न्यूजीलैंड में सिख समुदाय से सरेआम पंगा! बीच सड़क पर रोका गया नगर कीर्तन, पोस्टर पर लिखा ‘यह भारत नहीं’

Last Updated:December 21, 2025, 16:51 IST
ऑकलैंड में ब्रायन तमाकी के समर्थकों ने सिखों का नगर कीर्तन रोककर हंगामा किया. प्रदर्शनकारियों ने ‘यह न्यूजीलैंड है, भारत नहीं है’ लिखे पोस्टर लहराए और आक्रामक हाका डांस किया. इस उकसावे के बाद भी सिख समुदाय ने शांति और धैर्य का परिचय दिया. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद स्थिति संभली. पूरी दुनिया में सिखों के इस अनुशासित व्यवहार की जमकर सराहना हो रही है.
सिख समुदाय ने दिखाया संयम.
नई दिल्ली. न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड की सड़कों पर उस समय तनाव की स्थिति पैदा हो गई जब एक शांतिपूर्ण सिख नगर कीर्तन को प्रदर्शनकारियों के एक कट्टरपंथी समूह ने बीच रास्ते में रोक दिया. यह घटना ‘डेस्टिनी चर्च’ के नेता ब्रायन तमाकी के समर्थकों द्वारा अंजाम दी गई. प्रदर्शनकारी युवाओं ने न केवल सिखों का रास्ता रोका बल्कि अपने हाथों में ऐसे पोस्टर लहराए जिन पर लिखा था, “यह न्यूजीलैंड है, भारत नहीं.” इस भड़काऊ टिप्पणी और आक्रामक ‘हाका’ डांस के जरिए धार्मिक आयोजन में खलल डालने की कोशिश की गई.
जुलूस को बाधित करने के पीछे प्रदर्शनकारियों का तर्क इमिग्रेशन और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा था. हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जो बात सबसे ज्यादा चर्चा में रही, वह था सिख समुदाय का अटूट संयम. उकसावे की इस पराकाष्ठा के बावजूद सिखों ने न तो जवाबी नारेबाजी की और न ही हिंसा का रास्ता अपनाया. उन्होंने शांति बनाए रखी और पुलिस के दखल के बाद अपने धार्मिक अनुष्ठान को गरिमा के साथ पूरा किया. पुलिस ने बीच-बचाव कर स्थिति को संभाला और प्रदर्शनकारियों को पीछे हटने पर मजबूर किया. यहां देखें घटना का वीडियो
सिखों की इस प्रतिक्रिया ने न्यूजीलैंड के स्थानीय नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को प्रभावित किया है. सोशल मीडिया पर लोग इसे नस्लवाद का घिनौना चेहरा बता रहे हैं. वहीं, सिखों द्वारा दिखाए गए ‘सेवा और सिमरन’ के संस्कारों की जमकर तारीफ हो रही है. इस घटना ने एक बार फिर मल्टीकल्चर और धार्मिक स्वतंत्रता पर नई बहस छेड़ दी है.
दुनिया के किसी भी कोने में अगर मानवीय संकट आता है, तो ‘सिख समुदाय’ मदद के लिए सबसे पहले खड़ा नजर आता है. ऑकलैंड की घटना केवल एक छोटे समूह की कट्टरता को दर्शाती है, लेकिन इसके जवाब में सिखों का संयम उनकी वैश्विक मजबूती का प्रमाण है. आज कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की राजनीति और अर्थव्यवस्था में सिखों का कद अत्यंत ऊंचा है. वे केवल शरणार्थी या प्रवासी बनकर नहीं रहे बल्कि उन्होंने इन देशों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. सिख समुदाय ने ‘सरबत दा भला’ (सबका भला) के सिद्धांत को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है. चाहे वह युद्धग्रस्त यूक्रेन में लंगर सेवा हो या कोविड-19 के दौरान दुनिया भर में ऑक्सीजन और भोजन की मदद, सिखों ने अपनी पहचान एक रक्षक के रूप में बनाई है. यही कारण है कि ऑकलैंड जैसी छिटपुट घटनाएं उनकी जड़ें हिलाने में नाकाम रहती हैं.
About the AuthorSandeep Gupta
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
First Published :
December 21, 2025, 16:51 IST
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सिखों से सरेआम पंगा! बीच सड़क रोका नगर कीर्तन, पोस्टर पर लिखा- ‘यह भारत नहीं’



