Human Service: ‘इक दिन बिक जाएगा……प्यारे तेरे बोल’, बबीता ने मानव सेवा को बनाया अपना जीवन मंत्र, अपना घर आश्रम के लिए जीवन समर्पित

Last Updated:March 21, 2025, 13:43 IST
Human Service: बबीता गुलाटी ने पोलियोग्रस्त होते हुए भी अपना घर आश्रम को 6500 से ज्यादा लोगों का परिवार बना दिया है. वे 62 केंद्रों की प्रशासनिक अधिकारी हैं और सेवा व समर्पण की मिसाल हैं.X
बबीता गुलाटी
हाइलाइट्स
बबीता गुलाटी ने अपना घर आश्रम को बनाया 6500 से ज्यादा लोगों का परिवारबबीता 62 केंद्रों की प्रशासनिक अधिकारी और सेवा-समर्पण की हैं मिसालपोलियोग्रस्त होते हुए भी आश्रम के लिए पूरी तरह समर्पित हैं बबीता गुलाटी
भरतपुर. राजस्थान के अपना घर आश्रम की कहानी केवल एक आश्रय स्थल की नहीं, बल्कि एक परिवार की है. परिवार को 56 वर्षीय बबीता गुलाटी ने अपनी ममता और समर्पण से सींचा है. खास बात यह है कि बबीता खुद भी पोलियोग्रस्त हैं, बचपन में ही उनके दोनों पैर और एक हाथ कमजोर हो गए थे, लेकिन उनके हौसले कभी कमजोर नहीं पड़े, बी.कॉम की डिग्री लेने के बाद उन्होंने 2009 में इस आश्रम में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम करना शुरू किया.
आश्रम में रहते हैं 6500 से ज्यादा लोगयह सिर्फ एक नौकरी नहीं थी, बल्कि उनकी ज़िंदगी का मकसद बनने वाला था. एक साल में ही उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और आश्रम के लिए पूरी तरह से समर्पित हो गईं. आज वे 100 बीघा में फैले इस आश्रम की प्रशासनिक अधिकारी और अध्यक्ष हैं. बबीता न केवल मानसिक और शारीरिक रूप से असक्षम लोगों को सहारा देती हैं, बल्कि उन्हें नई ज़िंदगी जीने की राह भी दिखाती हैं. यहां आने वाले हर व्यक्ति को सम्मान और प्यार मिलता है. आश्रम में 6500 से ज्यादा लोग रहते हैं, जिन्हें भोजन, चिकित्सा, पुनर्वास और आत्मनिर्भरता की ट्रेनिंग दी जाती है.
देश-विदेश में 62 केंद्र, 15,000 से ज्यादा असहाय लोगों का आश्रयबबीता के दिन की शुरुआत सुबह-सुबह होती है और देर रात तक चलती है. वे व्हीलचेयर पर घूमते हुए पूरे आश्रम की मॉनिटरिंग करती हैं और हर ज़रूरतमंद तक खुद पहुंचती हैं. यही कारण है कि यहां के सभी आवासी उन्हें प्यार से बबीता दीदी कहते हैं. भरतपुर का अपना घर आश्रम सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. देश-विदेश में इसके 62 केंद्र हैं, जहां 15,000 से ज्यादा असहाय लोग आश्रय पाते हैं. इन सभी केंद्रों की प्रशासनिक ज़िम्मेदारी भी बबीता संभालती हैं. उनका फोन 24 घंटे बजता रहता है, लेकिन वे कभी थकती नहीं.
सेवा और समर्पण की मिसालबबीता अपने काम को कभी बोझ नहीं मानतीं. वे अक्सर एक गीत गुनगुनाती हैं, ‘इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल’ यह उनके जीवन का दर्शन भी है. उनका मानना है कि अगर मन को अपाहिज न बनाया जाए तो कोई भी काम बोझ नहीं लगता. बबीता कहती हैं, ‘आश्रम के सभी आवासी हमारे लिए असहाय नहीं बल्कि प्रभु जी हैं. ठाकुर जी ने हमें उनकी सेवा का सौभाग्य दिया है.’ यह भावना ही उन्हें हर दिन नई ऊर्जा से भर देती है. बबीता गुलाटी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि सेवा और समर्पण की मिसाल हैं. वे दिखाती हैं कि सच्ची इंसानियत क्या होती है – दूसरों की ज़िंदगी को अपनाना और उन्हें नई रोशनी देना.
Location :
Bharatpur,Bharatpur,Rajasthan
First Published :
March 21, 2025, 13:40 IST
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हौसले की मिसाल बबीता गुलाटी, हजारों असहायों का सहारा बन सेवा में समर्पित