आधुनिक खेती से बसेड़ी गांव में बढ़ी आय और फसल उत्पादन

Last Updated:October 29, 2025, 14:02 IST
Agriculture Success Story: जयपुर के झोटवाड़ा पंचायत समिति के बसेड़ी गांव के किसान रामनारायण चौधरी ने खेती में नवाचार की मिसाल पेश की है. उन्होंने इज़राइल से सीखी आधुनिक तकनीकों को देसी उपायों के साथ मिलाकर खेती में क्रांतिकारी बदलाव किया है.रबी फसलों को पाले से बचाने के लिए वे मुर्गी की बीट का खाद इस्तेमाल करते हैं, जिससे उत्पादन में 20% तक वृद्धि होती है.
जयपुर. राजस्थान में कई किसान खेती में नवाचार करके कम मेहनत में लाखों रुपये कमा रहे हैं. झोटवाड़ा पंचायत समिति के बसेड़ी गांव के किसान रामनारायण चौधरी भी ऐसे ही नवाचारी किसानों में से एक हैं. उन्होंने विदेश से आधुनिक खेती के तरीके सीखकर उन्हें देसी उपायों के साथ जोड़ा और फसल उत्पादन बढ़ाने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. रामनारायण चौधरी ने रबी की फसलों को पाले से बचाने का ऐसा तरीका अपनाया है, जिससे फसलें स्वस्थ रहती हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है.
वे बताते हैं कि हर साल खेत में मुर्गी की बीट का खाद डालते हैं, दो बीघा खेत के लिए एक ट्रैक्टर ट्रॉली खाद पर्याप्त होती है. इससे मिट्टी में उष्णता बनी रहती है और गेहूं, जौ जैसी रबी फसलें पाले से सुरक्षित रहती हैं. इस विधि से फसलों की वृद्धि बेहतर होती है और उत्पादन में करीब 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है. वर्ष 2014 में, जब टमाटर की फसल निमेटोड रोग से प्रभावित हुई थी और वैज्ञानिकों को भी समाधान नहीं मिला, तब उन्होंने देसी उपाय से इस समस्या पर विजय पाई. उन्होंने पॉलीहाउस की जमीन पर माइक्रो शीट बिछाई, जिससे अंदर तापमान बढ़ा और रोग समाप्त हो गया. अब जब भी फसलों में निमेटोड रोग की आशंका होती है, वे यही विधि अपनाते हैं.
इज़राइल से सीखी आधुनिक तकनीकरामनारायण बताते हैं कि वर्ष 2013 में उन्होंने बसेड़ी गांव में पहला पॉलीहाउस लगाया था. इससे पहले वे पारंपरिक रूप से गेहूं, बाजरा, जौ, मटर, मूंगफली और प्याज जैसी फसलें बोते थे. वर्ष 2012 में वे कुछ किसानों के साथ इज़राइल गए, जहां उन्होंने पॉलीहाउस खेती की बारीकियां सीखी. अब वे खुले खेतों के साथ-साथ पॉलीहाउस में भी सालभर फसलें ले रहे हैं. पॉलीहाउस में वे खीरा, लाल-पीली मिर्च, टमाटर और चाइनीज गुलाब जैसी फसलें उगाते हैं. कीट नियंत्रण के लिए वे देसी जैविक दवा का उपयोग करते हैं, जो गोमूत्र, हींग, बेसन, आकड़ा और खीप के मिश्रण से तैयार की जाती है। इसे कुछ दिनों तक सड़ाकर छाना जाता है और फिर फसलों पर छिड़काव किया जाता है. वे कहते हैं कि एक ही फसल को लगातार बोने से उत्पादन घट जाता है, इसलिए वे फसल चक्र अपनाते हैं और समय-समय पर फसलें बदलते रहते हैं.
चाइनीज गुलाब की खेती से बढ़ी आयहाल ही में रामनारायण चौधरी ने पूना से चाइनीज गुलाब की बागवानी तकनीक सीखी और अपने पॉलीहाउस में 24 हजार पौधे लगाए हैं. प्रत्येक पौधा छह इंच की दूरी पर लगाया गया है। फूलों की अच्छी पैदावार के चलते वे अब 20 फूलों का एक बंडल 150 रुपये में बेच रहे हैं. इस नई पहल से उन्होंने खेती में फसल विविधता बढ़ाने के साथ आय के नए स्रोत भी विकसित किए हैं. उनकी मेहनत और नवाचार से प्रेरित होकर अब कई अन्य किसान भी आधुनिक फूल खेती अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
Monali Paul
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW… और पढ़ें
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
October 29, 2025, 14:02 IST
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किसान की आधुनिक खेती से बसेड़ी गांव में बढ़ी आय और फसल उत्पादन



