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इस प्राचीन कुंड में भगवान राम ने किया था स्नान, नहाने से ठीक हो जाती है बीमारियां, जानें मान्यता

Last Updated:April 12, 2025, 11:21 IST


Hanuman Jayanti: माउंट आबू में नक्की लेक के किनारे प्राचीन सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में बना है. इस मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में के कुंड बना हुआ है. जिसे राम कुंड के नाम से जाना जाता है.यह कुंड क…और पढ़ेंX
माउंट
माउंट आबू का राम कुंड

राजस्थान की हिल स्टेशन माउंट आबू को धर्म नगरी के रूप में भी जाना जाता है. इस नगरी को भगवान राम के गुरु ऋषि वशिष्ठ की तपोस्थली माना जाता है मान्यता है कि भगवान राम ने यहां गुरू वशिष्ठ आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी. आज हम आपको माउंट आबू के एक ऐसे कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां भगवान राम ने स्नान किया था. जी हां, हम बात कर रहे हैं. सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राम कुंड की.

माउंट आबू में नक्की लेक के किनारे अतिप्राचीन सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में बना है. किसी महल जैसे नजर आने वाले इस मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में के कुंड बना हुआ है. जिसे राम कुंड के नाम से जाना जाता है. एक पहाड़ी के नीचे गुफा में बना है. यह कुंड काफी पवित्र माना जाता है. भगवान राम जब गोमुख वशिष्ठ आश्रम में गुरू वशिष्ठ से शिक्षा ग्रहण करने के बाद इस कुंड में स्नान किया था. भक्तों में इस कुंड के पानी को प्रसाद के रूप में माना जाता है. इस कुंड के पानी से कई बीमारियां भी ठीक हो जाती है. मन को भी शांति मिलती है.

दो दिवसीय पाटोत्सव पर घोषित होता है अवकाशरघुनाथ मंदिर के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि जिला प्रशासन द्वारा इस मंदिर के दो दिवसीय पाटोत्सव पर पूरे माउण्ट आबू ब्लॉक का अवकाश घोषित कर दिया जाता है. माउंट आबू घूमने आने वाले पर्यटकों की यात्रा ये मंदिर इज़लिये भी अनोखा है. यहां पर भगवान राम बिना भाई लक्ष्मण एवं माता सीता के अकेले विराजमान हैं.

भगवान से जुड़ी है माउंट आबू में कई जगहमंदिर के महंत आचार्य डॉ. सियारामदास महाराज  ने बताया कि भगवान राम ने माउंट आबू में गुरु वशिष्ठ से शिक्षा ग्रहण की थी. यहां विराजे प्रभु श्रीराम की मूर्ति साढ़े तीन फीट है एवं मूर्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर है. यहां प्रभु बाल स्वरूप रूप में अकेले विराजमान हैं, जो राजस्थान का पहला ऐसा मंदिर है. भगवान राम की यह मूर्ति 5500 साल पुरानी स्वयंभू है. 700 साल पहले जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया था. रामानंद संप्रदाय के साधु ही मंदिर में पूजा करते हैं.

Location :

Sirohi,Rajasthan

First Published :

April 12, 2025, 11:21 IST

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