Rajasthan

इस मंदिर में सूरज की पहली किरण करती है शिव का मस्ताभिषेक, यहीं परवान चढ़ी थी दुष्यंत शकुंतला की प्रेम कहानी

कोटा. राजस्थान के कोटा शहर को लोग पहले कोटा साड़ियों और अब एजुकेशन सिटी के नाम से जानते हैं. लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि ये राजा दुष्यंत और शंकुतला की प्रणय स्थली भी है. यहीं उनके वीर प्रतापी पुत्र शेरों के दांत गिनने वाले भरत का जन्म हुआ था. उसी के नाम पर अपने देश का नाम भारत रखा गया. कोटा में 1300 साल पुराना शिव मंदिर भी है.

कोटा एजुकेशन सिटी के नाम से तो पहचाना जाता है. इसके सिवाय यहां का धार्मिक इतिहास भी है. कोटा संभाग का सबसे प्राचीन मन्दिर कंसवा धाम यहां है. इस पवित्र धरा पर आज भी करीब 1300 साल पुराना भगवान शिव का मंदिर है. यहां सूर्य देव भी सबसे पहले भगवान के शीश को स्पर्श करते हैं. सूर्य की पहली किरण यहां शिव का मस्तकाभिषेक करती है. इस धाम में कण्व ऋषि की तपोस्थली का तेज है, तो राजा दुष्यंत-शकुंतला के प्रणय से जन्मे शेरों के दांत गिनने वाले महाप्रतापी भरत का बचपन भी यहीं बीता. भरत के नाम से हमारे देश का नाम भारत पड़ा.

1300 साल पुराना मंदिरमहंत श्याम गिरी गोस्वामी ने बताया शिव मन्दिर का इतिहास करीब 1300 से 1400 साल पुराना है. यहां लगा शिलालेख इसके गौरवशाली अतीत को दशार्ता है. मंदिर मूर्तिकला का अनुपम उदाहरण है. यहां चट्टानों को काटकर बनाए गए मुख्य शिवालय में प्राचीनतम शिवलिंग के साथ भोलेनाथ और अन्य देवी देवताओं की दुर्लभ मूर्तियां हैं. चतुमुर्खी शिवलिंग, हनुमान, भैरों बाबा का मंदिर भी है.

ऐतिहासिक शिव मंदिरइस शिव मंदिर के बाहर एक प्राचीन कुंड है. कहते हैं इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता. कुछ ही दूरी पर एक पत्थर पर सहस्त्र शिवलिंग बना है. मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 795 (738 ईस्वी) में हुआ. मंदिर सावन के पवित्र महीने में भोलेनाथ के जयकारों के गुंजाएमान रहता है, यह मंदिर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. लोगों की आस्था ऐसी है वो कहते हैं यहां भोलेनाथ के दर्शन मात्र से सभी की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं. सभी भक्तों के दुख दूर होते हैं.

दुष्यंत शकुंतला की प्रेम कहानीमहंत श्याम गिरी गोस्वामी ने बताया इस जगह का इतिहास राजा दुष्यंत और शकुंतला से जुड़ा है. 1300 साल पहले शिवगण ने शिव मंदिर बनवाया था. वहीं कण्व ऋषि के आश्रम में अप्सरा मेनका की पुत्री शकुंतला रहती थीं. जब राजकुमार दुष्यंत इस क्षेत्र में प्रवास पर आए तो उन्हें कंसुआ के वन क्षेत्र में शकुंतला मिलीं. उसके बाद दोनों का प्रेम परवान चढ़ा. राजकुमार दुष्यंत जब जाने लगे, तो शकुंतला से शादी का वादा करके उन्हें संकेत के रूप में एक अंगूठी दे गए थे. भरत का जन्म दुष्यंत-शकुंतला के प्रणय से हुआ था, जो कण्व ऋषि के आश्रम में पले-बढ़े थे. कहते हैं वह महाप्रतापी बालक निकले जो शेरों के साथ खेलते थे और उनके मुंह में हाथ डालकर शेर के दांत गिन लेते थे.

Tags: Kota news updates, Local18

FIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 13:54 IST

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