मोदी, पुतिन और जिनपिंग की तिकड़ी हाथ पकड़कर निकल जाए, तो कैसे 360 डिग्री घूम जाएगी वर्ल्ड पॉलिटिक्स

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट के लिए कल रूस रवाना होने वाले हैं. रूस के कजान शहर में होने वाले इस शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी वहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे. यहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय बैठक की भी संभावना जताई जा रही है, हालांकि इस बारे में अभी कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. ब्रिक्स यानी ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह आज दुनिया को दिशा देने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. कहा यह भी जा रहा है कि मोदी-पुतिन और जिनपिंग की तिकड़ी हाथ पकड़कर अगर निकल जाए तो पूरी वर्ल्ड पॉलिटिक्स 360 डिग्री घूम जाएगी. तो आइए समझते हैं कैसे…
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बने गतिरोध को लेकर ब्रिक्स समिट से पहले बड़ी खबर आई. दोनों देशों के बीच एलएसी विवाद अब सुलझ गया है. इस समझौते के बाद एलएसी पर 2020 से पहले वाली स्थिति कायम हो गई है और भारतीय सैनिक उन सभी जगहों पर अब पेट्रोलिंग कर सकेंगे, जहां 2020 से पहले तक गश्त कर रहे थे.
भारत-चीन ने सुलझाया एलएसी का विवादभारत और चीन के बीच हुए इस समझौते ने साबित किया है कि बातचीत से हर मसले को सुलझाया जा सकता है. 15 जून 2020 को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प के बाद भारत और चीन के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे और दोनों देशों ने एलएसी पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी.
हालांकि इस मसले पर भारत ने जंग की जगह चीन को बातचीत से समझाने का रास्ता चुना. सीमा विवाद को लेकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच दो अहम बैठकें हुई. इसके अलावा पर्दे के पीछे कूटनीतिक और सैन्य बातचीत का दौर पर भी चलता है. पिछले 4 वर्षों के दौरीन 31 राउंड कूटनीतिक बैठकें और 21 बार सैन्य वार्ता हुई, जिसने भारत और चीन के लिए एलएसी को लेकर समझौते का रास्ता का साफ कर दिया.
चीन का रूस के साथ भी था सीमा का झगड़ापीएम मोदी लगातार ही यह कहते रहे हैं कि आज का युग युद्ध का नहीं और चीन के साथ विवाद का हल पीएम मोदी के इसी कथन की ताकत बयां करता है. पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन युद्ध को लेकर यह बात कही थी, लेकिन पुतिन ने इसका अमल अपने पक्के दोस्त चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाने में किया.
दरअसल चीन और रूस (तब सोवियत संघ) की सीमा पर उसूरी नदी के बीच द्वीप है. रूस इसे अपना दमनस्की द्वीप बताता है तो वहीं चीन की नजर में यह जेनबाओ द्वीप जो उसकी सरजमीं का हिस्सा है. इस द्वीप को लेकर दोनों देशों के बीच पुरानी लड़ाई चल रही थी. वर्ष 1969 में दोनों सेनाओं के बीच इस द्वीप को लेकर हिंसक झड़प भी हुई थी. हालांकि दोनों देशों ने आखिरकार बातचीत के जरिये इस मसले को सुलझा लिया. रूस और चीन के बीच 2008 में सीमा विवाद को लेकर समझौता हो गया.
ब्रिक्स समिट वैसे तो पांच देशों ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका का समूह है, लेकिन इसकी बैठक पर दुनिया भर की नजर रहेगी. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब रूस और यूक्रेन के बीच पिछले ढाई साल से जंग जारी है. उधर इजरायल के अंदर हमास के हमले के बाद जारी जंग में पूरा पश्चिम एशिया झुलस रहा है. वहीं चीन की ताइवान से तनातनी भी चरम पर चल रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि ब्रिक्स समिट में जब पीएम मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ जब बैठेंगे, तो इन जंगों का जरूर कोई समाधान निकलेगा. अगर ऐसा होता है कि वर्ल्ड पॉलिटिक्स में यह 360 डिग्री का टर्न साबित होगा, क्योंकि अब तक जहां अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों की दुनिया में धमक मानी जाती है, तो वहीं इसके बाद दुनिया के लिए भारत-रूस और चीन की तिकड़ी की चौधराहट के आगे नतमस्तक होना लाजमी होगा.
Tags: BRICS Summit, PM Modi
FIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 18:55 IST