IIIT के इंजीनियर्स का कमाल, नफरत फैलाने वाले पोस्ट रोकने के लिए बनाया सॉफ्टवेयर, जानें कैसे करेगा यह काम

शोध छात्र अशोक यादव के मुताबिक सोशल साइट्स पर हेट स्पीच या वर्ड्स को पकड़ने के लिए मॉडरेटर्स की नियुक्ति की जाती है. जो कि सोशल साइट्स पर हेट कंटेंट को पहचान कर उसे रोकने का काम करते हैं. लेकिन हेट फ्यूजन नाम से तैयार किया गया यह सॉफ्टवेयर अगर किसी भी सोशल प्लेटफार्म के एपीआई यानी एप्लीकेशन पैकेज इंटरफेस में डाल दिया जाएगा, तो वह अपने आप हेट कंटेंट की पहचान कर लेगा. हेट फ्यूजन सॉफ्टवेयर तीन कैटेगरी में पहचान कर सकता है, हेट, नॉट हेट और ऑफेंसिव। इस सॉफ्टवेयर में यह भी सुविधा है कि कैसे हेट कंटेंट पोस्ट किए गए हैं और उसकी इंटेंसिटी कितनी हो सकती है.
प्रोफेसर वृजेंद्र सिंह का दावा है कि खास तौर पर चुनाव के दौरान यह सॉफ्टवेयर बेहद उपयोगी हो सकता है. क्योंकि यह सॉफ्टवेयर इस बात की आसानी से पहचान कर लेता है कि किसी मैसेज में प्रयोग किया गया कौन सा शब्द हेट स्पीच के दायरे में आता है. क्योंकि भाषणों में किसी धर्म, जाति या लिंग विशेष को लेकर अगर कोई आपत्तिजनक शब्द या वाक्य प्रयोग होता है तो यह सॉफ्टवेयर आसानी से उसे पकड़ लेगा. इसके बाद उसे पोस्ट करने से रोका जा सकता है. प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह का दावा है कि इससे पहले जो हेट स्पीच को पकड़ने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किए गए हैं उनकी एक्यूरेसी 81 से 82 फीसदी तक ही है. जबकि ट्रिपल आईटी इलाहाबाद की डीप लर्निंग लैबोरेट्री मैं तैयार किए गए सॉफ्टवेयर हेट फ्यूजन की एक्यूरेसी 85 फ़ीसदी से ज़्यादा है.
डीप लर्निंग लैबोरेट्री के इंचार्ज प्रोफेसर वृजेंद्र सिंह के मुताबिक जल्द ही ट्रिपल आईटी इस सॉफ्टवेयर को कॉपीराइट कराएगी. इसके अलावा हिंदी, मराठी, हिंग्लिश और अन्य भाषाओं को लेकर भी सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है. संस्थान के एक आईटी एमटेक छात्र मंगेश श्रावन डामरे जहां मराठी भाषा में हेट कंटेंट को पकड़ने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं. तो वहीं एम टेक की छात्रा आकृति सिंह हिंदी और इंग्लिश मिलकर यानि हिंग्लिश भाषा में पोस्ट किए जाने वाले हेट कंटेंट की पहचान के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर रही हैं.
प्रोफेसर वृजेंद्र सिंह के मुताबिक इसके अगले चरण में वॉइस और वीडियो मैसेज के लिए भी इसी तरह के सॉफ्टवेयर तैयार किए जाएंगे. ताकि हेट कंटेंट वाले वॉइस और वीडियो मैसेज की भी पहचान की जा सके. उनके मुताबिक भविष्य में इस तरह के सॉफ्टवेयर का उपयोग अदालती कामकाज में भी हो सकेगा. अभियुक्तों को सजा दिलाने में भी इसका उपयोग डिजिटल साइंटिफिक एविडेंस के रूप में किया जा सकेगा. क्योंकि अमेरिका जैसे कई विकसित देशों में ऐसे सॉफ्टवेयर की मदद न्यायिक कार्यों में भी ली जाती है. सॉफ्टवेयर से यह बताया जाता है कि कितना फीसदी हेट स्पीच दी गई है. जिससे यह तय होता है कि अदालत किसी आरोपी को कितनी राहत या सजा दे सकती है.
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