In 1988 father became the first doctor of Chohtan area now son became the first judge

बाड़मेर:- कहते हैं कि पिता की परछाई उनका बच्चा होता है और कई बार बच्चा पिता के नक्शे कदम पर चलकर इतिहास दोहरा देता है. ऐसा ही कुछ भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के वैभव गढ़वीर ने कर दिखाया है. वैभव के पिता शंभूराम गढ़वीर साल 1988 में डॉक्टर बने थे और वह अपने इलाके के पहले डॉक्टर थे. अब वैभव ने इतिहास को दोहराते हुए इलाके के पहले जज बनने का गौरव हासिल किया है.
खुद ही बताई सफलता की कहानीअपने मेघवाल समाज के पहले जज बनने के बाद लोगों ने वैभव का मालाओं से स्वागत दिया. उसके लिए बहुमान समारोह का आयोजन किया जा रहा है. रविवार को राज्य में जारी हुए राजस्थान न्यायिक सेवा के परीक्षा परिणामों में पूरे राज्य में वैभव ने 209वीं रैंक हासिल की है. न्यायिक अधिकारी वैभव गढ़वीर ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर से 2022 में वकालत की डिग्री हासिल की थी.
इसके बाद एलएलएम के साथ आरजेएस की तैयारी शुरू की और एलएलएम चल रहा है. बाड़मेर की डीपीएस पब्लिक स्कूल से 10वीं पास करने के बाद उन्होंने जोधपुर में 12वीं करने के बाद एलएलबी में एडमिशन ले लिया. वैभव ने कड़ी मेहनत और निरंतर प्रयास से इस मुकाम को हासिल किया. कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खुद पर भरोसा बनाए रखा.
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सीनियर से मिला गाइडेंसवैभव गढ़वीर ने Local 18 को आगे बताया कि उन्हें अपनी पढ़ाई के दौरान सीनियर का गाइडेंस मिलता रहा. माता ममता गढ़वीर गृहिणी हैं और पिता डॉ. शंभूराम गढ़वीर की प्रेरणा से सफलता मिली है. वह बताते हैं कि वह रोजाना 7-8 घंटे पढ़ाई लगातार करते थे और परीक्षा के दिनों में यह समय 15 घण्टे का हो जाता था. चौहटन जैसे ग्रामीण परिवेश से होने के बावजूद अंग्रेजी में अच्छी पकड़ की वजह से अपने पहले प्रयास में ही न्यायिक अधिकारी बने हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 16:44 IST