Human trafficking in rajasthan | Human trafficking: बच्चों से फ्रीडम का राइट को क्यों छिना जा रहा है?
जानकारी के मुताबिक मानव तस्करी में ज्यादातर लड़कियां भारत के पूर्वी इलाकों के दूर दराज़ के गांवों से आती है। क्षेत्र में स्थानीय एजेंट बाल तस्करी को अंजाम देने के लिए कस्बों और गांवों में ऐसे परिवारों का शिकार करते हैं जो छोटे हैं और बेहद गरीब परिवारों के बच्चे होते है।
ज्यादातर केस में ऐसे एजेंट बड़े शहरों में बच्चियों को घरेलू नौकर उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं को बेच देते है। ग़रीब परिवार व गांव-कस्बों की लड़कियों को बहला-फुसला कर, बड़े सपने दिखाकर विदेशों तक में बेचन के मामले सामने आए है। कई मामलों मे अच्छी नौकरी और ज्यादा पैसे का झांसा देकर उन्हे देह व्यापार में झोंक दिया जाता है।
वर्ष 2021 में आईपीसी अपराध की लिस्ट
– अपराध घटना 36,63,360
– अपराध दर 268
– चार्ज शीट रेट 72.3
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार
10 साल में 25% और साल 2020 में 60 % की बढ़ोतरी
कर्नाटक, आंध्र पर्देश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में ज्यादा मामले
मुंबई और दिल्ली में लड़कियों की तस्करी ज्यादा
2009 से 2014 के बीच मामले 92% बढे

राजधानी जयपुर में पुलिस ने एक फार्महाउस से मानव तस्करी को बढ़ावा देने के आरोप में तहसीलदार, निरीक्षक समेत 84 लोगों को गिरफ्तार किया है. जयपुर कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच टीम ने शनिवार देर रात एक फार्म हाउस पर छापेमारी कर इन लोगों को गिरफ्तार किया है. मौके से 23 लाख रुपए नकद बरामद किया गया है।
भट्टाबस्ती थाना इलाके के एक मकान में चल रहे चूड़ी बनाने के कारखाने से बुधवार को 15 बच्चों को मुक्त कराया गया है। दो एनजीओ और पुलिस के मानव तस्करी विरोधी यूनिट ने पुलिस के सहयोग से इस कार्रवाई को अंजाम देते हुए कारखाना संचालकों को गिरफ्तार किया गया है। मुक्त कराए गए बच्चे झारखंड और बिहार के हैं।
