Rajasthan

IAS रोहित कुमार की घर वापसी, IPS दिनेश एमएन के दिल्ली जाने की अटकलें तेज, जानें और कौन-कौन हैं शामिल

जयपुर. राजस्थान कैडर के वरिष्ठ अधिकारियों की लंबे समय बाद केंद्र से घर वापसी और दिल्ली जाने की चर्चा जोरों पर है. 1995 बैच के आईएएस अधिकारी रोहित कुमार सिंह के केंद्र से प्रतिनियुक्ति पूरी होने के बाद राजस्थान लौटने की खबरें हैं, जबकि इसी कैडर के प्रसिद्ध आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन को दिल्ली पुलिस या केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने की संभावना जताई जा रही है. दोनों अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने और लौटने की खबरें चर्चा का विषय बनी हुई है.

आईपीएस दिनेश एमएन की है, जो सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सात साल जेल रहने के बाद भी अपनी दबंग छवि बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं. केंद्र सरकार ने उन्हें प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली बुलाया है. दिनेश एमएन वर्तमान में राजस्थान में एडीजी क्राइम ब्रांच या एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स के प्रमुख हैं. उनके दिल्ली जाने से राजस्थान पुलिस में बड़ा बदलाव आएगा. सूत्रों के अनुसार, 8 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारियों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

लंबे समय से केन्द्र में प्रतिनियुक्त थे आईएएस रोहित

दूसरी ओर, राजस्थान कैडर के 1995 बैच के आईएएस अधिकारी रोहित कुमार सिंह चार साल बाद केंद्र से लौटकर राजस्थान सरकार से अनुमति मांग रहे हैं. रोहित कुमार सिंह लंबे समय से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर थे और अब राज्य में जॉइनिंग लेने की तैयारी में हैं. राज्य सरकार ने उनकी वापसी की अनुमति दे दी है. इसके बाद केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने का निर्णय लिया जाएगा. एक अन्य अधिकारी सिद्धार्थ महाजन का भी जिक्र है, जो चार साल बाद लौटने की चर्चा में हैं. ये बदलाव राजस्थान प्रशासन में बड़े फेरबदल का हिस्सा है. अधिकारियों की कमी के बीच केंद्र और राज्य के बीच प्रतिनियुक्ति का यह आदान-प्रदान महत्वपूर्ण है.

कौन हैं आईपीएस दिनेश एमएन 

आईपीएस दिनेश एमएन भारतीय पुलिस सेवा के 1995 बैच के वरिष्ठ अधिकारी हैं, जो अपने अनुशासित कार्यशैली और सख्त प्रशासनिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने देश के विभिन्न संवेदनशील जिलों और अहम पदों पर रहते हुए कानून-व्यवस्था को मजबूत किया है. दिनेश एमएन ने पुलिसिंग में आधुनिक तकनीक, खुफिया तंत्र और सामुदायिक सहभागिता को विशेष महत्व दिया. अपराध नियंत्रण, माफिया नेटवर्क पर कार्रवाई और संगठित अपराध के खिलाफ सख्त रवैया उनकी पहचान रहा है. वे फील्ड पोस्टिंग के दौरान आम जनता से सीधे संवाद पर भरोसा करते हैं और पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने के पक्षधर रहे हैं. प्रशिक्षण और प्रशासनिक अनुभव के चलते उन्होंने युवा अधिकारियों को मार्गदर्शन भी दिया है. उनकी कार्यशैली निष्पक्षता, पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण मानी जाती है.

तेजतर्रार अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं आईएएस सिद्धार्थ महाजन 

आईएएस सिद्धार्थ महाजन एक तेजतर्रार और परिणामोन्मुख प्रशासनिक अधिकारी माने जाते हैं. उन्होंने शिक्षा, राजस्व, शहरी विकास और प्रशासनिक सुधारों से जुड़े विभागों में प्रभावी भूमिका निभाई है. सिद्धार्थ महाजन नीतियों के जमीनी क्रियान्वयन और समयबद्ध फैसलों के लिए पहचाने जाते हैं. डिजिटल गवर्नेंस, पारदर्शिता और नागरिक सुविधाओं के विस्तार पर उनका विशेष फोकस रहा है. वे मानते हैं कि प्रशासन का उद्देश्य केवल नियम लागू करना नहीं, बल्कि आम नागरिक की समस्याओं का समाधान करना है. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने टीमवर्क और डेटा-आधारित निर्णयों को बढ़ावा दिया. शांत स्वभाव, स्पष्ट सोच और मजबूत नेतृत्व क्षमता के कारण वे सरकार और जनता के बीच सेतु की भूमिका निभाते रहे हैं.

आमजनों से सीधे संवाद में विश्वास रखते हैं आईएएस रोहित कुमार 

आईएएस रोहित कुमार भारतीय प्रशासनिक सेवा के उन अधिकारियों में शामिल हैं, जो फील्ड और सचिवालय दोनों स्तरों पर संतुलित प्रशासन के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने विकास योजनाओं, सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों और कानून-व्यवस्था से जुड़े विषयों पर प्रभावी कार्य किया है. रोहित कुमार का मानना है कि सुशासन की नींव ईमानदारी और जवाबदेही में होती है. उन्होंने अपने कार्यकाल में योजनाओं की मॉनिटरिंग और समय पर क्रियान्वयन पर विशेष जोर दिया. आमजन से सीधा संवाद, समस्याओं की त्वरित सुनवाई और नवाचार उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण का हिस्सा रहा है. शांत लेकिन दृढ़ निर्णय लेने की क्षमता उन्हें एक भरोसेमंद अधिकारी बनाती है.

शिक्षा में सुधार के लिए चर्चित रहे हैं आईएएस के.के. पाठक 

आईएएस के.के. पाठक एक सख्त, स्पष्टवादी और अनुशासनप्रिय प्रशासनिक अधिकारी के रूप में देशभर में चर्चित रहे हैं. वे विशेष रूप से शिक्षा सुधार, प्रशासनिक अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जाने जाते हैं. के.के. पाठक ने अपने कार्यकाल में व्यवस्था सुधार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और लापरवाही पर कठोर कार्रवाई से पीछे नहीं हटे. उनका मानना है कि सरकारी तंत्र तभी प्रभावी हो सकता है, जब नियमों का सख्ती से पालन हो. शिक्षा व्यवस्था में सुधार और अधिकारियों की कार्यसंस्कृति बदलने के उनके प्रयासों ने उन्हें अलग पहचान दिलाई.वे निर्णय लेने में स्पष्टता और परिणाम पर केंद्रित प्रशासन के समर्थक हैं.

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