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How pregnant women should prepare for breastfeeding: मां बनने से पहले महिला जान लें ब्रेस्टफीडिंग के तरीके

Last Updated:May 11, 2025, 18:45 IST

जब एक महिला मां बनती है तो उसके लिए बच्चे को संभालना एक नया अनुभव होता है. बच्चे को कैसे ब्रेस्टफीडिंग करानी है, इसका भी उन्हें अंदाजा नहीं होता. ऐसे में अगर बच्चा अच्छे से दूध ना पीये तो यह मां और बच्चे दोनों …और पढ़ेंक्या प्रेग्नेंसी के दौरान ही महिला को सीख लेनी चाहिए ब्रेस्टफीडिंग टेक्नीक?

बच्चे को पैदा होते ही तुरंत मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए. इसे गोल्डन आवर कहते हैं (Image-Canva)

Importance of breastfeeding: कहते हैं कि मां के दूध में बहुत ताकत होती है. लेकिन जब एक महिला पहली बार मां बनती है तो उसे ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी कई बातें पता नहीं होतीं. जब बच्चा दूध नहीं पीता या दूध नहीं आ रहा होता तो वह परेशान रहती हैं. हर वो महिला जो प्रेग्नेंट है, उसे बच्चे की डिलीवरी से पहले ही ब्रेस्टफीडिंग की टेक्नीक, इसका महत्व और भविष्य में आने वाली दिक्कतों के बारे में जान लेना चाहिए ताकि उन्हें बेबी के होने के बाद स्ट्रेस ना हो.

ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंददिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में लीड कंसल्टेंट डॉ. मंजुषा गोयल कहती हैं कि मदर मिल्क में कई पोषक तत्व होते हैं जो मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी और फायदेमंद हैं. बच्चे को मां के दूध से ताकत मिलती है, उसकी इम्यूनिटी बढ़ती है, कई तरह के इंफेक्शन दूर रहते हैं, बच्चा मोटापे, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और क्रॉनिक बीमारियों का शिकार नहीं होता. वहीं मां का बच्चे से मजबूत बॉन्ड बनता है, उन्हें पोस्टपार्टम डिप्रेशन नहीं सताता और वह ब्रेस्टफीडिंग की मदद से जल्दी वेट लॉस करती हैं.

प्रेग्नेंसी में सीख लें ब्रेस्टफीडिंगअक्सर नई मां की शिकायत रहती है कि बेबी दूध नहीं पी रहा. डिलीवरी के तुरंत बाद महिला पहले ही दर्द से जूझ रही होती है, ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग कैसे करानी है, वह समझ नहीं पातीं. हर महिला जो प्रेग्नेंट है उन्हें तीसरी तिमाही खासकर 8-9वें महीने में लैक्टेशन काउंसलर से ही ब्रेस्टफीडिंग की टेक्नीक सीख लेनी चाहिए. इससे बच्चा अच्छे से दूध पिएगा और मां को हाथों या पीठ में दर्द भी नहीं होगा.


डिलीवरी के बाद हद से ज्यादा ब्लीडिंग हो यानी पोस्टपार्टम हैम्रेज हो तो ब्रेस्टफीडिंग में दिक्कत होती है (Image-Canva)

ब्रेस्टफीडिंग की कई पोजिशनमां बनने वाली हर महिला को यह पता होना चाहिए कि वह बच्चे को कई पोजिशन में दूध पिला सकती है. जरूरी नहीं कि बच्चे को पकड़कर ही ब्रेस्टफीडिंग कराएं. अगर हाथ में दर्द है तो साइड से हाथों के बीच बच्चे को डालकर फुटबॉल होल्ड पोजिशन में ब्रेस्टफीडिंग करा सकते हैं. बच्चे को तकिये पर लिटा सकती हैं. अपने आपको तकिए का सहारा देकर या खुद लेट कर बच्चे को साइड लाइंग पोजिशन से दूध पिला सकती हैं. बच्चे को दूध पिलाने के बाद डकार दिलाना जरूरी है. इसके लिए बेबी के सिर और गर्दन को सपोर्ट दें और हल्के हाथों से नीचे से ऊपर की तरफ बेबी की पीठ को थपथपाएं. 

बेबी को 15 मिनट तक दूध पिलाना काफीअक्सर नई मां बच्चे को घंटों तक दूध पिलाने में जुटी रहती हैं और उनके मुंह को निप्पल से लगाए रखती हैं. इससे उनके शरीर में दर्द होने लगता है और बच्चा भी दूध ठीक तरीके से नहीं पी पाता. अक्सर नई मां बच्चे के मुंह में निप्पल डाल देती हैं जबकि दूध एरिओला से आता है. बच्चा अमूमन 15 मिनट तक के लिए फीड करता है, इससे ज्यादा मां-बच्चा दोनों थक जाएंगे.

पानी और डाइट का रखें ध्यानहर नई मां को अच्छी मात्रा में पानी पीना चाहिए, इससे उन्हें कमजोरी महसूस नहीं होती और मिल्क भी अच्छे से बनता है. वहीं उन्हें कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट लेनी चाहिए. दरअसल इस दौरान ब्रेस्टफीडिंग के जरिए शरीर में कैल्शियम कम हो जाता  है जिससे बोन डेंसिटी घट जाती है. अगर डाइट पर ध्यान ना दिया जाए तो दिक्कत हो सकती है. 

authorimgAishwarya Sharma

Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU…और पढ़ें

Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU… और पढ़ें

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