विक्रम भट्ट केस में हाई कोर्ट की अहम सुनवाई, डेढ़ घंटे की लंबी बहस! जानें अब किस मोड़ पर जाएगा मामला?

चन्द्रशेखर व्यास/जोधपुर. चर्चित फिल्म मेकर विक्रम भट्ट से जुड़े मामले में राजस्थान हाई कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. इस प्रकरण की सुनवाई जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ में की गई, जहां मामले को लेकर दोनों पक्षों ने विस्तार से अपनी-अपनी दलीलें रखीं. सुनवाई के दौरान उदयपुर रेंज के आईजी और उदयपुर जिले के एसपी भी वर्चुअल माध्यम से कोर्ट के समक्ष पेश हुए. करीब डेढ़ घंटे तक चली इस सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है. अब सभी की निगाहें अदालत के आने वाले फैसले पर टिकी हुई हैं.
यह मामला इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि इसमें एक ओर देश के जाने-माने फिल्म मेकर का नाम जुड़ा हुआ है, तो दूसरी ओर यह बहस इस बात को लेकर केंद्रित रही कि विवाद का स्वरूप सिविल है या आपराधिक. इसी बिंदु पर सुनवाई के दौरान तीखी बहस देखने को मिली, जिसमें सीबीआई जांच की मांग भी खुलकर सामने आई.
हाई कोर्ट में डेढ़ घंटे तक चली सुनवाई
राजस्थान हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को गंभीरता से सुना. जस्टिस समीर जैन की बेंच में यह मामला सूचीबद्ध था, जहां अधिवक्ताओं ने तथ्यों, दस्तावेजों और कानूनी पहलुओं के आधार पर अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान उदयपुर आईजी और एसपी का वर्चुअल रूप से पेश होना यह दर्शाता है कि अदालत इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है. राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी इस दौरान सवाल उठे.
सीबीआई जांच की मांग, सिविल या क्रिमिनल का विवादसुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पक्ष के अधिवक्ताओं ने यह दलील दी कि जिस मामले को लेकर कार्रवाई की जा रही है, उसका मूल स्वरूप सिविल नेचर का है. उनका कहना था कि इस तरह के विवाद में आपराधिक धाराओं का इस्तेमाल करना कानून की भावना के खिलाफ है. अधिवक्ताओं ने यह भी मांग रखी कि पूरे मामले की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए. उनका तर्क था कि स्थानीय स्तर पर की जा रही जांच पर सवाल खड़े हो चुके हैं.
पुलिस का पक्ष, क्रिमिनल नेचर का दावावहीं दूसरी ओर पुलिस और राज्य की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने अदालत को बताया कि यह मामला केवल सिविल विवाद तक सीमित नहीं है. पुलिस का मानना है कि प्रकरण में ऐसे तत्व शामिल हैं जो इसे आपराधिक प्रकृति का बनाते हैं. इसी आधार पर पुलिस ने अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया और सीबीआई जांच की मांग का विरोध किया. पुलिस अधिकारियों की वर्चुअल उपस्थिति के दौरान भी कोर्ट ने उनसे विभिन्न पहलुओं पर सवाल किए.
फैसला सुरक्षित, बढ़ी कानूनी हलचलकरीब डेढ़ घंटे की सुनवाई के बाद जस्टिस समीर जैन ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट के इस कदम के बाद अब यह स्पष्ट है कि आने वाला निर्णय इस पूरे मामले की दिशा तय करेगा. फिल्म मेकर विक्रम भट्ट से जुड़े इस प्रकरण में यह तय होना बाकी है कि इसे सिविल विवाद माना जाएगा या आपराधिक. साथ ही यह भी अहम होगा कि सीबीआई जांच की मांग पर अदालत क्या रुख अपनाती है.
आने वाले फैसले पर टिकी निगाहेंइस मामले में हाई कोर्ट का फैसला न केवल संबंधित पक्षों के लिए बल्कि ऐसे अन्य मामलों के लिए भी मिसाल बन सकता है, जहां सिविल और क्रिमिनल नेचर को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है. फिलहाल न्यायालय का निर्णय सुरक्षित होने के बाद कानूनी और प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो गई है, और सभी को अदालत के अंतिम आदेश का इंतजार है.



