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IAS Literary Society#DIscussion on Book# | जुगाड़ समस्या का अस्थाई हल: डॉ. शर्मा

लेखक डॉ. आरसी शर्मा का कहना है कि लोग आमतौर पर भारतीय नवाचार की तुलना जुगाड़ से करते हैं, चाहे वह कोई नए उत्पाद हो या कोई अविष्कार। यहां तक कि आम आदमी द्वारा किए मितव्ययी नवाचारों और आविष्कारों को भी अक्सर जुगाड़ कहा जाता है।

जयपुर

Updated: February 27, 2022 06:55:14 pm

‘इंडियन इनोवेशन: नॉट जुगाड़’ पुस्तक पर की चर्चा
जयपुर। लेखक डॉ. आरसी शर्मा का कहना है कि लोग आमतौर पर भारतीय नवाचार की तुलना जुगाड़ से करते हैं, चाहे वह कोई नए उत्पाद हो या कोई अविष्कार। यहां तक कि आम आदमी द्वारा किए मितव्ययी नवाचारों और आविष्कारों को भी अक्सर जुगाड़ कहा जाता है। डॉ. शर्मा रविवार को आईएएस लिटरेरी सोसायटी की ओर से उनकी पुस्तक ‘इंडियन इनोवेशन:नॉट जुगाड़’ पर वर्चुअल चर्चा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। आईएएस एसोसिएशन की सचिव मुग्धा सिन्हा के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तक के माध्यम से मैं इस विचार को खारिज करना चाहता था कि सभी नवाचार जुगाड़ हैं या जुगाड़ कोई नवाचार। उन्होंने कहा कि नवाचार किसी समस्या को हल करने की आवश्यकता से उत्पन्न होता है, जबकि जुगाड़ एक सोच है जो किसी समस्या को केवल अस्थायी रूप से हल करता है।
कम्यूनिकेशन और आईटी क्रांति के बारे में बात करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि कम्यूनिकेशन एक बुनियादी ढांचा है, जिसने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया है। उन्होंने एसटीडी बूथ्स का उदाहरण देते हुए कहा कि ये क्रांतियां तकनीकी के साथ नीतिगत हस्तक्षेपों का परिणाम हैं। इसके साथ ही लैंड रिकॉर्ड कम्प्यूटराइजेशन और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के उदाहरणों का हवाला देते हुएए डॉ. शर्मा ने नीति निर्माण के साथ प्रौद्योगिकी को जोडऩे की अनिवार्यता पर जोर दिया।
लेखक ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि नवाचार केवल प्रौद्योगिकी तक ही सीमित नहीं है। इसमें सामाजिक नवाचार, शिक्षा, विपणन, कृषि, फैशन जैसे विविध पहलू हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि इन नवाचारों के पीछे कई अज्ञात, गुमनाम लोग हैं जो भारत को आकार देने का कार्य कर रहे हैं।

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