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जैसलमेर में AC बस कैसे बनी ‘बर्निंग बस’? विंडो लेमिनेटेड ग्लास कवर थी, अगर टफन कांच होता तो बच जाते यात्री…

Last Updated:October 15, 2025, 11:03 IST

Jaisalmer Bus Fire Incident : जैसलमेर में हुए बस अग्निकांड में 20 यात्रियों की जान जाने के बाद अब हादसे की परतें खुल रही हैं. बस की सभी खिड़कियां लेमिनेटेड ग्लास से कवर थी. इसके कारण यात्रियों से खिड़कियों का कांच टूटा नहीं और वे अंदर ही जल गए. जैसलमेर में AC बस कैसे बनी 'बर्निंग बस'? बच सकती थी जानें अगर...जैसलमेर बस अग्निकांड में 20 यात्री जिंदा जल गए.

जैसलमेर. जैसलमेर से जोधपुर जा रही प्राइवेट एसी स्लीपर बस के आग का गोला बनने का सच सामने आया गया है. बस में आग एसी से गैस लीक होने से लगी थी. गैस लीक होने के बाद हुए शॉर्ट सर्किट से बस आग का गोला बन गई. उसके बाद बस की डिग्गी में रखे पटाखों ने आग में घी का काम किया. बस की विंडो लेमिनेटेड ग्लास से कवर थी. अगर उसकी जगह टफन ग्लास होता तो वह टूट जाता और यात्री जान बचाने के लिए बाहर कूद सकते थे. लेकिन लेमिनेटेड ग्लास होने के कारण वे यात्रियों से टूट नहीं पाए और 20 यात्री बस के अंदर ही जिंदा जल गए. इस बस का रजिस्ट्रेशन बीते 1 अक्टूबर को ही हुआ था.

पुलिस सूत्रों के अनुसार मंगलवार को दोपहर में हुए हादसे में बस के अंदर फाइबर की बॉडी, पर्दों और सीटों के फोम के कारण आग तेजी से आगे बढ़ी. बस की डिग्गी में पटाखे रखे हुए थे. लपटें उन तक पहुंची तो वे भी फूटने लग गए और आग ने भयावह रूप धारण कर लिया. बस में इमरजेंसी गेट था ही नहीं. केवल आगे एक ही गेट था. आग के कारण वायर जल जाने से वो गेट भी लॉक हो गया. बस में फायर फाइटिंग उपकरण भी नहीं थे. बस की गैलेरी काफी संकरी होने से यात्री निकलने की कोशिश में उसमें फंस गए.

केवल चार ही यात्री थे जो ग्लास तोड़कर बस से कूदने में सफल रहेबस की खिड़कियों के लेमिनेटेड ग्लास यात्रियों से टूटे नहीं. वे आग के ताप से जब तक फूटे तक यात्री जल चुके थे. कुछ एक ही यात्री थे जो लेमिनेटेड ग्लास को तोड़ने में सफल हो पाए. लिहाजा वे बस में से कूद गए और उनकी जान बच गई. पूरी बस में केवल चार ही यात्री थे जो ग्लास तोड़कर बस से कूदने में सफल रहे. बस में इमरजेंसी गेट की जगह भी सीट थी. यात्री जब बस में जल रहे थे और चीख रहे थे तब आसपास के लोग बाहर जमा हो गए थे. लेकिन आग इतनी विकराल थी कि किसी की बस तक पहुंचने की हिम्मत नहीं हुई.

कइयों के शव सीट से चिपककर रह गएसूचना के बावजूद फायर ब्रिगेड 50 मिनट बाद पहुंची. जबकि बस हादसा जैसलमेर शहर से महज 9 किलोमीटर दूरी पर ही हुआ था. मिलिट्री स्टेशन से सेना की टीम जेसीबी लेकर पहुंची और बस का दरवाजा तोड़ा. लेकिन तब तक बड़ी संख्या में यात्री जलकर खाक हो गए. कइयों के शव सीट से चिपककर रह गए. घायलों को पहले जैसलमेर अस्पताल ले जाया गया. लेकिन अस्पताल में बर्निंग वार्ड और स्पेशलिस्ट नहीं होने से उनको तत्काल 208 किलोमीटर दूर जोधपुर रेफर करना पड़ा. जोधपुर पहुंचने तक कुछ घायलों ने और दम तोड़ दिया.

16 गंभीर घायलों का जोधपुर में इलाज चल रहा हैहालांकि घायलों को ग्रीन कोरिडोर बनाकर एम्बुलेंस से भेजा गया लेकिन जोधपुर की दूरी अधिक होने जानमाल का नुकसान ज्यादा हो गया. हादसे में अब कुल 20 लोगों की जान जा चुकी है. 16 गंभीर घायलों का जोधपुर में इलाज चल रहा है. लेकिन वे भी 70 फीसदी से अधिक झुलस चुके हैं. मृतकों के शवों को जोधपुर ले जाया गया है. वहां शवों का डीएनए टेस्ट कर उनकी शिनाख्त की जाएगी. हादसे के शिकार हुए लोगों के परिजन और रिश्तेदारों का जोधपुर अस्पताल पहुंचने का सिलसिला जारी है.

Sandeep Rathore

संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर…और पढ़ें

संदीप राठौड़ ने वर्ष 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की जयपुर से शुरुआत की. बाद में कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर की जिम्मेदारी निभाई. 2017 से के साथ नए सफर की शुरुआत की. वर… और पढ़ें

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First Published :

October 15, 2025, 11:03 IST

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