Rajasthan

I exist for the whole creation… but let me be alive | विश्व पर्यावरण दिवस : सकल सृष्टि के लिए विद्यमान हूं… पर मुझे जिंदा तो रहने दो

परिणाम प्रत्यक्ष रूप में सामने है कि आज न शुद्ध वायु नसीब हो रही है न शुद्ध जल प्राप्त हो रहा। पहाड़ों और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। कल कारखानों व वाहनों से निकलने वाले धुएं ने आकाश को भी दूषित कर दिया है। बड़ी-बड़ी इमारतों और सड़कों के जाल को भले ही विकास का जाल बिछाना मान लिया गया, लेकिन इसने धरती के स्वरूप को बिगाड़ कर रख दिया है।

पहाड़ नजर आ रहे मैदान के रूप में
बड़े से बड़े पहाड़ भी आज धरती के समकक्ष मैदान रूप में नजर आ रहे हैं। मिट्टी का अंधाधुंध दोहन आज प्राकृतिक असंतुलन का कारण बन रहा है। धरती का बढ़ता तापमान व वर्षा की कमी व समय-समय पर होने वाली प्राकृतिक आपदाएं मनुष्य को सचेत कर रही है, लेकिन फिर भी मनुष्य हठधर्मिता का त्याग नहीं कर रहा है और इस पर्यावरण का दुश्मन बनता जा रहा है।

पौधरोपण कर बचा सकते हैं पर्यावरण
अभी भी संभलने व जीवनदाता को पोषित करने का सुअवसर है। हर व्यक्ति अधिक से अधिक पौधरोपण कर इनके संरक्षण का संकल्प लें व वृक्षों को काटने से बचाए। मिट्टी व जल के अंधाधुंध दोहन व पहाड़ों पर अवैध खनन पर पर रोक लगे।

पहाड़ों के सीने को किया छलनी

विश्व पर्यावरण दिवस तो हर साल मनाया जाता है, लेकिन पर्यावरण के संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। जैतपुर खींची क्षेत्र में जगह-जगह अंधाधुंन तरीके से पहाड़ों को काटा जा रहा है। क्षेत्र के पहाड़ों के सीने को छलनी करने से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को बयां करती पहाड़ी की यह फोटो। जो पहाड़ी वर्षों पहले हरियाली से आच्छादित नजर आती थी, वह आज वीरान नजर आ रही है। पहाड़ी पर हरियाली का नामोनिशान खत्म हो गया।

विश्व पर्यावरण दिवस : सकल सृष्टि के लिए विद्यमान हूं... पर मुझे जिंदा तो रहने दो
IMAGE CREDIT: Patrika.com

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj