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बच्चों को कैसे हो रहा मोतियाबंद, कानपुर के LLR में हॉस्पिटल नौ साल के मरीज का ऑपरेशन, ये तरीका आया काम – Uttar Pradesh News

Last Updated:December 25, 2025, 21:24 IST

Kanpur News : मोतियाबिंद के मामले आमतौर पर ज्यादा उम्र के लोगों में देखने को मिलते हैं, लेकिन अब बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, जो ज्यादा खतरनाक है. बच्चों में मोतियाबिंद के केस में लेंस अपनी सामान्य स्थिति से हिल जाता है, जिससे सर्जरी मुश्किल हो जाती है. ऐसे में एलएलआर हॉस्पिटल की उपलब्धि न सिर्फ डॉक्टरों की मेहनत का नतीजा है, बल्कि उन बच्चों और उनके परिवारों के लिए नई उम्मीद भी है, जिनकी आंखों की रोशनी खतरे में है.

कानपुर. शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एलएलआर हॉस्पिटल में नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है. नौ साल की एक बच्ची, जो मोतियाबिंद के कारण लगभग देख नहीं पा रही थी, उसकी आंखों का आधुनिक फेको विधि से ऑपरेशन कर रौशनी लौटा दी गई. इलाज के बाद बच्ची अब सामान्य बच्चों की तरह साफ देख पा रही है. नेत्र रोग विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि पिछले एक माह में विभाग में बच्चों के मोतियाबिंद के चार जटिल मामलों का सफल ऑपरेशन किया गया. इन सभी मामलों में फेको विधि के साथ कैप्सूलर हुक का उपयोग किया गया. इस तकनीक की मदद से आंख के अंदर मौजूद लेंस के कैप्सूलर बैग को स्थिर किया गया, ताकि ऑपरेशन सुरक्षित और सटीक तरीके से हो सके. डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों में मोतियाबिंद के मामलों में लेंस अपनी सामान्य स्थिति से हिल जाता है, जिससे सर्जरी मुश्किल हो जाती है. ऐसे में कैप्सूलर हुक और कैप्सूलर टेंशन रिंग का सहारा लिया जाता है. इसके बाद आंख में कृत्रिम लेंस लगाया जाता है, जिससे दृष्टि वापस आती है.

क्या होती है कैप्सूलर हुक सर्जरीकैप्सूलर हुक एक विशेष मेडिकल उपकरण होता है, जिसका इस्तेमाल मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान किया जाता है. जब आंख के लेंस को पकड़ने वाला कैप्सूल कमजोर या अस्थिर हो जाता है, तब यह हुक कैप्सूल को सहारा देता है. सरल शब्दों में कहें तो यह हुक लेंस को सही जगह पर स्थिर रखता है. ऑपरेशन के दौरान आंख को नुकसान होने से बचाता है. बच्चों और जटिल मामलों में सर्जरी को सुरक्षित बनाता है. एलएलआर अस्पताल में इसी तकनीक से बच्ची की आंखों का ऑपरेशन किया गया.

बच्चों में क्यों बढ़ा ये रोग डॉ. शालिनी मोहन के अनुसार, हाल के दिनों में बच्चों में मोतियाबिंद के मामले तेजी से बढ़े हैं. इसके पीछे कई कारण सामने आए हैं. कुछ बच्चों में यह समस्या जन्मजात पाई गई, जबकि कुछ मामलों में आंखों में चोट लगने से मोतियाबिंद हुआ. लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल और पटाखों से लगी चोट भी बच्चों की आंखों के लिए खतरनाक साबित हो रही है. इन कारणों से आंख का प्राकृतिक लेंस अपनी जगह से खिसक जाता है और देखने में दिक्कत होने लगती है. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने कहा कि एलएलआर अस्पताल में नेत्र रोग से पीड़ित मरीजों को निशुल्क और आधुनिक इलाज की सुविधा दी जा रही है. अस्पताल में आधुनिक मशीनें और अनुभवी डॉक्टर मौजूद हैं, जिससे गंभीर से गंभीर मामलों का भी सफल इलाज संभव हो पा रहा है.

About the AuthorPriyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

Location :

Kanpur Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

December 25, 2025, 21:24 IST

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बच्चों को कैसे हो रहा मोतियाबंद, कानपुर के हॉस्पिटल नौ साल के मरीज का ऑपरेशन

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