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7 संकेत दिखें तो समझिए नाक के कैंसर की शुरुआत हो चुकी है, तुरंत करा लें ये टेस्ट, मर्द बिल्कुल भी न करें इग्नोर

Warning Sign of Nasal Cancer: आधुनिकता ने हमें कई सुविधाएं दी हैं तो कई बीमारियां भी दी हैं. इसी आधुनिकता की वजह से आज युवाओं में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. हाल के दिनों में नजल कैंसर यानी नाक का कैंसर के मामले भी युवाओं में सामने आने लगे है. नाक का कैंसर दुर्लभ प्रकार के कैंसरों में से एक है. हैरान करने वाली बात यह है कि नाक का कैंसर पुरुषों में ज्यादा देखने को मिल रहा है. कैंसर चाहे कोई भी है, अधिकांश मामलों में मौतें इसलिए होती है क्योंकि इसमें लक्षण जल्दी नहीं उभरते और जब तक लक्षण दिखते हैं तब तक देर हो चुकी होती है. इसलिए तेजी से बढ़ने वाले मामले नाक के कैंसर की पहचान कैसे करें और इसके बाद क्या करें, इस विषय पर पूरी जानकारी यहां हासिल कर सकते हैं.

नाक का कैंसर है क्या

टीओआई की खबर के मताबिक नाक के कैंसर को साइनस का कैंसर भी कहा जाता है. नाक का कैंसर नाक की गुहा (नैसल कैविटी) या पैरानैसल साइनस में होता है. इस जगह पर आम कोशिका ही कैंसर कोशिकाओं में बदलने लगती है. हालांकि यह रेयर है लेकिन यह सिर और गर्दन के कैंसर (हेड एंड नेक कैंसर) का एक प्रकार है. विशेष रूप से नैसल कैंसर नाक के पीछे मौजूद खुले स्थान से शुरू होता है. यह वही कैविटी है जो मुंह की छत यानी तालू के ऊपरी हिस्से के साथ-साथ चलती है और आगे जाकर गले से जुड़ जाती है. पैरानैसल साइनस हड्डियों में मौजूद छोटे-छोटे हवा से भरे स्थान होते हैं, जो नाक की गुहा से जुड़े होते हैं.

नाक के कैंसर के लक्षण

अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार नाक के कैंसर के लक्षण आमतौर पर नाक के एक ही हिस्से में दिखाई देते हैं. जब किसी को नाक का कैंसर शुरू होता है तो उसमें नाक बंद रहना या भरी-भरी महसूस होने लगता है. इसके साथ ही आंखों के ऊपर या नीचे दर्द, नाक के एक तरफ रुकावट, नाक से खून आना, नाक से मवाद गिरना, चेहरे या दांतों में सुन्नपन, लगातार आंखों से पानी आना, नजर में बदलाव, कानों में दर्द या दबाव, चेहरे, तालू या नाक के अंदर गांठ या सूजन जैसे लक्षण दिख सकते हैं. हालांकि जरूरी नहीं कि ये लक्षण नाक के कैंसर के ही कारण हो लेकिन अगर इनमें से एक साथ कई लक्षण दिखे तो जांच अवश्य करानी चाहिए.

किन लोगों को है नाक के कैंसर का खतरा

कुछ खास तरह के काम करने वाले लोगों में कुछ पदार्थों सांस के जरिए चले जाते हैं. ऐसे लोगों को नाक के कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है. जैसे कारपेंट्री या बढ़ईगीरी से निकलने वाली लकड़ी की धूल से यह कैंसर हो सकता है. उसी तरह कपड़ा उद्योग की धूल, चमड़े की धूल, आटे की धूल, निकल और क्रोमियम की धूल, मस्टर्ड गैस, रेडियम आदि से भी नाक का कैंसर हो सकता है. वही ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) संक्रमण से भी नाक का कैंसर हो सकता है. इसके अलावा जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनमें भी नाक के कैंसर का खतरा रहता है. कुछ लोगों में जेनेटिक भी होता है. इसके अलावा पुरुषों में यह बीमारी ज्यादा होती है.

नाक के कैंसर की जांच कैसे की जाती है

नाक के कैंसर का पता आमतौर पर व्यक्ति में दिखाई देने वाले लक्षणों के आधार पर लगाया जाता है. डॉक्टर पहले शारीरिक और मेडिकल जांच करते हैं. यदि उन्हें कैंसर की आशंका होती है, तो मरीज को ओटोलैरिंजोलॉजिस्ट (ENT विशेषज्ञ) के पास भेजा जाता है. शरीर के अंदर की स्थिति को समझने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, पीईटी स्कैन और बायोप्सी जैसी जांचें की जा सकती हैं.

नाक के कैंसर का इलाज क्या है?

अगर किसी को नाक का कैंसर कंफर्म हो जाता है तो इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं है. इसका इलाज है. नाक क कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और टार्गेटेड ड्रग थेरेपी जैसे उपचार अपनाए जाते हैं. अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार लास्ट स्टेज में भी मरीज की औसत आयु को बढ़ाया जा सकता है.

नाक के कैंसर से कैसे बचें

सभी नाक के कैंसर को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ आदतों से बचकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है. हानिकारक रसायनों के संपर्क में लाने वाले पदार्थों के साथ काम करने से बचें और स्मोकिंग को पूरी तरह छोड़ दें. नाक के कैंसर एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है लेकिन कुछ क्षेत्रों में काम करने वाले पुरुषों के लिए यह जोखिम बन सकता है.

नोट: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है और इसे चिकित्सकीय सलाह न माना जाए. किसी भी नई दवा या उपचार शुरू करने से पहले, तथा अपने आहार या सप्लीमेंट में बदलाव करने से पहले हमेशा किसी एक्सपर्ट डॉक्टर से सलाह लें.

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