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अभी नहीं तो कभी नहीं…’ पहलगाम आतंकी हमले पर सेलिना जेटली का छलका दर्द, बचपन की यादें की बयां

Last Updated:April 28, 2025, 21:49 IST

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपना लिया है. भारतीय सेना एक्शन मोड है. इस बीच, फिल्मी सितारे आतंकी घटना पर अपना रिएक्शन दे रहे हैं. सेलिना जेटली ने भी अपना दर्द बयां किय…और पढ़ेंअभी नहीं तो कभी नहीं...' पहलगाम आतंकी हमले पर सेलिना जेटली का छलका दर्द

सेलिना जेटली आर्मी ऑफिसर की बेटी हैं. (फोटो साभार: Instagram@celinajaitlyofficial)

हाइलाइट्स

सेलिना जेटली ने पहलगाम हमले पर दर्द बयां किया.बचपन में कश्मीर में डर और असुरक्षा का सामना किया.आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की अपील की.

नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले ने देश को दहला दिया है. आम से लेकर खास लोग, घटना की कड़ी निंदा कर रहे हैं. इस बीच, एक्ट्रेस सेलिना जेटली ने कश्मीर में बिताए अपने बचपन की यादों को शेयर किया. उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक इमोशनल पोस्ट शेयर किया. वे एक आर्मी अफसर की बेटी हैं. उन्होंने बताया कि किस तरह खूबसूरत घाटी में रहते हुए भी उन्हें डर और असुरक्षा का सामना करना पड़ता था. स्कूल जाते वक्त उनके और दूसरे बच्चों के साथ सुरक्षाकर्मी चलते थे.

सेलिना जेटली ने लिखा कि बचपन में मैं समझ नहीं पाती थी कि मेरी फैमिली को ऐसे हालात में क्यों रहना पड़ता है, जबकि मेरे पिता मिलिट्री में थे. एक्ट्रेस ने बताया कि उनका बचपन अलग-अलग आर्मी पोस्ट पर घूमते हुए बीता, कभी वह कश्मीर में रहीं, तो कभी उत्तराखंड, तो कभी अरुणाचल प्रदेश में. उन्होंने कहा, ‘भले ही ये जगहें बहुत खूबसूरत थीं, लेकिन उनका बचपन सिर्फ इनकी खूबसूरती से नहीं जुड़ा था. उस समय इन इलाकों में आतंकवाद और तनावपूर्ण माहौल था, जिससे डर और असुरक्षा का माहौल बना रहता था.’

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(फोटो साभार: Instagram@celinajaitlyofficial)

बचपन की शेयर की फोटोएक्ट्रेस ने अपनी पोस्ट में अपने बचपन की तस्वीरें शेयर कीं. जब वो 8 या 9 साल की होंगी. सेलिना ने कैप्शन में लिखा, ‘शैव भूमि में एक सैनिक की बेटी गोलियों से तो बच गई, लेकिन डर से नहीं. बचपन में मैं कश्मीर में रही और वहीं उधमपुर के आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की. यह तस्वीर पटनीटॉप के नॉर्थ स्टार कैंप की है, जब मैं लगभग 8 या 9 साल की थी. मेरे पापा पहाड़ी रेजीमेंट में सेना अधिकारी थे, इसलिए मुझे भारत के सुंदर पहाड़ी इलाकों कश्मीर, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में रहने का मौका मिला. लेकिन कश्मीर के दिनों की यादों में डर और असुरक्षा बहुत गहरे बसे हुए हैं, क्योंकि उस समय वहां बहुत तनावपूर्ण माहौल था.’

कश्मीर में बिताए दिन किए यादसेलिना ने आगे बताया कि वह अक्सर अपनी मां से सवाल करती थीं, ‘मां, हमें आर्म्ड गार्ड्स के साथ स्कूल क्यों जाना पड़ता है?’ जो बच्चे आर्मी के परिवार से होते हैं, वे समझ सकते हैं कि एक मिलिट्री ट्रक या शक्तिमान स्कूल बस में सफर करना कैसा होता है. उन्होंने कहा, ‘मुझे अभी भी साफ-साफ याद है कि हमें कैसे सिखाया गया था कि फायरिंग होने पर कैसे छिपना है, कैसे चुप रहना है. रानीखेत और शिमला जैसे शांत पहाड़ी इलाकों में बचपन बिताने के बाद यह देखकर दिल दुखता था कि वहां मैं न तो आजादी से घूम सकती थी, न ही फूलों को तोड़ सकती थी और न ही दोस्तों के साथ खेल सकती थी. एक ऐसी जिसे पहले ‘ऋषि वैर’ यानी संतों की घाटी के रूप में जाना जाता था. इसमें प्राचीन हिन्दू ज्ञान, शैव धर्म और कश्मीरी संस्कृति समाई हुई थी, वह हिंसा और आतंकवाद से पीड़ित हो गया था.’

सेलिना जेटली का फूटा गुस्सासेलिना जेटली की पोस्ट में आगे लिखा है, ‘पहलगाम में हाल में हुए आतंकी हमलों ने इनमें से कई यादें वापस ला दी हैं. दशकों से आतंक ने हमारे पहाड़ों की शांति और भव्य सुंदरता को ढक दिया है. यह समय अब या कभी नहीं का है और हमें इस डर की चक्रव्यूह को खत्म करना होगा, जिसने पीढ़ियों पर असर डाला है. जब हम इस डर और आतंकवाद से उबरेंगे, तभी हम इन पवित्र पहाड़ों की सच्ची आत्मा और उद्देश्य को फिर से पा सकते हैं. जय हिंद!’

First Published :

April 28, 2025, 21:49 IST

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