Ajab Gajab: पाली में शीतला मां का चमत्कार, विज्ञान ने भी टेके घुटने, लाखों लीटर पानी समा लेती है मंदिर में बनी यह ओखली

Last Updated:March 23, 2025, 20:18 IST
Ajab Gajab: राजस्थान के पाली जिले के भाटूण्ड गांव में स्थित शीतला माता के मंदिर में एक चमत्कारी घड़ा है, जो लाखों लीटर पानी डालने पर भी 800 साल से नहीं भरता. मान्यता है कि राक्षस इस पानी को पी जाता है.X
पानी से आज तक नहीं भरा 800 साल पुराना यह चमत्कारिक खड़ा
हाइलाइट्स
पाली के शीतला माता मंदिर में चमत्कारी घड़ालाखों लीटर पानी डालने पर भी 800 साल से नहीं भरता घड़ासाल में दो बार घड़े में पानी डालने की परंपरा
पाली. आपने फिल्मों या कहानियों में सुना या देखा होगा कि एक चमत्कारी घड़ा है जिसमें कितना भी पानी डालो, वह कभी नहीं भरता. लेकिन आज हम आपको राजस्थान के एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताएंगे जहां सच में ऐसा घड़ा है. यह मंदिर राजस्थान के पाली जिले के छोटे से गांव भाटूण्ड में स्थित है, जहां शीतला माता का एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में एक ऐसा घड़ा है जिसमें लाखों लीटर पानी डाला गया है, लेकिन 800 साल बाद भी वह घड़ा आज तक नहीं भरा.
चमत्कार देखने दूर-दूर से आते हैं लोगशीतला माता के इस मंदिर में होने वाले चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इस चमत्कारी घड़े के दर्शन साल में दो बार होते हैं. यह घड़ा एक पत्थर से ढंका हुआ है, जिसे केवल शीतला सप्तमी और ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को हटाया जाता है. इन दो दिनों में भक्त कलश भर-भर कर हजारों लीटर पानी इसमें डालते हैं. भक्तों का मानना है कि इस चमत्कारी घड़े में अब तक कई लाख लीटर पानी डाला जा चुका है, लेकिन घड़ा है कि भरने का नाम ही नहीं लेता.
क्यों कभी नहीं भरता यह घड़ा? इस मंदिर में एक घड़ा है जो केवल आधा फुट चौड़ा और इतना ही गहरा है. – माना जाता है कि इस घड़े में कितना भी पानी भरा जाए, यह कभी पूरा नहीं भरता. – इसमें अब तक 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है, फिर भी यह खाली ही है.
घड़े के पानी को पी जाता है राक्षस800 साल पुराने इस घड़े के बारे में मान्यता है कि इसमें जो पानी डाला जाता है, वह राक्षस पी जाता है. – इस रहस्य को सुलझाने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन कोई पता नहीं लगा पाया कि ऐसा क्यों और कैसे होता है.
मंदिर में चमत्कार के पीछे की मान्यतामान्यता है कि इस स्थान पर लगभग 800 साल पहले बाबरा नामक एक राक्षस था, जिससे आस-पास के गांव वाले आतंकित थे. जब भी किसी ब्राह्मण के घर में शादी होती, राक्षस दूल्हे को मार देता. इस राक्षस से मुक्ति के लिए ग्रामीणों ने मां शीतला की पूजा की. प्रसन्न होकर माता शीतला ने एक ब्राह्मण के स्वप्न में आकर कहा कि जब उसकी बेटी की शादी होगी, तब वह उस राक्षस का संहार करेंगी. विवाह के समय शीतला माता एक छोटी कन्या के रूप में आईं और अपने घुटनों से राक्षस को दबोचकर मार दिया. मरते समय राक्षस ने मां शीतला से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे बहुत प्यास लगती है, इसलिए साल में दो बार भक्तों के हाथों से उसे पानी पिलाया जाए. मां शीतला ने उसकी यह इच्छा पूरी करने का वचन दिया. तभी से इस घड़े में साल में दो बार पानी भरने की परंपरा चली आ रही है.
साल में दो बार खुलता है घड़ायह घड़ा एक पत्थर से ढंका हुआ है, जिसे साल में केवल दो बार हटाया जाता है. इन मौकों पर महिलाएं इसमें हजारों लीटर पानी डालती हैं, लेकिन घड़ा नहीं भरता. इसके बाद पुजारी माता के चरणों से लगाकर दूध का भोग चढ़ाते हैं, तो घड़ा पूरा भर जाता है. दूध का भोग लगाकर इसे बंद कर दिया जाता है. इस मौके पर गांव में मेला भी लगता है.
First Published :
March 23, 2025, 20:18 IST
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चमत्कार के सामने विज्ञान हुआ फेल, लाखों लीटर पानी समा लेती है मंदिर की ओखली