पहाड़ का अमृत… इम्युनिटी बढ़ाने वाला कुदरती फल, अगर खाया तो नहीं होगी कोई बीमारी

Last Updated:April 12, 2025, 22:29 IST
Hisalu Fruit Benefits: हिमाचल की भूमि केवल सौंदर्यता के लिए नहीं जानी जाती है. अपितु यहां ऐसे-ऐसे पेड़-पौधे, फल-सब्जियां लगती हैं जो स्वाद में तो लाजवाब होती ही हैं. वहीं, गुणों में भी कम नहीं होते. ऐसे ही फल के…और पढ़ेंX
हिसालु की तस्वीर
Hisalu Fruit Benefits: हिमालयी क्षेत्रों की खूबसूरत वादियों में कई दुर्लभ और औषधीय गुणों से भरपूर फल पाए जाते हैं. इनमें से एक प्रमुख फल हिसालु है, जिसे पहाड़ का अमृत भी कहा जाता है. यह जंगली फल अपनी मिठास, स्वाद और औषधीय गुणों के कारण बेहद खास माना जाता है. हालांकि, इसे केवल मार्च से मई के बीच के 3 महीनों तक ही देखा और चखा जा सकता है.
हिसालु फल का रंग पकने पर गहरा पीला या नारंगी हो जाता है. इसका आकार छोटा और स्वाद में हल्का खट्टा-मीठा होता है, जिससे रसभरी जैसा स्वाद महसूस होता है. इसकी झाड़ियां पहाड़ी क्षेत्रों में जंगलों, सड़कों के किनारे और खेतों की मेढ़ों पर उगती हैं. मंडी के आसपास के जंगलों में इस समय हिसालु बड़ी मात्रा में उग रहा है.
डॉ. ओम राज शर्मा बताते हैं कि हिसालु का वैज्ञानिक नाम रूबस इलिपासस (Rubus ellipticus) है. यह गुलाब परिवार का पौधा है और भारतीय उपमहाद्वीप, नेपाल, फिलीपींस, चीन में पाया जाता है. इसे ताजे फल के रूप में खाने के अलावा शरबत और जैम बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है.
इम्यूनिटी बढ़ाने में मददडॉक्टर का कहना है कि हिसालु न केवल स्वाद में बेहतरीन है, बल्कि इसमें विटामिन-C, एंटीऑक्सिडेंट और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं. पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग पेट से जुड़ी समस्याओं, सरदर्द, बुखार और घाव भरने के लिए किया जाता है, जिसके कारण इसे स्वास्थ्यवर्धक फल माना जाता है.
धीरे-धीरे दुर्लभ होता जा रहाहालांकि, हिसालु की लोकप्रियता के बावजूद यह धीरे-धीरे दुर्लभ होता जा रहा है. जंगलों की कटाई और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव के कारण इसकी उपलब्धता में कमी आई है. स्थानीय लोग इसे बचाने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन बढ़ते शहरीकरण और अनियंत्रित दोहन से इस अमृत तुल्य फल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.
इसकी खेती को बढ़ावापर्वतीय इलाकों में स्थानीय लोग हिसालु को संरक्षित करने और इसकी खेती को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे हैं. कई स्वयंसेवी संगठन और किसान अब इसकी व्यावसायिक खेती पर ध्यान दे रहे हैं ताकि यह दुर्लभ फल आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सके. हिसालु न केवल पहाड़ों की सौगात है, बल्कि वहां की जीवनशैली और संस्कृति का अहम हिस्सा भी है. इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है, वरना यह दुर्लभ फल सिर्फ कहानियों तक ही सीमित रह जाएगा.
Location :
Mandi,Himachal Pradesh
First Published :
April 12, 2025, 22:29 IST
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पहाड़ का अमृत… इम्युनिटी बढ़ाने वाला कुदरती फल, अगर खाया तो नहीं होगी बीमारी
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