संभव हो तो दो महीने के लिए छोड़ दो दिल्ली! देश के टॉप डॉक्टर ने क्यों कही ये बात?leave delhi for two months if possible delhi top doctor gc khilnani advices due to heavy pollution worse air quality

Last Updated:October 31, 2025, 15:09 IST
दिल्ली की हवा गंभीर रूप से प्रदूषित हो चुकी है. यहां रहना खतरे से खाली नहीं है. ऐसे में दिल्ली के टॉप पल्मोनरी एक्सपर्ट डॉ. जीसी खिलनानी ने सलाह दी है कि खासकर फेफड़ों, हार्ट, किडनी और ऑक्सीजन सपोर्ट पर चल रहे मरीज दिसंबर तक दिल्ली से दूर चले जाएं क्योंकि प्रदूषण से गंभीर बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं.
दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए एक्सपर्ट दिल्ली से कुछ दिन के लिए दूर जाने की सलाह दे रहे हैं. Delhi Very poor Air Quality: दिल्ली की हवा खराब से बहुत खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है.वायु प्रदूषण को गंभीर स्तर पर पहुंचने को रोकने के लिए किया गया क्लाउड सीडिंग का उपाय भी कारगर नहीं हुआ है. ऐसे में दिल्ली के टॉप डॉक्टरों में से एक पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. जीसी खिलनानी ने लोगों को सलाह दी है कि अगर संभव हो तो वे करीब दो महीने के लिए दिल्ली छोड़ दें. उनका कहना है कि जो दिल्ली से बाहर रह रहे हैं, वे लोग भी दिसंबर तक यहां न आएं तो बेहतर होगा.
दिल्ली एम्स में पूर्व एचओडी रह चुके पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. खिलनानी कहते हैं कि पहले से ही फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए आने वाले महीने काफी परेशानी भरे हो सकते हैं. इतना ही नहीं सामान्य लोगों के लिए भी इस हवा में सांस लेना खतरे से खाली नहीं है. दिल्ली का प्रदूषण जिस गंभीर स्तर पर है उससे यह वायरस या बैक्टीरिया से होने वाले निमोनिया (pneumonia) को और भी खतरनाक बना सकता है. इससे मरीजों में मौत का खतरा भी बढ़ सकता है.
‘जिन लोगों को पहले से कोई फेफड़े, दिल या सांस की पुरानी बीमारी है या फिर जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं अगर वे वहन कर सकते हैं तो कुछ हफ्तों तक इस शहर से दूरी बना लें क्योंकि यह वायु प्रदूषण अभी कई जटिलताएं पैदा करने के साथ ही दूरगामी असर भी डाल रहा है. यह न सिर्फ बुजुर्गों को प्रभावित कर रहा है बल्कि के कोमल फेफड़ों की वृद्धि को भी धीमा कर रहा है और एम्स की स्टडी में यह बात साबित भी हो चुकी है. स्टडी बताती हैं कि देश के मुकाबले दिल्ली में अस्थमा रोगियों की संख्या ज्यादा है. जहां 30-40 साल पहले क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (COPD) के 90 परसेंट मामले स्मोकिंग या तंबाकू के चलते होते थे आज 50 फीसदी केस प्रदूषण के कारण हो रहे हैं. वहीं कैंसर में भी लगभग यही हाल है. इनमें घर के अंदर और बाहर दोनों का प्रदूषण शामिल है.’
प्रदूषण कैसे डाल रहा असर? डॉ. खिलनानी बताते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से फेफड़ों के काम करने की क्षमता और इम्यूनिटी घट जाती है. पहले क्रॉनिक लंग डिजीज वाले आधे मरीज दवाइयों से ठीक रहते थे और ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती थी लेकिन पिछले पांच दिनों में कई मरीजों की हालत बिगड़ी है, कुछ को तो ऑक्सीजन तक लगानी पड़ी और तीन मरीजों को ICU में भर्ती करना पड़ा. सबसे खास बात है कि प्रदूषण से सिर्फ फेफड़े नहीं, बल्कि पूरा शरीर प्रभावित हो रहा है. यह दिल, दिमाग, किडनी, आंतें, हार्मोन सिस्टम और इम्यूनिटी को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. इसकी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं. ब्लड प्रेशर और शुगर (डायबिटीज़) के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. यहां तक कि रूमेटाइड अर्थराइटिस की शिकायतें मिल रही हैं.
priya gautamSenior Correspondent
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi..com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्…और पढ़ें
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi..com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्… और पढ़ें
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Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
October 31, 2025, 15:09 IST
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