इस अनोखे पार्क में रोजाना 5 टन कचरे का हो रहा निस्तारण, तैयार खाद और रिसाइकिल योग्य कचरे को बेचकर हो रहा पार्क का संचालन, In this unique park, 5 tonnes of waste is being disposed of daily, the park is being operated by selling ready compost and recyclable waste
दर्शन शर्मा : शहरों में नजर आने वाले कचरे के पहाड़ को खत्म करने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. सिरोही जिले के सबसे अधिक आबादी वाले शहर आबूरोड में जिले का पहला सेनेटाइजेशन पार्क स्थापित किया गया है. अब तक इस प्लांट में 1022 टन कचरे का सुनियोजित तरीके से निस्तारण किया जा चुका है. यहां एलआईसी एचएफएल के वित्तीय सहयोग से फीडबैक फाउंडेशन द्वारा मानपुर बनास नदी के किनारे प्लांट स्थापित किया गया है.
सितम्बर 2023 में शुरू हुए इस प्लांट में पहले केवल 5 वार्डों को ही शामिल किया गया था, लेकिन अब यहां शहर के 15 वार्डों से रोजाना एकत्रित होने वाले 5 टन कचरे का निस्तारण होता है. इस कचरे में से गीला कचरा, सूखा कचरा, घरेलू बायो मेडिकल वेस्ट और खतरनाक कचरा इन चार श्रेणी में 32 प्रकार से अलग-अलग कचरें को बांटा जाता है. इसके लिए लोगों को भी कचरा संग्रहण के समय कचरा अलग-अलग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है.
विभिन्न वार्डों से नगरपालिका के 6 वाहनों में आने वाले कचरे को यहां प्लांट पर एकत्रित कर उसका वजन किया जाता है. इन वाहनों में ड्राइवर और हेल्पर संस्था द्वारा और प्लांट में कार्यरत 13 कर्मचारी संस्था द्वारा लगाए गए हैं. इस प्लांट से होने वाली आय का उपयोग प्लांट में ही किया जाता है. प्लांट के संचालन का नगरपालिका पर कोई खर्चा नहीं आता है.
गीले कचरे से तैयार हो रही खाद फीडबैक फाउंडेशन के प्लांट प्रभारी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि प्लांट के संचालन का उद्देश्य शहरों से कचरे के पहाड़ को खत्म कर कचरे का सुनियोजित तरीके से निस्तारण करना है. औसतन रोजाना ढाई टन से अधिक गीला कचरा और डेढ टन से अधिक सूखा कचरा आता है. इसके बाद गीले कचरे की प्रोसेसिंग कर खेतों के उपयोग लायक खाद तैयार होती है. कुल कचरे का मात्र 3-4 प्रतिशत गीली खाद तैयार होती है. पशुओं के खाने योग्य शेष गीला कचरा ही पशुओं को दिया जाता है. यहां तैयार होने वाली जैविक खाद काश्तकारों को 15 रुपए प्रति किलो और होम डिलीवरी करने पर 20 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से दी जाती है.
सूखे कचरे की छंटनी कर होती है बिक्री गीले कचरे के अलावा प्लास्टिक, मेटल, कांच, गत्ता-कागज , रबर समेत अन्य रिसाइकिल होने वाले कचरे को अलग-अलग किया जाता है. जिन्हें रिसाइकिल के लिए बेचकर आय अर्जित की जाती है. इसके बाद में बचने वाले कचरे को क्रश करके सीमेंट इकाइयों समेत अन्य स्थान पर बेचा जाता है. इससे होने वाली आय का उपयोग प्लांट के संचालन में ही किया जाता है.
वेस्ट से तैयार किया पार्क, चारों तरफ हरियाली इस प्लांट में स्कूली बच्चों के अलावा आमजन भी आते हैं, लेकिन यहां की हरियाली के कारण कचरा प्लांट में आने का अहसास नहीं होता है. प्लांट में वेस्ट से बैठने लायक जगह व सुंदर कलाकृतियां गई है. चार गार्डन में शराब की खाली बोतलों को दीवार में सजाया गया है. वहीं टॉयलेट पॉट समेत अन्य खाली पात्रों से गमले तैयार किए गए हैं.
बडे़ स्तर पर होगा प्लांट का संचालन नगरपालिका के एसबीएम प्रभारी सचिन कुमार ने बताया कि वर्तमान में केवल 15 वार्डों के लिए प्लांट का संचालन हो रहा है. आगामी दिनों में शेष 25 वार्डों के लिए प्लांट स्थापित कर पूरे शहर के कचरे का सुनियोजित तरीके से निस्तारण किया जाएगा. इसके लिए जगह चिन्हित करने की प्रक्रिया जारी है.
FIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 20:02 IST