राजस्थान के इस शहर में 26 अगस्त को नहीं बल्कि एक दिन बाद मनाई जाएगी जन्माष्टमी, जानें वजह-in-this-city-of-rajasthan-krishna-janmashtami-will-be-celebrated-not-on-26th-august-but-a-day-later-know-reason

भीलवाड़ा : देश के महत्वपूर्ण त्यौहार में से एक कृष्ण भगवान का जन्म का समय कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व नजदीक आने को है. भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है. इस बार भगवान का जन्म उत्सव बड़े ही भव्यता और दिव्यता के साथ मनाया जाएगा. हर साल की तरह इस साल भी सुबह की मंगल से लेकर रात्रि जन्म अभिषेक तक भगवान भक्तों को दर्शन देंगे.
मंदिरों को भव्यता के साथ सजाया जाएगा और लाइटिंग लगाई जाएगी. जहां एक तरफ देश के सभी मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव सोमवार यानी की 26 अगस्त को मनाया जाएगा तो वही भीलवाड़ा का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां श्री कृष्ण का जन्मोत्सव एक दिन बाद यानी की 27 अगस्त को मनाया जाएगा और इसके बाद नंद महोत्सव का आयोजन 28 अगस्त को आयोजित किया जाएगा.
मंदिर के पुजारी कल्याणमल शर्मा ने बताया कि धर्मनगरी भीलवाड़ा के लाखों भक्तों की आस्था के प्रमुख केन्द्र सांगानेरी गेट स्थित श्री दूदाधारी गोपाल मंदिर में जगद्गुरू श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज के निर्देश के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा. नंदोत्सव का आयोजन 28 अगस्त को होगा.
श्रावणी तीज (छोटी तीज) से ठाकुरजी की सेवा में मनाए जा रहे झुलनोत्सव के तहत जन्माष्टमी तक ठाकुरजी के दरबार में अलग- अलग तरह की घटाएं (झांकिया) सजाई जा रही है. इसके हर वार को अलग-अलग रंगों से झांकियों की सजावट हो रही है. इसके तहत सोमवार को सर्द घटा, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, गुरूवार को पीला, शुक्रवार को नीला, शनिवार को श्याम एवं रविवार को गुलाबी घटा की छटा बिखर रही है. छोटी तीज से शुरू 22 दिवसीय झुलनोत्सव जन्माष्टमी के अगले दिन नंदोत्सव तक चलेगा.
एक दिन बाद मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमीपुजारी कल्याणमल शर्मा ने बताया कि भीलवाड़ा का दूधाधारी मंदिर वृंदावन की तर्ज पर बना हुआ है इसके सभी पूजा पाठ वृंदावन के तर्ज पर किए जाते हैंश्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज के निर्देश के अनुसार 27 अगस्त जन्माष्टमी पर मध्य रात्रि में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा और ठाकुरजी की महाआरती कर भगवान को माखन मिश्री का भोग लगाया जाएगा. जन्माष्टमी के अगले दिन नंदोत्सव पर्व मनाया जाएगा. इस अवसर पर मटकी फोड, मल्लखंभ का आयोजन होगा. मंदिर में हर वर्ष जन्माष्टमी एवं नंदोत्सव आयोजन में शहर के हजारों भक्त शामिल होते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 23:13 IST