इस प्राचीन शिव मंदिर में पूजा पाठ से लेकर संचालन तक का कार्य करते हैं आदिवासी, गोमुख से बह रही जलधारा-In this ancient Shiva temple, tribals do all the work from worship to operation, water stream flowing continuously from Gomukh

सिरोही : राजस्थान के सिरोही जिले में एक आठ सौ वर्ष पुराना शिव मंदिर ऐसा भी है, जहां पुजारी भी आदिवासी समाज से है और इस मंदिर का संचालन भी आदिवासी समुदाय की ही कमेटी द्वारा किया जाता है. महाशिवरात्रि पर यहां लगने वाले मेले में आदिवासी समाज के लोगों के साथ ही दूरदराज से भक्त पहुंचते हैं.
हम बात कर रहे हैं देलदर तहसील के निचलागढ़ गांव के मारकुंडेश्वर महादेव मंदिर की. मंदिर के पुजारी मंगल महाराज ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार मारकंडेय ऋषि ने यहां तपस्या की थी. यह मंदिर 13वीं शताब्दी का बताया जाता है. मंदिर में निचलागढ़ समेत आदिवासी बहुल गांवों के अलावा अन्य जिलों और गुजरात से भी भक्त यहां दर्शन करने आते हैं. यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.
मंदिर में प्रवेश के साथ ही यहां चारों तरफ हरियाली पहाडियां नजर आती है. मंदिर में एक प्राचीन शिलालेख और प्रतिमा है. जो भगवान शिव की बताई जाती है. समय के साथ देखरेख के अभाव में प्रतिमा खंडित हो गई थी. शिलालेख पर प्राचीन भाषा में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बारे में लिखा हुआ है.
गोमुख से निरंतर बहता रहता है पानी मंदिर परिसर में बने कुंड और गोमुख से पूरे साल निरंतर पानी बहता रहता है. इस पानी को काफी पवित्र माना जाता है. पास में एक पुराने पेड़ के नीचे काफी संख्या में विभिन्न धातु के नाग रखे हुए हैं. गर्भगृह में शिवलिंग, भगवान शिव, पार्वती, मां काली के अलावा घोड़े पर सवार एक अन्य प्रतिमा भी है. ये सभी प्रतिमाएं काफी पुरानी है. मंदिर के गर्भ गृह के बाहर का भाग पहाड़ी के पास है.
झरनों का भी लोग लेते है आनंद मंदिर के पास ही पहाडों से बारिश में विशाल झरना बहता है. जहां नहाने के लिए दूर-दराज से लोग यहां आते हैं. इस बार मानसून में ज्यादा बारिश नहीं होने से अब तक ये झरना शुरू नहीं हुआ है. चारों तरफ पहाड़ों से घिरा ये मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र हैं. श्रावण मास में दूरदराज से यहां भक्त आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 19:11 IST