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If you want to know tribal art and culture then go to Tribal Museum. | आदिवासी कला और संस्कृति को जानना है तो जाइए ट्राइबल म्यूजियम

35 करोड़ की लागत से बना था संग्रहालय जनजातीय संग्रहालय की स्थापना राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स पर 6 जून 2013 को की गई थी। करीब 2 एकड़ में फैले इस संग्रहालय को 35 करोड़ की लागत से बनाया गया है। इस संग्रहालय का प्रतीक चिन्ह बिरछा है। संग्रहालय में अलग-अलग 6 कला दीर्घाएं बनी हैं।

घास की छत और खेती के औजार आदिवासियों के इस्तेमाल की हर छोटी बड़ी चीज मौजूद हैं। घरों में उपयोग के बर्तन, खेती किसानी के औजार, कपड़े, खान-पान सब कुछ एक ही छत के नीचे मौजूद है। जनजातीय जीवन शैली को समझने वालों के लिए ये म्यूजियम एक खुली किताब की तरह है। रोजाना सात सौ से आठ सौ लोग पहुंचते हैं यहां बताया गया कि हर रोज यहां सात सौ से आठ सौ लोग पहुंचते हैं। वीक एण्ड में यह संख्या और बढ़ जाती है। यहां पहुंचने वालों में राजधानी के अलावा प्रदेश और अन्य राज्यों से लोग होते हैं जो खासतौर पर यहां आते हैं।

टिकट – 20 रुपए
सोमवार को अवकाश
स्थान: श्यामला हिल्स
700 से आठ सौ लोग पहुंचते हैं यहां जल्द ही म्यूजियम में मिलेंगे आदिवासी व्यंजन
म्यूजियम में जल्द ही आदिवासी व्यंजन भी मिलेंगे। इन्हें बनाने के लिए आदिवासी क्षेत्रों से ही लोगों को बुलाया जाएगा। इसके लिए योजना बनी है। जल्द ही इसे शुरू किया जाएगा।

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आदिवासी कला और संस्कृति को संजोकर रखा गया है। हर रोज बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
अशोक मिश्रा, क्यूरेटर जनजातीय संग्रहालय

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