Holi 2025: गुलाल हो तो ऐसा… दौसा में मक्के का आटा, मौसमी के छिलके, पालक से हो रहा तैयार, जानिए इसके रेट और फायदे

Last Updated:March 13, 2025, 10:13 IST
Herbal Color : दौसा जिले में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 50 महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं, यह न केवल आपकी त्वचा को फायदा पहुंचाएगा, बल्कि महिलाएं भी इससे आत्मनिर्भर हो रही हैं. महिलाएं इस गुलाल को मक्का…और पढ़ेंX
महिलाएं तैयार करती गुलाल
हाइलाइट्स
दौसा में 50 महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं.हर्बल गुलाल मक्का, चुकंदर, पालक आदि से बनता है.हर्बल गुलाल 250-280 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.
दौसा: जिले में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 50 महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. यह गुलाल पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पादों से बना है, जिससे न केवल लोगों को केमिकल-मुक्त रंग मिलेंगे, बल्कि इन महिलाओं को आर्थिक फायदा भी मिलेगा. बता दें, होली के अवसर को देखते हुए, पांच स्वयं सहायता समूह मिलकर 500 किलो हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं. अब तक इनके द्वारा 300-400 किलो गुलाल तैयार कर बाजार में सप्लाई भी किया जा चुका है. इस हर्बल गुलाल को बनाने में अरारोट और मक्के के आटे का उपयोग किया जाता है, और रंगों के लिए प्राकृतिक स्रोतों का सहारा लिया जा रहा है.
इस तरह से बनता है हर्बल रंगगुलाल का निर्माण करने वाली महिलाओं ने बताया है, कि उनके द्वारा जब रंग बनाना होता है, तो हरे रंग का गुलाल पालक से और गुलाबी रंग चुकंदर के जूस से, पीला रंग गेंदे के फूल, और नारंगी रंग मौसमी के छिलके से बनाते हैं. राजीविका के सहयोग से चल रही इस पहल में हर महिला को अच्छी आमदनी हो रही है.
250 से 280 रुपये किलो बिक रहा गुलालआपको बता दें, इस हर्बल गुलाल का उत्पादन 180 रुपए प्रति किलो में हो रहा है, जबकि बाजार में यह 250-280 रुपए प्रति किलो में बिक रहा है. इससे महिलाओं को सीधे आर्थिक लाभ मिल रहा है और होली पर लोगों को रासायनिक रंगों से बचाव का एक बेहतर विकल्प भी. महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर राजीविका के अधिकारियों से मिलकर बाजारों तक पहुंचती हैं, और बैंकों सहित अनेक सरकारी कार्यालय में भी इनके गुलाल की बिक्री की जाती है.
केमिकल युक्त रंगों से बचेंआपको बता दें, कि बाजार में मिलने वाले केमिकल वाले रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. ऐसे में हर्बल गुलाल न सिर्फ त्वचा के लिए सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण के लिए अनुकूल भी है. महिलाओं का कहना है कि बाजार में जो गुलाल आता है, उनमें केमिकल होता है, वह शरीर की त्वचा को खराब कर देता है. आगे वे कहती हैं, कि इनमें कई प्रकार के हानिकारक केमिकल भी कभी-कभी मिला दिए जाते हैं, जिसके चलते होली खेलने वाले लोगों के शरीर पर कई बार कई प्रकार के रोग हो जाते हैं.
महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भरराजीविका की यह पहल न सिर्फ होली के उत्सव को स्वस्थ और सुरक्षित बना रही है, बल्कि इससे स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक फायदा भी मिल रहा है.
Location :
Dausa,Rajasthan
First Published :
March 13, 2025, 10:13 IST
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गुलाल हो तो ऐसा, दौसा में मक्के का आटा, मौसमी के छिलके, पालक से हो रहा तैयार