरहाउस आईडी) दिया जाता है ताकि नेटवर्क में एंड-टू-एंड ट्रैकिंग और रीयल-टाइम इन्वेंट्री विजिबिलिटी बनी रहे.
स्टोरेज/पुट-अवेरिसीविंग से आइटम्स टोट्स में स्टोरेज एरिया जाते हैं. कन्वेयर टोट-बारकोड स्कैन कर सही लोकेशन तक ऑटो-रूट करता है. डिमांड सेंसिंग व इन्वेंट्री प्लेसमेंट के आधार पर जोन तय होते हैं.
WMS (वेयरहाउस मैनेजमेंट सिस्टम)यह सप्लाई-चेन का मूल सॉफ्टवेयर तंत्र है जो इनबाउंड से शिपिंग तक प्रक्रियाओं का समन्वित संचालन करता है. यह मशीन-लर्निंग के आधार पर रीयल-टाइम में स्लॉटिंग, पिकिंग और रूटिंग के निर्णय बेहतर बनाती है.
ऑर्डर प्रोसेसिंगऑर्डर मिलते ही पिक-लिस्ट जेनरेट होता है. साथ ही मल्टी- सिस्टम ऑर्केस्ट्रेशन CVP (स्पीड) को ऑप्टिमाइज़ करते हुए पूरे ऑर्डर को मैनेज किया जाता है.
पिकिंगपिकर्स पिक-लिस्ट के अनुसार स्टोरेज से आइटम उठाते हैं. सिस्टम स्पीड/एक्यूरेसी/एफ़िशिएंसी के लिए पिकिंग को लगातार ऑप्टिमाइज करता है.
पैकिंगपिक किए गए आइटम टोट्स से पैकिंग टेबल तक आते हैं. पैकेजिंग प्रकार और भराव सामग्री से टूट-फूट के जोखिम को घटाया जाता है. इसके बाद नेटवर्क सिस्टम सबसे उपयुक्त रूट चुनकर शिपिंग लेबल तुरंत जनरेट करता है.
सॉर्टेशनपैक्ड शिपमेंट्स को डेस्टिनेशन पिनकोड पर सॉर्ट किया जाता है; एल्गोरिद्म + क्रॉस-बेल्ट सॉर्टर्स से सबसे छोटा रास्ता चुना जाता है और बैग्स बनते हैं.
शिपिंगबैग्स आउटबाउंड स्टेजिंग क्षेत्र से निर्धारित कट-ऑफ समय पर ट्रक या वायु-कार्गो तक भेजे जाते हैं. फुलफिलमेंट तंत्र गति और लागत का संतुलन साधकर सबसे उपयुक्त मार्ग और परिवहन माध्यम चुनता है.
डिस्पैच व डोरस्टेप डिलीवरी (लास्ट-माइल)डेस्टिनेशन सिटी में बैग्स लास्ट-माइल हब्स पहुंचते हैं. देशभर के कई हजार हब्स और लाखों विशमास्टर्स को सपोर्ट करने वाले सिस्टम समय पर डिलीवरी पहुंचाते हैं.



