हैदराबाद बंसीलालपेट बावड़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम | Bansilalpet Stepwell Cultural Events Hyderabad

Last Updated:December 25, 2025, 12:05 IST
Hyderabad: हैदराबाद की 300 साल पुरानी बंसीलालपेट बावड़ी अब केवल एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक केंद्र बन चुकी है. ‘टैंगी सेशंस’ के प्रयासों से हर सप्ताहांत यहाँ शाम के समय संगीत, कविता और कला के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. ऐतिहासिक सीढ़ियों पर बैठकर ढलते सूरज की रोशनी में सूफी और लोक संगीत का आनंद लेना दर्शकों के लिए एक जादुई अनुभव बन गया है.
ख़बरें फटाफट
हैदराबाद. इतिहास की किताबों में दर्ज पुरानी इमारतें अक्सर खामोश रहती हैं, लेकिन हैदराबाद के सिकंदराबाद स्थित 300 साल पुरानी बंसीलालपेट बावड़ी अब हर वीकेंड संगीत और कला की गूंज से जीवंत हो उठती है. ‘टैंगी सेशंस’ समूह की इस अनोखी पहल ने एक समय उपेक्षित रहे इस ऐतिहासिक ढांचे को शहर के सबसे चर्चित सांस्कृतिक केंद्र में तब्दील कर दिया है.
आम दिनों में शांत रहने वाली इस बावड़ी की नक्काशीदार पत्थर की सीढ़ियाँ शनिवार और रविवार की शाम रोशनी से जगमगा उठती हैं. शाम 5:45 से रात 8 बजे के बीच ढलते सूरज की सुनहरी रोशनी और बावड़ी की गहराई से आती ठंडी हवाओं के बीच यहाँ का माहौल जादुई हो जाता है. पानी में पड़ती रोशनी का प्रतिबिंब और दीवारों से टकराती संगीत की लहरें दर्शकों को एक अलग ही रूहानी दुनिया में ले जाती हैं.
सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का नया तरीकाटैंगी सेशंस के संस्थापक अर्जुन का मानना है कि केवल स्मारकों का ढांचा खड़ा होना काफी नहीं है, उन्हें जीवंत बनाए रखने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की निरंतरता जरूरी है. अर्जुन के अनुसार, हैदराबाद में स्मारकों की कमी नहीं है, लेकिन संगीत से जुड़े विरासत स्थलों की जरूरत थी. जब लोग यहाँ संगीत सुनने बार-बार आते हैं, तो वे केवल पर्यटक नहीं रहते, बल्कि इस विरासत के संरक्षक बन जाते हैं. यह मॉडल पुरानी धरोहरों को नई पीढ़ी से जोड़ने का एक सफल जरिया बन गया है.
कलाओं का साझा मंचयहाँ होने वाले कार्यक्रमों की सूची काफी विविधतापूर्ण है. इसमें लोक संगीत, सूफी गायन, कविता पाठ, मुशायरे, थिएटर और आधुनिक रैप सेशंस भी शामिल होते हैं. आयोजक ध्वनि के स्तर (Acoustics) का विशेष ध्यान रखते हैं ताकि संगीत बावड़ी की गरिमा और शांति के साथ मेल खाए. अब तक यहाँ सूफी गायकों से लेकर वायलिन वादक अभिजीत गुरजले जैसे कलाकार अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं. स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ राहत इंदोरी और संजीता भट्टाचार्य जैसे नामचीन सितारे भी यहाँ शिरकत कर चुके हैं.
आगामी आकर्षण: अली सफुद्दीन की प्रस्तुतिसंगीत प्रेमियों के लिए इस सप्ताहांत (27 और 28 दिसंबर) कुछ खास होने वाला है. प्रसिद्ध कश्मीरी गायक-गीतकार अली सफुद्दीन यहाँ अपनी प्रस्तुति देंगे. अली अपने खास अंदाज में रॉक संगीत को कश्मीरी सूफी कविता के साथ पिरोने के लिए विश्वभर में जाने जाते हैं. बंसीलालपेट बावड़ी का यह मॉडल साबित करता है कि अगर सही सोच और कला का साथ मिले, तो पुरानी धरोहरें नई पीढ़ी की पहचान का हिस्सा बन सकती हैं.
About the Authorvicky Rathore
Vicky Rathore is a multimedia journalist and digital content specialist with 8 years of experience in digital media, social media management, video production, editing, content writing, and graphic, A MAJMC gra…और पढ़ें
Location :
Hyderabad,Hyderabad,Telangana
First Published :
December 25, 2025, 12:02 IST
homeandhra-pradesh
हैदराबाद: बंसीलालपेट बावड़ी में संगीत का जादू, 300 साल पुरानी विरासत बनी…



