In this city, big size paper donations fly with kites – हिंदी
निखिल स्वामी/बीकानेर: बीकानेर अपनी कला संस्कृति के लिए काफी प्रसिद्ध है. यहां एक से बढ़कर एक अनोखी परंपरा है. मई शुरू होते ही आखातीज पर पतंगबाजी जमकर होती है. ऐसे में बीकानेर में एक ऐसी परंपरा है जो सैकड़ों साल से चली आ रही है. इस शहर में पतंग से भी बड़े आकार का कागज उड़ाया जाता है. जिसको यहां स्थानीय भाषा में चंदा कहा जाता है.
बीकानेर के स्थापना दिवस पर यह कागज का चंदा उड़ाया जाता है. यह कोई साधारण कागज नहीं होता है बल्कि बही खाते का कागज होता है. आमतौर पर पतंग को उड़ाने के लिए मांझे की जरूरत होती है, लेकिन बीकानेर में पतंग के अलावा कागज का चंदा भी उड़ता है. जो मांझे से नहीं बल्कि रस्सी से उड़ाया जाता है. यह राज परिवार से चली आ रही परंपरा का आज भी शहरवासी निर्वहन कर रहे है. इस कागज नूमे चंदा को बनाने के लिए कारीगर अभी से तैयारी कर रहे है. इन चंदा के माध्यम से वे देश विदेश में कई तरह के संदेश दे रहे है. आखाबीज और आखातीज के दिन शहर में कई स्थानों पर चंदा उड़ाकर खुशियां प्रकट की जाती हैं. चंदा बनाने और उड़ाने के साथ-साथ चंदा पर पारंपरिक दोहे, संवाद लिखने के साथ चित्र बनाने और समसामयिक विषयों से जुड़े संदेश देने की भी अनूठी परम्परा है.
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ऐसे तैयार की जाती है पतंगहर साल चंदा बनाने वाले कलाकार उन पर चित्र और संदेश भी लिखते है. इस बार चाइनीज मांझे का बहिष्कार करने का संदेश दिया गया है. साथ ही बीकानेर रियासत की वंशावली भी दिखाई गई है. इन चंदा पर अपनी चित्रकारी कर आमजन की पीड़ाओं को भी चंदा पर उकेरा गया है. कई चंदा पर बीकानेर रियासत के राजा महाराजाओं के चित्र, दोहे, संदेश लिखे गए हैं. चंदा बनाने वाले कलाकार कृष्ण चंद पुरोहित ने बताया कि पिछले 30 साल से चंदा बनाने का काम कर रहे है. अब हमारी चौथी पीढ़ी चंदा बना रही है. नगर स्थापना दिवस पर गोलाकार आकृति में चंदा तैयार किए जाते हैं. लगभग चार फीट गोलाकार आकार के इन चंदा को बही खाते वाले कागज से बनाया जाता है. इन पर सरकंडे की लकड़ी लगाई जाती है. किनारों पर पाग का कपड़ा चिपकाया जाता है. कई चंदा पर बीकानेर रियासत का ध्वज भी प्रतीकात्मक रूप से लगाया जाता है. बड़े आकार के इन चंदा को डोरी की मदद से उड़ाया और छोड़ा जाता है. एक चंदा को बनाने में चार से पांच दिन का समय लग जाता है.
इसलिए उड़ा रहे है चंदासबसे पहले चंदा बीकानेर की स्थापना करने वाले राव बीका ने उड़ाया था. चंदा उड़ाने के पीछे उद्देश्य यह था कि चंदा उड़ाकर राजा अपनी प्रजा को संदेश देते थे कि देश में क्या चल रहा है. आज के युग में अब चंदा उड़कर शहरवासी शहर की समस्याओं का संदेश दे रहे है.
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FIRST PUBLISHED : May 2, 2024, 17:02 IST